राजनीति

सुप्रियो ने कहा कि भाजपा की रैली में आये उनके उपद्रवी कार्यकर्ताओं के इरादे नेक नहीं थे, रांची पुलिस ने संयम से काम लिया, जिससे बड़ा हादसा होते-होते बचा

भारतीय जनता पार्टी ने प्रशासन को कहा था कि वे सिर्फ मोराबादी मैदान में सभा करेंगे, जिसका परमिशन रांची प्रशासन ने दिया था। लेकिन जिस प्रकार से बड़ी संख्या में पुलिस पर हमले किये गये। उन पर कांच की बोतलें फेंकी गई, पत्थर और लाठियां बरसाई गई, जिसमें कई पुलिसकर्मी लहुलूहान भी हुए। इतना होने के बावजूद भी जिस प्रकार से पुलिस ने संयम बरता, हम उसके लिए उनकी सराहना करते हैं, नहीं तो रांची में एक बड़ा हादसा हो जाता। ये बातें झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन में कही।

उन्होंने कहा कि पुलिस ने जो बेरिकेटिंग की थी, वो तो सभास्थल पर थी नहीं, वो तो मुख्यमंत्री आवास के आस-पास जो निषेधाज्ञा लागू थी, उस निषेधाज्ञा का पालन करने के लिए बेरिकेटिंग की गई थी। ऐसे में बेरिकेटिंग को तोड़ने की जरुरत क्यों पड़ गई। उन्होंने कहा कि उपद्रवी कार्यकर्ताओं के फूटेज को देखें तो साफ पता लग जायेगा कि उनके इरादे क्या थे। उन्होंने कहा कि वे वेल्डिंग ग्लॉब्स पहनकर आये थे। वे अपने साथ कटर लेकर आये थे। एक लोकतांत्रिक सभा में इन सभी की आवश्यकता क्यों?

सुप्रियो ने कहा कि क्या लोकतांत्रिक तरीके से आयोजित होनेवाली सभाओं में अब पत्थर फेंके जायेंगे। गुलेल का प्रयोग होगा। उन्होंने कहा कि ये युवा आक्रोश की बात करते हैं। युवाओं का आक्रोश तो केन्द्र सरकार के खिलाफ हैं। खुद इस बार केन्द्र के मंत्री ने संसद में कहा है कि देश में बेरोजगारी दर अपने काल खंड में सर्वोच्चता को छू रहा है। देश में यह दर 9.2 प्रतिशत है। खुद जहां भाजपा का शासन हैं, यह दर सर्वाधिक है। जैसे उत्तर प्रदेश में 23 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 19 प्रतिशत, गुजरात में 11.3 प्रतिशत है। झारखण्ड में तो इसकी प्रतिशतता मात्र 3.2 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि झारखण्ड में बेरोजगारी दर कम होने का मूल कारण हेमन्त सरकार द्वारा की गई विशेष कार्य है। उनके द्वारा युवाओं को दी गई विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी साथ ही गैर सरकारी क्षेत्रों में किया गया काम है। उन्होंने कहा कि इनकी सरकार ने तो सेना में रोज-रोज होनेवाली बहाली तक पर रोक लगा दी। अर्द्ध सैनिक बलों में नियुक्तियां बंद कर दी। बैंकिंग व रेल तो पहले से ही साफ है। इस सेक्टर को इनलोगों ने बेच ही रखा है। ऐसे में असली आक्रोश तो युवाओं का केन्द्र पर है। वे पूछते है कि हर साल दो करोड़ की नौकरी का दावा करनेवाले बताये कि दस सालों में तो 20 करोड़ लोगों को नौकरी मिल जानी चाहिए थी, कितने को दिया।

सुप्रियो ने कहा कि जिन्होंने आज सभा की, वे लाखों के आने का वायदा किया था, पर वे हजारों में सिमट गये। इनके नेता ये सब देखकर रात को आते हैं और सुबह में पटना निकल जाते हैं। असम वाले तो बार-बार उड़कर आ रहे थे, अब तो उनका उड़ना भी बंद हो गया। वे जानते है कि अगर सभा में रहेंगे तो झामुमो वाले पूछेंगे कि किसानों, एमएसपी और कृषिक्षेत्र में सहयोग की बात जो हुई थी, उन सभी का क्या हुआ? उन्होंने कहा कि दरअसल ये रैली झारखण्ड के हितों को देखने के लिए नहीं आयोजित की गई थी, इसीलिये यह पूरी तरह असफल रही। असली गूंज तो हमारी पार्टी द्वारा आयोजित अधिकार मार्च की रही, जो दिल्ली तक पहुंचेगी।