अपनी बात

बिहार, झारखण्ड व राजस्थान में भारत बंद का असर, अन्य राज्यों में बंद का कोई असर नहीं, बंद पर एससी-एसटी भी बंटे, धनबाद में बंद के कारण हॉस्पिटल नहीं पहुंचने से एक किशोरी की मौत

एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के विरोध में देश के 21 संगठनों ने आज भारत बंद बुलाया था। इस बंद का कांग्रेस, झामुमो, राजद, सपा, बसपा, वामदल जैसे कई राजनीतिक दलों ने भी समर्थन किया था। जिसका बिहार, झारखण्ड और राजस्थान छोड़कर कहीं असर नहीं देखा गया। ओड़िशा में इस बंद का आंशिक असर देखने को मिला, वहीं पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश, असम आदि देश के शेष राज्यों में बंद कोई खास असर नहीं दिखा सका।

इसी बंद के दौरान, सड़क जाम रहने से झारखण्ड के धनबाद में सड़क हादसे में घायल एक युवती की मौत हो गई, जब उसे बंद के दौरान समय पर हास्पिटल नहीं पहुंचाया जा सका। जिस घटना का हर समाज का सभ्य व्यक्ति आलोचना कर रहा है। आश्चर्य इस बात की भी है कि आज के बंद को लेकर खुद एससी-एसटी समाज भी विभक्त है। कुछ एससी-एसटी समाज के लोग इस बंद की आलोचना करने से नहीं चूक रहे। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है। वो सही है।

जबकि कई लोगों का कहना है कि एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर की बात नहीं होना चाहिए। आज के बंद का विरोध करनेवाले समूहों का कहना था कि सच्चाई है कि इतने दिनों से चले आ रहे आरक्षण का लाभ एससी-एसटी का एक वर्ग जमकर उठा रहा है, जबकि इसी वर्ग के कई लोग आज भी आरक्षण के लाभ से वंचित है, ऐसे में जिसने इसका लाभ उठा लिया और अगर उन्हें इससे अलग कर दिया जा रहा है तो गलत क्या है?

शायद यही कारण रहा कि इस भारत बंद का दो-तीन राज्यों में ही असर देखा गया। वो भी यहां के राजनीतिक दलों के उद्दंड कार्यकर्ताओं द्वारा सड़कों पर उपद्रव करने के कारण, जिसके कारण एक-दो जगहों पर लाठी चार्ज भी करनी पड़ी। आम तौर पर झारखण्ड में तो सामान्य सी घटना है कि यहां अगर एक मच्छड़ जैसी पार्टी भी बंद का ऐलान कर दें तो यहां के निजी स्कूल अपना शटर गिरा लेते हैं।

ऐसे में यहां तो आज 21 संगठनों ने बंद कॉल किया था। इसलिए यहां सारे निजी स्कूल बंद रहे। जबकि सरकारी स्कूल व कॉलेज आम तौर पर खुले रहे। सड़कों पर आम दिनों की तरह वाहन नहीं चले। व्यापारिक प्रतिष्ठान उपद्रवियों के कारण बंद दिखा। जबकि देश के अन्य भागों में बंद का कोई असर नहीं दिखा।

उत्तर प्रदेश में तो बंद को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने अच्छी व्यवस्था की थी। जिसके कारण वहां किसी की लंठई नहीं चली। आम तौर पर सभी जगहों से शांतिपूर्ण ढंग से बंद के समाचार आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी बंद का कुछ जगहों पर मिला-जुला असर दिखा, जबकि कई शहरों में बंद दिखा ही नहीं। यही हाल मध्यप्रदेश का भी था, यहां भी बंद का कोई खास असर नहीं दिखा।