अपनी बात

न हिमंता, न मरांडी, न मुंडा, न कोड़ा, न दास, न बाउरी, कोल्हान भाजपा के नेता व कार्यकर्ता अब बोलने लगे हैं, मोदी की सभा व हमारा उद्धार करेंगे, झामुमो से आये टाइगर सिर्फ चम्पाई-चम्पाई

बेड़ा गर्क हो चुका है भाजपा का और ये बेड़ा गर्क भाजपा का किसी और ने नहीं किया है। बल्कि अपना बेड़ा गर्क भाजपा ने खुद किया है। जमशेदपुर या यो कहिये पूरा कोल्हान भाजपा का गढ़ माना जाता था। लेकिन आज ये गढ़ पूरी तरह से दरक चुका है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो इसे दरकाने में भाजपा के ही प्रदेश स्तर के नेताओं की बहुत बड़ी भूमिका है। इन नेताओं को न तो खुद पर भरोसा है और न ही यहां के भाजपा कार्यकर्ताओं पर।

इसलिए ये समय-समय पर दूसरे दलों से आये नेताओं/कार्यकर्ताओं पर ज्यादा भरोसा करते हैं और ये दूसरे दल से आये नेता कब इनके ही उपर छाती पर आकर बैठ जाते हैं और उन्हें ही दरकिनार करने लगते हैं। इन्हें जब पता चलता है तो बहुत देर हो चुकी होती हैं। याद करिये कभी अर्जुन मुंडा झामुमो के नेता माने जाते थे। जैसे ही इन्होंने भाजपा में कदम बढ़ाया। देखते ही देखते बाबूलाल मरांडी के शासनकाल में महत्वपूर्ण विभाग को संभाला।

जब बाबूलाल मरांडी की सत्ता जाने लगी तो बाबूलाल मरांडी को अर्जुन मुंडा में भगवान श्रीराम के भाई भरत नजर आने लगे। बाबूलाल मरांडी ने अर्जुन मुंडा पर भरोसा किया और उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया और जब अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने तो सबसे पहले बाबूलाल मरांडी को ही इतना कमजोर  कर दिया कि बाबूलाल मरांडी को भाजपा से अलग पार्टी बनाने की आवश्यकता पड़ गई और उस वक्त बाबूलाल मरांडी को सहायता दी, दीपक प्रकाश, संजय सेठ, रवीन्द्र राय, प्रदीप यादव जैसे नेताओं ने।

लेकिन कुछ वर्षों के बाद प्रदीप यादव को छोड़कर बाकी सारे नेता एक-एक कर निकलते गये। बाबूलाल मरांडी अकेले झाविमो में पड़ गये। उनके राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी ने गेम किया और फिर बाबूलाल मरांडी फिर से भाजपा में शामिल हो गये और आज वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष है। इसी कोल्हान से भाजपा को एक से एक नेता मिले, जो मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे।

कोई विवादों में फंसा तो कोई इतना चालाक था कि विवादों में रहने के बावजूद भी वो विवाद में फंस नहीं सका। दरअसल वो यहां मीडिया में काम करनेवाले चालाक संपादकों और उनके मालिकों तक का ख्याल करता था और उन्हें जो चाहिए था। वो चीजें थमा दिया करता था। चाहे वो कोयले की खान हो या सोने की खान ही क्यों न हो। जरा देखिये न। इसी इलाके से हैं रघुवर दास, अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा ये कभी मुख्यमंत्री पद की शोभा तक बढ़ा चुके हैं।

लेकिन आज स्थिति यह है इनकी ये यहां से विधानसभा का चुनाव तक नहीं जीत सकते। इसलिए इन्हें फिर से एक नेता की जरुरत पड़ी। पता चला चम्पाई सोरेन को झामुमो से परेशानी हो रही हैं। भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं को प्रदेश स्तर के नेताओं और कुछ घटियास्तर के मीडियाकर्मियों ने बातें पहुंचाई। इन सब को लगा कि कोल्हान में भाजपा की डूबती नैया को फिलहाल चम्पाई सोरेन ही बचा सकते हैं। इसलिए उन्होंने किसी की राय नहीं ली। आव देखा न ताव। चम्पाई को भाजपा में मिला लिया।

चम्पाई के भाजपा में आते ही लोबिन भी उछलकर भाजपा में आ गये। अब चूंकि केन्द्र व प्रदेश के नेताओं को चम्पाई पसन्द हैं तो लोकल कार्यकर्ता क्या करेंगे? उन्होंने भी पाला बदला और चम्पाई दादा, टाइगर चम्पाई की शरण में जाकर उनकी जय-जय करने लगे। ये लोकल भाजपा नेता व कार्यकर्ता तो यहां तक कहने लगे कि कोल्हान में न मोदी, न मरांडी, न मुंडा, न कोड़ा, न दास, न बाउरी, हमारा उद्धार और कष्ट हरेंगे, झामुमो से आये टाइगर, सिर्फ चम्पाई-चम्पाई।

चम्पाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने से वर्तमान में जो भी भाजपा के बड़े नेता हैं, फिलहाल कोल्हान में उनके आगे बौने साबित हो रहे हैं। किसी की हिम्मत नहीं हो रही कि चम्पाई सोरेन को नजरंदाज कर यहां कोई निर्णय ले लें। स्थिति ऐसी है कि जो कल प्रधानमंत्री की सभा में सीटिंग एरेजमेंट हुई हैं। उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बायें चम्पाई सोरेन और दायें बाबूलाल मरांडी बैठेंगे। पूरा मंच झामुमो से आये नेताओं द्वारा पटा होगा। उस मंच पर प्रदेश स्तर का कोई खांटी भाजपा नेता नहीं दिखेगा, जो यह कह सकें कि उसकी आरिजिन भाजपा से हैं।

वो भाजपा छोड़कर किसी अन्य दल में नहीं गया और न अन्य दल से आया है। जहां भाजपा की सभा होगी। वो मैदान की क्षमता भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुकूल नहीं हैं। उस मैदान की क्षमता ही 40 से 45 हजार की है। अगर वहां भीड़ आयेगी भी तो चम्पाई सोरेन की कृपा से ही आयेगी, न कि भाजपा नेताओं की पौरुष बल पर। लोग तो यह भी कह रहे हैं कि जैसे ही यहां सभा समाप्त होगी, चम्पाई सोरेन भी चार्टड प्लेन से दिल्ली के लिए रवाना हो जायेंगे।

सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेता आज से ही जमशेदपुर में डेरा-डंडा जमा चुके हैं। इन सभी ने अल्कोर होटल और दयाल होटल को अपना वर्तमान ठिकाना बनाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कौन मिलेगा, उक्त पास को पाने के लिए कई लोग दिमाग लगा रहे हैं, पर ये जिम्मा प्रदेश संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह के जिम्मे हैं। बताया जा रहा है कि मंडल अध्यक्षों को प्रधानमंत्री की सभा में भीड़ लाने के लिए वाहनों व भोजन आदि की व्यवस्था के लिए भरपूर पैसे थमा दिये गये हैं।

लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि मंडल अध्यक्षों की इतनी ताकत नहीं कि एक आदमी भी सभा स्थल तक ला सकें। इसलिए ये सभी चम्पाई सोरेन द्वारा लाई जानेवाली भीड़ पर ही अपना दिमाग टिका चुके हैं। सूत्र बता रहे हैं कि राज्यसभा सदस्य प्रदीप वर्मा ने पीएम मोदी की सभा को लेकर सह प्रभारी अपने खासम खास नंदजी प्रसाद को बना दिया है। जबकि बाबूलाल मरांडी ने रोड शो का सह प्रभारी चंचल गर्ग को बना दिया है, जो कभी कांग्रेस पार्टी के डा. अजय कुमार के खासमखास थे।

इधर जमशेदपुर के वरीय अधिवक्ता व समाजसेवी सुधीर कुमार पप्पू प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कल की यात्रा पर कहते हैं कि झारखंड में भारतीय जनता पार्टी अंतिम सांस ले रही है अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑक्सीजन देने आ रहे हैं। मृत शैय्या  पर पड़े भाजपा को अब ऑक्सीजन भी काम नहीं करेगा। झारखंड भाजपा में कोई ऐसा नेता नहीं है जो डूबती नाव को पार करवा दे। दूसरे दलों से नेताओं को लाकर इज्जत बचाना चाहती है भाजपा।

कहने के लिए विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है भाजपा, परंतु दूसरे दलों से नेताओं को लाया जा रहा है और उसे मुख्यमंत्री और कैबिनेट मिनिस्टर बनाया जा रहा है यही हालत हो गई है भाजपा की। कोल्हान प्रमंडल में 14 विधानसभा क्षेत्र है। हैरत इस बात की है कि भाजपा के पास एक भी सीट नहीं है। उनका कहना है कि पहले से भाजपा में जो कथित तौर पर कद्दावर नेता है वह पार्टी नेतृत्व की नजर में कोई काम के नहीं है अब भाजपा नेतृत्व की नजर झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस नेताओं के ऊपर लगी हुई है ताकि उन्हें भाजपा में लाकर कुछ सीटे जीती जा सके। निराशा और हताश भाजपा नेता झारखंड में कमजोर महसूस कर रहे हैं। डूबते को तिनका  सहारा इसीलिए झामुमो नेता चंपई सोरेन के ऊपर दांव खेलना चाहती है। परंतु भाजपा का सभी प्रयास विफल होगा।