धनबाद में कुछ ही महीने पहले पैदा हुए एक तथाकथित समाजसेवी एलबी सिंह ने भाजपा के रायशुमारी और इसके कार्यकर्ताओं व वहां के तथाकथित पत्रकारों तक की जमीर के परखचें उड़ा दिये
ये नई भाजपा है। अब यहां रायशुमारी के दौरान गाली-गलौज आम बात है। अब भाजपा के कार्यकर्ता भी थोड़े मॉडल हुए हैं। अपनी जमीर को बेचने में ये भी नेताओं के पद-चिह्नों पर चलने लगे हैं। ये तो अब कोयला तस्करों से पैसे लेकर दूसरे दलों के नेताओं को भी रायशुमारी में शामिल होने के लिए भाजपा कार्यालय तक ले आते हैं। भाजपा कार्यालय जाकर वे जब तक इनकी चलती रहती हैं तो ये शांत रहते हैं और जैसे ही इनकी चलती बंद होती हैं, ये अपने सहयोगी जो अन्य दलों के लोग होते हैं, उनके साथ मिलकर मार-पीट, हंगामा, गाली-गलौज तक शुरु कर देते हैं।
विद्रोही24 ने कल देखा कि पूरे प्रदेश में भाजपा के नेताओं ने कल टिकट के लिए रायशुमारी करवाई और उन रायशुमारी होनेवाली जगहों में कई जगहों पर हंगामा, गाली-गलौज यहां तक की हाथा-पाई, मार-पीट की नौबत तक देखी गई। जिसका गवाह बना विश्रामपुर, जामा, बोकारो, हजारीबाग, धनबाद, निरसा, झरिया आदि जैसे जगह, जो पूरे झारखण्ड के राजनीतिक दलों में चर्चा का विषय बन गये हैं।
राजनीतिक पंडित बताते हैं कि कई जगहों पर तो ऐसा भी देखा गया कि जो व्यक्ति कभी भाजपा में था ही नहीं। अचानक एक साल पहले भस्मासुर की तरह शहर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कई जगहों पर शहरों में होर्डिंग के सहारे खुद को समाजसेवी बताना शुरु कर दिया। शहर से निकलनेवाले कुछ अखबारों के प्रमुख पत्रकारों को अच्छी खासी राशि पहुंचवाई। कुछ अखबारों को भर-भर पेज प्रथम पृष्ठ पर विज्ञापन देकर, अपने लिए उन अखबारों में आरती उतरवाई। खुद को समाजसेवी प्रुव्ड करवाया।
सिर्फ पैसों के लिए सामाजिक कार्य करनेवाले सामाजिक संगठनों को कुछ राशि देकर उनसे अपने गले में माला डलवाई और फिर उसे कुकुरमुत्तें की तरह उगे यू-ट्यूबर्सों से अपना प्रचार करवाया और लीजिये नेता बन गया। मतलब एक से दो महीनों में वो इतना ताकतवर बन गया कि वो वहां के आरिजनल विधायक को ही चुनौती देने लगा। आप कहेंगे कि ये मामला कहां का हैं।
तो आप जान लीजिये। ये शत प्रतिशत मामला धनबाद का है। जहां एक एलबी सिंह नामक शख्स ने कई पुराने भाजपा विधायकों व सासंदों तथा अन्य प्रमुख भाजपा नेताओं को अपनी इन्हीं हरकतों से नाकों चने चबवाने शुरु कर दिये हैं। राजनीतिक पंडित बताते है कि ये व्यक्ति आउट सोर्सिंग चलाता है और अचानक खुद को समाजसेवी बताने लगा है, कुछ लोग पैसों की लालच में उसे समाजसेवी मान भी बैठे हैं, जबकि समाज के संभ्रांत व्यक्ति आज भी उसे समाजसेवी मानने को तैयार नहीं हैं।
कल भी ये व्यक्ति भाजपा कार्यालय में हंगामा करनेवाले कांग्रेस के धनबाद प्रखंड के उपाध्यक्ष मोजीब खान उर्फ रुप्पू और मिथुन यादव जो राजद से जुड़ा हैं, भागाबांध का रहनेवाला है, उसे बुलवाया था, ये दोनों भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ घुलते-मिलते आनन्द लेते भाजपा कार्यालय में देखे गये। सवाल उठता है कि भाजपा कार्यालय में वो भी रायशुमारी के दिन दूसरे दलों के नेताओं का क्या काम? वो कौन भाजपा कार्यकर्ता या नेता था, जो इन दोनों को बुलाया था? इससे किसका काम सधनेवाला था।
राजनीतिक पंडित बताते है कि एल बी सिंह को मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी नमक का दारोगा के एक प्रमुख पात्र पं. अलोपीद्दीन की तरह जैसे उसे लक्ष्मी पर अखंड विश्वास था, इस एलबी सिंह को भी अपने धन पर अखंड विश्वास है। उसे लगता है कि इस धन की बदौलत वो इस बार विधायक अवश्य बन जायेगा। लोग बताते हैं कि उसने अपने धन की बदौलत भाजपा के प्रदेश स्तर व केन्द्रीय स्तर के बड़े नेताओं को अपनी मुट्ठी में कर ली है। वो भाजपा कार्यकर्ताओं को कह रहा था कि आप रायशुमारी में उसका नाम भेज दो, उसकी टिकट धनबाद से कन्फर्म हैं।
उसने रायशुमारी में अपना नाम भिजवाने के लिए कार्यकर्ताओं और भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों के बीच पैसे पानी की तरह कल बहाये थे। फिर भी कुछ समर्पित भाजपा कार्यकर्ताओं के आगे उसकी एकतरफा वोटिंग की नीति धराशायी होती दिखी। कई भाजपा के प्रमुख पुराने नेताओं ने विद्रोही 24 से कहा कि भाजपा तो अब कांग्रेस से भी बदतर होती जा रही हैं।
कल की घटना ने बता दिया कि यहां भी राजद व कांग्रेस की संस्कृति ने अपनी जगह बना ली है। जब पैसा ही प्रधान है। पैसे से ही सब कुछ सिद्ध होना है तो रायशुमारी क्यों? दे दे एलबी सिंह को भाजपा के प्रदेश नेता टिकट, जीतवा दें धनबाद विधानसभा से। आखिर ऐसे लोगों का मनोबल कौन बढ़ाता है, कहीं न कहीं तो उसे प्रदेश स्तर के नेताओं ने कुछ न कुछ तो हामी जरुर ही भरी होगी।
कल की धनबाद, विश्रामपुर, जामा, हजारीबाग आदि में हुई हंगामे, गाली-गलौज की घटना से व्यथित रांची के कई भाजपा नेताओं ने विद्रोही24 से कहा कि उन्हें अब डर लगता है कि कहीं इसी प्रकार की घटना राजधानी रांची स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में न देखने को मिल जाये, क्योंकि अभी तो आग निचले स्तर पर लगी है। इसे उपर आने में कितना समय लगेगा।
जो पैसों और धनबल पर टिकट देने की परम्परा को हावी करने में लगे हैं, वे भूले नहीं कि आनेवाले समय में वे टिकट देनेलायक भी नहीं रहेंगे, क्योंकि स्थितियां बहुत ही भयंकर होनेवाली है। धनबाद की घटना से जितनी जल्दी सबक लोग ले लें। उतना ही अच्छा है, क्योंकि धनबाद में रायशुमारी में जिस प्रकार से एक व्यक्ति ने पैसे पानी की तरह बहाये, वैसा ही दृश्य रांची में भी देखने को आज भले ही नहीं मिला हो, लेकिन यहां भी ये दृश्य आज न कल जरुर देखने को मिलेगा। उसकी झलक साउंड सिस्टम, चुनरी, शॉल, लेने-देने में भी देखी जा सकती है।