अपनी बात

इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ढोल फंटनी तय, भाजपा कार्यकर्ताओं के आक्रोश के डर से सांसदों, विधायकों व कई दिग्गजों ने धनबाद की जिला कार्यसमिति की बैठक से बनाई दूरियां

आज प्रदेश भाजपा की ओर से झारखण्ड के कई जिलों में जिला कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में प्रदेश के महत्वपूर्ण नेताओं को भाग लेना था। पश्चिम सिंहभूम में तो इसका कमान पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और क्षेत्रीय संगठन मंत्री नागेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने संभाला। पलामू में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने संभाला और धनबाद की जिला कार्यसमिति में जिन प्रमुख नेताओं को भाग लेना था। वो धनबाद में चल रहे भाजपा के अंदर उठा-पटक और बवाल से इतने घबरा गये कि जिला कार्यसमिति की बैठक में भाग लेना ही उचित नहीं समझा।

हालांकि आयोजकों ने उनके बड़े ही सुंदर फोटो बैनर पर लगा रखे थे। खुब ढिंढोरा पीटा था। लेकिन धनबाद भाजपा में चल रही बगावत ने उन्हें ऐसा हरकाया कि वे धनबाद की धरती पर पांव तक नहीं रख सकें। एक वाक्य में कहे तो धनबाद जिला कार्यसमिति की बैठक की आज हवा निकल गई। सच्चाई भी यहीं है कि धनबाद के पूर्व व वर्तमान बड़े-बड़े पदाधिकारियों ने इसमें हिस्सा ही नहीं लिया। जिसकी चर्चा पूरे कोयलांचल में हैं।

जबकि आज की बैठक के बारे में बड़े ही गर्व से धनबाद जिला कार्यसमिति के जिला महामंत्री मानस प्रसून ने एक सूचना निकाली थी। जिसमें बताया गया था कि आज धनबाद के जोराफाटक रोड स्थित इंडस्ट्री एंड कामर्स हाउस में जिला कार्य समिति की बैठक होगी। जिसमें मुख्य रुप से राज्यसभा सांसद सह प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा, धनबाद सांसद ढुलू महतो, पूर्व सांसद पीएन सिंह, विधायक राज सिन्हा, प्रभारी विधायक प. बंगाल अग्निमित्रा पॉल, प्रदेश मंत्री सरोज सिंह, जिला प्रभारी राज कुमार श्रीवास्तव, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश सह पूर्व सांसद महेन्द्र पांडेय, पूर्व सांसद उत्तर प्रदेश डा. के पी सिंह, धनबाद विधानसभा प्रभारी विधायक पं. बंगाल दिवाकर धरामी आदि उपस्थिति होंगे।

लेकिन सच्चाई क्या है, दिये गये सूचनाओं के आधार पर प्रमुख नेताओं में सिर्फ और सिर्फ पूर्व सांसद पी एन सिंह ही दिखे। बाकी सारे बड़े नेता जैसे राज्यसभा सांसद सह प्रदेश महामंत्री व उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के प्रभारी प्रदीप वर्मा जिन्हें और कोई पहुंचे या न पहुंचे, इन्हें जरुर से पहुंचना था, ये इतने डर गये कि धनबाद से ही दूरियां बना ली। धनबाद के वर्तमान दबंग सजायाफ्ता सांसद ढुलू महतो धनबाद में रहने के बावजूद कार्यक्रम में नहीं गये। उत्तर प्रदेश के जिन सांसदों महेन्द्र पांडेय और डा. के पी सिंह का जो नाम दिया गया था। वे भी नहीं दिखे। पं. बंगाल से जिन नेताओं के आने की सूचना दी गई थी। वे भी नहीं दिखे। कुल मिलाकर जिला कार्यसमिति की बैठक टायं टायं फिस्स हो गई।

विद्रोही24 बार-बार कह रहा है कि पूरे प्रदेश में भाजपा की सिट्ठी-पिट्ठी गुम हैं। ये लोग झामुमो के दो नेता चम्पाई सोरेन व लोबिन हेम्ब्रम के आने से मस्ती में डूबे हैं। लेकिन भाजपा के कार्यकर्ताओं ने इनकी ऐसी नींद उड़ाई है कि अब ये लोग मैदान छोड़कर भाग खड़े हो रहे हैं। विद्रोही24 के गोपनीय सूत्रों का कहना है कि आज की बैठक में जिन प्रदेश कार्य समिति सदस्यों को भाग लेना था, जो धनबाद में ही रहते हैं। उन आठ लोगों में से सात लोगों ने भाग ही नहीं लिया।

जिन्होंने भाग नहीं लिया वो कोई सामान्य लोग नहीं हैं। ये प्रदेश स्तर के भाजपा नेताओं को भी पता है। जिन्होंने भाग नहीं लिया। उनके नाम इस प्रकार है – पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह, पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल, रमेश राही, रागिनी सिंह, व्यवसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक संदीप अग्रवाल, प्रियंका पॉल और सत्येन्द्र सिंह। जिला पदाधिकारियों में जिला महामंत्री धनेश्वर महतो, उपाध्यक्ष महेश पासवान, कोषाध्यक्ष प्रदीप मंडल ने भी शिरकत नहीं की और तो और मीडिया प्रभारी मिल्टन पार्थसारथी भी इस बैठक में शामिल नहीं हुए।

भाजपा के एक वयोवृद्ध कार्यकर्ता ने बताया कि वर्तमान विधायक राज सिन्हा भी इस बैठक में भाग नहीं लिये। धनबाद में जो 17 मंडल हैं, उन मंडलों अध्यक्षों में नौ मंडल अध्यक्ष नदारद रहें, जबकि ये सभी नये-नये मंडल अध्यक्ष बने हैं। आश्चर्य यह भी है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग मोर्चा के अध्यक्षों ने भी भाग नहीं लिया। निवर्तमान मंडल अध्यक्षों में से 11 मंडल अध्यक्षों ने भाग नहीं लिया।

निवर्तमान जिला कमेटी के 14 पदाधिकारियों में से 12 ने भाग नहीं लिया। जबकि ये सभी आमंत्रित थे। राजनीतिक पंडितों की मानें, तो पूरे कोयलाचंल में जो स्थिति हैं। उससे यही परिणाम निकलता दिख रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की यहां से ढोल फटनी तय है, क्योंकि केन्द्र के बड़े नेताओं ने जिस प्रकार के लोगों पर दारोमदार सौंपा है, वो किसी भी पद क्या, वो तो भाजपा मे रहने के लायक भी नहीं हैं।

लेकिन पता नहीं, आजकल भाजपा को क्या हो गया, वो लकीर के फकीर जैसे लोगों को महत्वपूर्ण पद देकर, उन्हें सांसद बनाकर सोच रही है कि हेमन्त सोरेन की सरकार को चुनौती दे देंगे। राजनीतिक पंडितों का यह भी कहना है कि किसी नेता के पार्टी बदल लेने से कार्यकर्ता भी बदल जायेंगे, ऐसा नहीं होता। सच्चाई यही है कि कार्यकर्ता, कार्यकर्ता होता है। झामुमो के कार्यकर्ता आज भी झामुमो के साथ है।

जबकि भाजपा की स्थिति उलट है। भाजपा के कार्यकर्ता अब अपनी ही पार्टी के नेताओं के गलत नीतियों का विरोध कर रहे हैं। यह विरोध कब विद्रोह में बदल गया, उपर बैठे अधिकारियों को समझ नहीं आ रहा। ये विद्रोह बता रहा है कि पार्टी की नींव हिल गई है। कोयलांचल में यह साफ दिख रहा हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने आज मैसेज दे दिया कि यहां सब कुछ ठीक नहीं, भाजपा यहां से बोरिया-बिस्तर अब बांध कर जाने को तैयार रहे।