अपनी बात

ये है ओडिशा के भाजपा सरकार का असली चेहरा, जो जगन्नाथपुरी के समुद्र तट पर शराब परोसने की अनुमति देती है, जब शंकराचार्य व सामाजिक संगठन विरोध करते हैं तो अपना फैसला वापस लेती है

ये भाजपावाले कांग्रेस से भी गये गुजरे हैं। ये कहने को तो हिन्दू धर्म व संस्कृति की रक्षा करनेवाले खुद को बताते हैं। लेकिन मौका मिलने पर ये हिन्दू धर्म की संस्कृति को नष्ट करने से भी बाज नहीं आते। जरा देखिये, ओडिशा की भाजपा सरकार को, चली थी पुरी समुद्र तट पर शराब परोसने, लेकिन जैसे ही पुरी के जगद्गुरु शंकराचार्य और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया, राज्य की भाजपा सरकार बैकफुट पर चली गई और अपना आदेश वापस ले ली।

ज्ञातव्य है कि ओडिशा की भाजपा सरकार ने पुरी समुद्र तट पर शराब परोसने के लिए झोपड़ियां स्थापित करने का निर्णय लिया था। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यटकों के मनोरंजन और राजस्व को बढ़ाने के लिए समुद्र, नदियों, झीलों और बांधों के पास स्थापित झोपड़ियों को शराब परोसने की अनुमति देना था। लेकिन जैसे ही इसके लिए बोलियां निकाली गई, इसका विरोध शुरु हो गया।

पुरी के शंकराचार्य ने इसे राष्ट्र के लिए कलंक, विप्लवकारी और अराजकता को बढ़ावा देने वाला बता दिया। जबकि इसके विरोध में कई सामाजिक संगठन सड़कों पर भी उतर गये। ज्ञातव्य है कि पुरी को लोग पर्यटन स्थल कम, आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में ज्यादा देखते हैं। पुरी के शंकराचार्य तो कहते है कि इस आध्यात्मिक केन्द्र को सिर्फ पर्यटन के दृष्टिकोण से देखा जाना बहुत ही गलत है।

वे कहते है कि वे तो इसके आध्यात्मिक स्वरूप को जानते हुए समुद्र आरती के पक्ष में थे। लेकिन ओडिशा सरकार की यह वर्तमान नीति घोर आपत्तिजनक है। उन्होंने इस बात को बार-बार कहा कि जगन्नाथ धाम मनोरंजन का स्थान कभी हो ही नहीं सकता। ये तो आध्यात्मिक और आत्मदर्शन का केन्द्र बिन्दु हैं। लेकिन इसे वही समझ सकता जिसे अध्यात्म का ज्ञान हो। हालांकि भारी विरोध के बाद ओडिशा सरकार ने अपना फैसला बदल लिया है। लेकिन उसकी इस हरकत ने ये तो जनता के सामने परिलक्षित कर दिया कि सरकार के अंदर क्या चल रहा हैं और वो पुरी को किस रूप में देखती हैं।