अपनी बात

भाजपाइयों कितना भी झूठा विज्ञापन का सहारा ले लो, हेमन्त सरकार को नहीं हिला सकते ये तुम्हारे कलाकार, इसका परिणाम देखना है तो तुम अपना ही फेसबुक पोस्ट देख लो

23 अगस्त को रांची के मोराबादी मैदान में स्वयं द्वारा आयोजित युवा आक्रोश रैली में जनता की नजरों में बुरी तरह पिटी भाजपा अब विज्ञापन वार पर उतर आई है और इस विज्ञापन वार के माध्यम से हेमन्त सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। लेकिन इस विज्ञापन वार में भी भाजपा का झूठ पकड़ा गया है। इस विज्ञापन के झूठ को विद्रोही24 ने पकड़ा है।

आम तौर पर यह विज्ञापन देखने से यही पता चलता है कि आम जनता ये कह रही है कि हेमन्त सरकार के शासनकाल में उसे कुछ नहीं मिला। लेकिन सच्चाई यही है कि इस विज्ञापन में आम जनता कहीं नहीं दिख रही। इसमें जो लोग हैं। वे कलाकार हैं। जो पैसे लेकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं और उसी से उनकी आजीविका चलती है। ये कलाकार पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

अब जैसे इसी विज्ञापन में एक जगह लिखा है, जिसें विद्रोही24 ने लाल घेरे से घेरकर आपके समक्ष प्रस्तुत किया है। उसे ध्यान से देखिये। वहां लिखा है सरकारी अस्पतालों में डाक्टर, नर्स एवं दवाइयां, उसमें जिसे आम जनता के रूप में प्रदर्शित किया गया है, वो आम जनता नहीं, बल्कि एक कलाकार है। उसका नाम जितेन्द्र वाढेर है। वेभ सीरिज में काम करता है। इसके फेसबुक से पता चलता है कि यह फिलहाल मुंबई में रहता है, लेकिन उसका मूल निवास स्थान रांची है। यह जितेन्द्र वाढेर रांची में भी कई नाटकों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुका है।

अब सवाल उठता है कि इस प्रकार की तिकड़मबाजी करके झूठ फैलाकर क्या आप जनता का दिल जीत सकते हैं। उत्तर होगा – नहीं। जब जनता अस्पतालों में जायेगी। उसे डाक्टर, नर्स और दवाइयां सब कुछ मिल जायेगी तो फिर आपका यह विज्ञापन कहां ठहरेगा? और कलाकारों को आम जनता के रुप में पेशकर उसके माध्यम से झूठ परोसकर तो आप खुद ही नंगे हो रहे हैं। ये आप क्यों नहीं समझ रहे।

भाजपा की प्रदेश इकाई ने आज झारखण्ड के तीन अखबारों, प्रभात खबर, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान को ये विज्ञापन दिये हैं। जिसे इन अखबारों ने प्रमुखता से छापा है। ऐसे भी इन अखबारों को विज्ञापन झूठा है या सच्चा, इससे क्या मतलब। उन्हें तो बस विज्ञापन और उसके द्वारा मूल रुप से होनेवाली कमाई से मतलब है। इसलिए ये अखबार इसकी जांच नहीं करते कि इन विज्ञापनों में सच्चाई कितनी है। लेकिन जिनका काम हैं, सच्चाई पता लगाना, वो तो लगायेंगे ही। सच को आम जनता के सामने रखेंगे ही।

पहले तो भाजपा ने चम्पाई सोरेन को अपने पक्ष में करने के लिए नाना प्रकार का षडयंत्र रचा, उसमें उनकी संलिप्तता पकड़ी गई। फिर इन्होंने 23 अगस्त को कहा कि हम एक लाख लोगों को इस रैली में बुलायेंगे। लेकिन वो रैली पांच से सात हजार की भीड़ में ही सिमट गई और अब झूठ का विज्ञापन, जिसमें कलाकारों की भूमिका, इससे क्या आपको लगता है कि आम जनता आपके झूठ के झांसे में आ जायेगी।

जनता तो आपके झूठ को पकड़कर पूछेगी कि जिस विज्ञापन से वे आम जनता का ध्यान अपनी और आकृष्ट कराने की कोशिश कर रहे हैं, उसमें तो जनता है ही नहीं। तो फिर क्या कहेंगे। शायद यही कारण रहा कि जिन-जिन अखबारों को भाजपा वाले ने ये झूठा विज्ञापन दिया। उन विज्ञापनों के कटिंग भाजपावालों ने अपने फेसबुक पर भी डाले, जिसे छः घंटे से ज्यादा हो गये और इस पोस्ट को अब तक मात्र 30 लोगों ने पसंद किया, मात्र तीन ने कमेंट्स जारी किये और मात्र तीन लोगों ने शेयर किये। यह हैं भाजपा के झूठे विज्ञापन की लोकप्रियता का परिणाम। जिसे भाजपा के लोग ही पसंद नहीं कर रहे, तो आम जनता क्या पसंद करेगी।