ये रांची प्रेस क्लब है भाई, यहां पत्रकारों की जमकर कुटाई, गाली-गलौज, कारण बताओ नोटिस व इस्तीफे की नौटंकी हमेशा चलती रहती हैं, इसलिए इन सबका लाभ उठाने के लिए यहां अवश्य पधारें
अगर आप पत्रकार हैं या पत्रकारों के क्रियाकलापों में दिलचस्पी रखते हैं। पत्रकारों की थुराई, पिटाई व कुटाई देखना चाहते हैं। पत्रकारों को दारु पीकर लुढ़कते-मटकते-चिल्लाते गाली-गलौज करते या कारण बताओ नोटिस या इस्तीफे की नौटंकी को देखना चाहते हैं तो फिर कहां भटक रहे हैं। रांची प्रेस क्लब में आप सभी का स्वागत है। आपको यह सब देखने के लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा। बस आपकी दिलचस्पी रहनी चाहिए।
आपके इसी दिलचस्पी को देखते हुए रांची प्रेस क्लब ने एक मार्गदर्शक मंडल भी बनाई है। जिसमें जेल रिटर्न व पियक्कड़ों को प्राथमिकता भी दी गई है। आप कहेंगे कि इसका प्रमाण। तो प्रमाण है न। इन सारे प्रमाणों को इकट्ठा करने के लिए भी आपको कहीं जाने की जरुरत नहीं। रांची प्रेस क्लब के अधिकारी ही आपको यह सब उपलब्ध करा देंगे।
नौटंकी नंबर 1
रांची प्रेस क्लब के एक अधिकारी की मदद से पलामू के कुछ पत्रकार प्रेस क्लब में कुछ दिन पहले ठहरने आये थे। लीजिये, आये तो थे ठहरने। बेचारे रांची प्रेस क्लब के दूसरे अधिकारी से उनकी बक-झक हो गई। बक-झक ऐसी हो गई कि रांची प्रेस क्लब के उक्त अधिकारी को पलामू के पत्रकारों की बात नागवार गुजरी। उस अधिकारी ने प्रेस क्लब के उपर बैठे पहले से ही कुछ लोगों को जो मस्ती में डूबे थे।
उपर में आवाज लगाई। उपर से लोग धरधराते नीचे आये और पलामू के पत्रकारों की कुटाई कर दी। पलामू के पत्रकारों को ऐसा कूटा कि बेचारे वे अपना सा मुंह लेकर चल दिये। बेचारे क्या करते। उनका इलाका था नहीं। इलाका तो रांची के पत्रकारों का था। लोग बताते है कि पलामू के जिन पत्रकारों की पिटाई हुई। उसमें एक पत्रकार रांची में सर्वाधिक बिकनेवाला अखबार से जुड़ा हुआ था।
नौटंकी नं. 2
रांची प्रेस क्लब के इतिहास में अब तक के महान अध्यक्ष सुरेन्द्र सोरेन ने एक पत्रकार चंदन वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उस नोटिस में लिखा है कि चंदन वर्मा 17 अगस्त को कमरा संख्या 104 में लगभग तीन बजे एक महिला सहकर्मी के साथ थे। इसलिए वे स्पष्टीकरण दें। अब सवाल उठता है कि क्या कोई पुरुष पत्रकार, कोई महिला सहकर्मी के साथ प्रेस क्लब के किसी कमरे में बैठा है। वो कमरा बाहर से खुला भी है।
तो यह क्या अपराध है? क्या रांची प्रेस क्लब का संविधान किसी पुरुष पत्रकार को किसी महिला पत्रकार के साथ किसी खुले कमरे में बैठने को अपराध मानता है? और अगर ऐसा नहीं हैं तो फिर कारण बताओ नोटिस का क्या मतलब? क्या आप ऐसा कर उक्त महिला सहकर्मी के उपर अंगूली नहीं उठा रहे? अब जरा रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष का कारण बताओ नोटिस पर नजर डालिये। जनाब को सदस्य लिखने नहीं आता, दुरुपयोग लिखने नहीं आता और रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष है।
नौटंकी नंबर 3
रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष ने जयशंकर कुमार को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जयशंकर कुमार पर आरोप है कि वे 21 अगस्त को छत पर शराब पी रहे थे। शराब पीकर कैंटीन स्टाफ के साथ गाली-गलौज किये। प्रेस क्लब के अध्यक्ष ने नोटिस में लिखा है कि क्लब भवन में शराब पीने पर प्रतिबंध लगा हुआ हैं, फिर उन्होंने इस नियम का उल्लंघन क्यों किया और अभद्र व्यवहार क्यों की?
जबकि ये वहीं अध्यक्ष है, जो पूर्व के अध्यक्ष के साथ मिलकर गांडेय की नवनिर्वाचित विधायक कल्पना सोरेन से मिलकर प्रेस क्लब में बार का लाइसेंस मिले, इसका अनुरोध लिखित रुप में किया था। अब समझ नहीं आ रहा कि जो व्यक्ति बार लाइसेंस के लिए व्यग्र हो। उसे क्लब में शराब पीनेवाले के खिलाफ दोष क्यों नजर आ रहा है? अंत में इस कारण बताओ नोटिस में भी काफी अशुद्धियां हैं। इसलिए मैं इसमें उन अशुद्धियों की बात नहीं कर रहा।
नौटंकी नं. 4
रांची प्रेस क्लब के सचिव पद पर विराजमान बिरसा का गांडीव अखबार के संपादक अमर कांत ने व्हाट्सएप पर एक अपनी व्यथा लिखी है। व्यथा क्या है, आप खुद पढ़िये – “मैं व्यक्तिगत कारणों से रांची प्रेस क्लब के सचिव पद के दायित्वों का निर्वहण करने में असमर्थ पा रहा हूं। अतः कार्यकारिणी के सभी सदस्यों और 1100 सदस्यों से माफी मांगते हुए मैं इस दायित्व को छोड़ना चाहता हूं।
क्लब के अध्यक्ष महोदय से सादर अनुरोध है कि कल क्लब कार्यकारिणी की विशेष बैठक बुलाकर हमारा इस्तीफा स्वीकार किया जाए। इसके लिए मैं आप सभी का आभारी रहूंगा। क्लब के सभी 1100 सदस्यों में से मुझे समर्थन देकर सचिव पद पर बैठाने वाले साथियों से भी मैं सार्वजनिक रूप से माफी मांगता हूं कि मैं उनके भरोसे और उम्मीद पर खरा नहीं उतर सका। मैं ताउम्र इस अपराध बोध के साथ ही जीवन व्यतीत करुंगा और शायद यही मेरा प्रायश्चित भी होगा।”
उसी व्हाटसएप पर एक ने लिखा कि ये इस्तीफा का खेल चलता रहेगा। लेकिन ये इस्तीफा होगा नहीं। अब सवाल उठता है कि अगर कोई सही मायनों में इस्तीफा देना चाहता है तो उसकी एक प्रक्रिया है आप उसे प्रक्रिया के तहत जाये। इस्तीफा दे और मुक्त हो जाये। लेकिन व्हाट्सएप पर इस्तीफा और अपना दीदा खोना अच्छा नहीं हैं।
सच्चाई यही है कि जब से रांची प्रेस क्लब रांची के पत्रकारों को दिया गया है। अब तक किसी ने भी ईमानदारी से इसकी बेहतरी के लिए कोशिश नहीं की और न ही रांची प्रेस क्लब से जुड़े भारी-भरकम सदस्यों ने एक बेहतर इन्सान को विभिन्न पदों के लिए चुना। जो भी चुन कर आये। उन्होंने अब तक क्या किया? उसका सुंदर उदाहरण हैं। रांची प्रेस क्लब में ये पत्रकारों की होनेवाली कुटाई, गाली-गलौज, कारण बताओ नोटिस और इस्तीफे की नौटंकियां।
K b mishra bhaiya apne bilkul sahi likha hai. Ajkal Aisa hi ho raha h.