राजनीति

लाखों किसानों के खिलाफ अननेम्ड 180 FIR दर्ज करानेवाली, बिना FIR के घर ढाहनेवाली, अपने विरोधियों को झूठे केस में फंसानेवाली भाजपा, रांची में 12000 अननेम्ड एक FIR से डर गईः सुप्रियो

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस वर्ष के अंत-अंत तक चार राज्यों में चुनाव होने हैं। एक हरियाणा, दूसरा जम्मू-कश्मीर, तीसरा महाराष्ट्र और चौथा झारखण्ड। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में तो चुनाव के तिथियों की घोषणा हो गई। जम्मू-कश्मीर में तो दस सालों के बाद चुनाव हो रहे हैं, वो भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद।

लेकिन एक बड़ा वाकया 22 अगस्त को हुआ है, जब हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर एक को होनेवाले चुनाव की तिथि बढ़ाने का अनुरोध किया है। यह पहली बार हुआ कि कोई सत्तापक्ष, जिसके राज्य में चुनाव हो रहा है, वो चुनाव आयोग से तिथि बढ़ाने का अनुरोध कर रहा है। इसका मतलब है कि भाजपा आसन्न चुनाव से डरी और आतंकित है। इसलिए चुनाव को टालना चाहती है।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा का एक कार्यक्रम 23 अगस्त को रांची में भी था। जिस प्रकार से इनके उपद्रवियों का जमात पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला किया और इन हमलों से बचने के लिए जब पुलिसकर्मियों ने आंसू गैस के गोले दागे और वाटर केनन का प्रयोग किया, तब जाकर भीड़ काबू में आई। इन उपद्रवियों ने अपने हाथों में लेदर के दास्ताने पहन रखें थे। ये अपने साथ लोहे काटनेवाला कटर भी लाये थे। इन्होंने पुलिसकर्मियों पर पत्थर बरसाये, लाठियां चलाई, बोतले फेंकी।

सुप्रियो ने कहा कि इन उपद्रवियों की बौखलाहट कल असम के सीएम हिमंता बिश्वा सरमा के प्रेस कांफ्रेस में भी दिखी। वे बीजेपी-डीजीपी चिल्ला रहे थे। गलतबयानी कर रहे थे। मतलब साफ था कि ये राजनीतिक लड़ाई लड़ने को अब तैयार नहीं। हिमंता ने कहा कि पहली बार 12000 लोगों पर अननेम्ड व 51 लोगों पर नेम्ड एफआईआर दर्ज हुए। 12000 लोगों पर इसलिए एफआईआर दर्ज हुए ताकि भाजपा को दबाया जा सकें। सुप्रियो ने कहा कि इन पर सिर्फ एफआईआर दर्ज हुआ तो ये डर गये। जबकि सच्चाई यह है कि पत्थर चलाने पर तो ये उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में बिना एफआईआर के ही घर ढहा देते हैं।

उन्होंने कहा कि हिमंता कहते है कि आज तक 12000 लोगों पर अननेम्ड एफआईआर कभी नहीं हुआ, जब खूंटी में 10000 लोगों पर एफआईआर हुई थी तो सत्ता से बाहर हो गये थे। लेकिन वे भूल जाते है कि पिछले मोदी सरकार में 2020 में किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली पुलिस ने 42 और हरियाणा पुलिस ने 138 एफआईआर दर्ज किये, यानी एक ही आंदोलन में 180 एफआईआर दर्ज हो गये। जिसमें हजारों नेम्ड और लाखों अननेम्ड एफआईआर हुए। खुद गलत करते हैं और हमें कानून सीखाने आते हैं। क्या किसान आंदोलन पाकिस्तान में हो रहा था?

सुप्रियो ने कहा कि हमारे कंटीले तारों पर अंगूली उठानेवाले ये क्यों भूल जाते है कि उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान सड़कों पर कील ठोक दिये थे। बड़े-बड़े कंक्रीट रख दिये थे। एनएच के दोनों ओर खाइयां खुदवा दी थी। जब ऐसा हो रहा था उस वक्त हिमंता कहां थे? दरअसल भाजपावाले अब डर गये हैं, उन्हें झामुमो और हेमन्त सोरेन से डर लगने लगा है।

उन्होंने कहा कि वे बोलते हैं कि क्या मिला। अरे हमने युवाओं को रोजगार दिया। महिलाओं को सम्मान और सशक्तिकरण किया। छात्रों को अच्छी शिक्षा दी। किसानों के ऋण माफ किये। आप बताओ कि 15-15 लाख कहां गये, अरे पांच लाख आप रख लो, कम से कम दस-दस लाख ही ब्याज के साथ लोगों को दे दो। झारखण्ड का एक लाख 36 हजार करोड़ बकाया रुपये ही दिल्ली से दिलवा दो। आखिर ये गीदड़भभकी किसको दिखाते हैं।

सुप्रियो ने कहा कि कल हिमंता ने कहा कि झारखण्ड में सितम्बर तक सरकार है। अक्टूबर में चुनाव की घोषणा हो जायेगी। क्या भाजपा चुनाव आयोग की नीति -निर्धारक हो गई। हम चुनाव आयोग को आगाह करते है कि अगर हरियाणा का चुनाव स्थगित होता है, तो यह माना जायेगा कि चुनाव आयोग के फैसले राजनीति से प्रभावित होते हैं, इसका असर झारखण्ड पर भी पड़ेगा, फिर भाजपा के अनुसार झारखण्ड में चुनाव की तिथि की घोषणा की जायेगी। जिसे राज्य की जनता स्वीकार नहीं करेगी।

उन्होंने कहा कि हिमंता बताये जब लाखों किसानों पर एफआईआर दर्ज हो रहे थे तब उसे उन्होंने कहां चुनौती दिया। हिमाचल प्रदेश की एक भाजपा की सांसद ने जिस प्रकार से किसान आंदोलन को लेकर बयान दिये हैं। उस बयान को तो हम बता भी नहीं सकते। आखिर ऐसी सोच भाजपाइयों के पास कहां से आती है। उन्होंने कहा कि ये तो खैर मनाइये कि यहां हेमन्त सोरेन की सरकार है। बच गये, नहीं तो आपकी सरकार रहती तो कितनों के घर पर बुलडोजर चल जाता। यहां तो जिनके खिलाफ एफआईआर हुआ, वे अपनी बात भी रख रहे हैं।

सुप्रियो ने कहा कि जब हिमंता बोल रहे थे, तो बाबूलाल मरांडी कह रहे थे कि पुलिस ही भाजपा के लोगों को पत्थर दे रही थी, तब उनलोगों ने पत्थर चलाया। सच्चाई यह है कि जब बाबूलाल मरांडी भाषण दे रहे थे, तब आंसू गैस के गोले दागे जा रहे थे। जब बाबूलाल मरांडी भाषण दे रहे थे। उस समय तो उनके मंच के सामने कोई था ही नहीं। ले-देकर सुरक्षा गार्ड, चालक आदि मिलाकर सौ लोग नीचे खड़े थे। बाकी सारे उपद्रवी तो गुरुजी के आवास के पास पहुंच कर उपद्रव कर रहे थे। उस समय तो उनका भाषण सुनने के लिए कोई नहीं था।

सुप्रियो ने कहा कि स्थिति तो यह है कि शिवराज सिंह चौहान रात को आये और सुबह निकल गये। वे भाषण देने को तैयार ही नहीं थे और आज हिमंता को पीसी के लिए बुला लिया गया। जबकि शिवराज सिंह चौहान उस दिन के लिए मुख्य वक्ता थे। सुप्रियो ने कहा कि आपको तो जेल और आंदोलन से डर लगता है।

उन्होंने कहा कि पहली बार झारखण्ड पुलिस ने इतना धैर्य दिखाया है। आप और आपके लोग इतने उपद्रव मचाने के बाद भी आराम से अपनी-अपनी गाड़ियों पर बैठकर गये। लाठी चार्ज नहीं हुआ। नहीं तो आपलोग अपने विरोधियों पर कितना जुल्म करते हैं। वो सभी जानते हैं। आप अपने विरोधियों पर यूएपीए का इस्तेमाल करते हैं। विरोधियों को एजेंसियों के माध्यम से झूठे केस में फंसवा कर जेल भिजवा देते हैं। कई लोगों को तो बिना कोर्ट के सुनवाई के ही पांच-छः साल जेल में डलवा दिया। कम से कम झारखण्ड को शांत रहने दीजिये।