वन नेशन वन इलेक्शन का फैसला लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्वस्त करेवाला, साम्राज्यवाद का विस्तार करनेवाला तथा अधिनायकवाद को बढ़ानेवाला, झामुमो इसे बर्दाश्त नहीं करेगाः सुप्रियो भट्टाचार्य
एक देश दोहरी नागरिकता, खास धर्म और विचार के लोग वोट करेंगे और खास धर्म और विचार जो उनको नहीं मानते, उन्हें वोट का अधिकार नहीं होगा, ये वन नेशन वन इलेक्शन के बाद का सोच है। इस इशारे को हम समझ चुके हैं। इस इशारे के खिलाफ जो आंदोलन होगा, उसमें झामुमो शामिल होगा। ये वक्तव्य है, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य का। जो आज संवाददाता सम्मेलन में कह रहे थे।
ज्ञातव्य है कि आज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की केन्द्रीय सरकार ने कैबिनेट में फैसला लेते हुए वन नेशन, वन इलेक्शन को मंजूरी दे दी है। केन्द्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व में बनी इस संबंध में कमेटी द्वारा दिये गये प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया। जिसका विरोध झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेता कर रहे हैं। झामुमो का कहना है कि यह फैसला लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण, लोकतांत्रिक व्यवस्था को ध्वस्त करनेवाला, साम्राज्यवाद का विस्तार करनेवाला और अधिनायकवाद को स्थापित करनेवाला सिद्ध होगा।
सुप्रियो ने कहा कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव के बाद ही अपनी इस मंशा को जमीन पर उतारने का फैसला ले चुकी थी। यह फैसला भारत के महान राजनीतिज्ञों के विचारों और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। वन नेशन-वन इलेक्शन 2029 से अपने असली स्वरूप में आ जायेगा।
सुप्रियो ने कहा कि यह फैसला आदिवासी परम्परा, उनकी सामुदायिकता, सामूहिकता तथा इसके मूल के खिलाफ है। यह भारत देश की प्राचीन लोकतांत्रिक व्यवस्था जो वैशाली के जनतंत्र को परिभाषित करती है। उस व्यवस्था के खिलाफ है। यह हमारी प्राचीन परम्परा पर कुठाराघात है, असंभव और अतार्किक है। इससे कइयों के अधिकार सीमित हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि जहां 2028 व 2027 में सरकारें समाप्त होंगी, बचे हुए दो सालों में ये खुद वहां राज्य करेंगे और अपनी मनमुताबिक 2029 तक सरकार बनवा लेंगे।
सुप्रियो ने कहा कल तक ये 100 दिन की अपनी सरकार बनाने का वाहवाही लूट रहे थे और आज कैबिनेट के इस फैसले से भारत के संविधान को तितर-बितर करने का फैसला ले लिया। झामुमो इसे सहन नहीं करेगा। सर्वशक्तिमान कोई राजा बनना चाहेगा तो यह लोकतंत्र में नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव हारने के बाद जानबूझकर अपना सत्ता हासिल करने के लिए ये नई परम्परा शुरु करने की होड़ भाजपा ने शुरू की है।
सुप्रियो ने कहा कि भाजपा ने अपने इस फैसले से बता दिया कि वे देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं। इन्होनें बता दिया कि देश का अगला स्वरुप कैसा होगा। सारा देश जानता है कि यहां कई धर्म और कई भाषाएं तथा हर राज्य में उसके अनेकानेक पर्व है। ऐसे में वन नेशन वन इलेक्शन की परिपाटी कभी यहां चल ही नहीं सकती। ये कहते है कि इससे वोट परसेन्टेज बढ़ेगा। जबकि केन्द्र व राज्य के चुनाव के मुद्दे अलग-अलग होते हैं।
सुप्रियो ने कहा कि यहां पिछले लोकसभा चुनाव में तो वोट पड़े कुछ और वोटों की गिनती के परसेन्टेंज हो गये कुछ? उन्होंने कहा कि यहां सभी जानते है कि लोकसभा चुनाव में मतदान का राष्ट्रीय औसत 66 से 67 प्रतिशत होता है, जबकि राज्य विधानसभा चुनाव में यह प्रतिशत 90 तक हो जाता है। उन्होंने कहा कि जिस भाषा की अपनी लिपि है, उस भाषा को अपना लिपि देने की कोशिश नहीं करें। भाजपा जिस आग को लेकर चल रही हैं, वहीं आग भाजपा को एक दिन समाप्त कर देगी।