CM हेमन्त सोरेन ने PM मोदी से लेकर उनके सारे कैबिनेट मंत्रियों, भाजपा शासित राज्यों के CM/EX-CM तथा प्रदेश के नेताओं की परिवर्तन यात्रा के नाम पर हो रही सभा/रैली को अकेले धो दिया
आप मानें या न मानें, आपकी मर्जी। अगर आप भाजपा के समर्थक हैं तो हो सकता है कि आपको यह समाचार गलत लगे। अगर झामुमो के समर्थक हैं तो आपको यह समाचार आपके अंदर उत्साह भी भर सकता है। अगर आप किसी दल से नहीं हैं, न्यूट्रल है तो फिर आपकी बात ही अलग है। लेकिन सच्चाई यही है, कि झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर उनके सारे कैबिनेट मंत्रियों, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों/पूर्व मुख्यमंत्रियों तथा प्रदेश भाजपा के नेताओं की परिवर्तन यात्रा के नाम पर हो रही सभा रैली को अकेले धो दिया है। राजनीतिक पंडितों की भाषा में भाजपा के उपर से लेकर नीचे तक की नेताओं की नींद उड़ा दी हैं।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा की सभा में जो भीड़ आ रही हैं। वो व्यक्ति विशेष द्वारा ढो कर लाई जा रही हैं, जैसे की जमशेदपुर में पीएम की सभा में भाजपा की ओर से भीड़ नहीं लाई गई, ये सारी भीड़ चम्पाई सोरेन की ओर से थी और यही घटनाएं सभी जगह घटित हो रही है। जिसका कारण है कि इनकी सभा में जो लोग आ रहे हैं, उनके चेहरे पर वो उमंग, वो उत्साह वो पार्टी के प्रति समर्पण नहीं दिख रहा, जबकि इसके उलट राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जहां भी जा रहे हैं।
उनकी सभा में तो भीड़ आ ही रही हैं। जिधर से वे गुजर रहे हैं। उस रास्ते में भी बड़ी संख्या में लोग, उन्हें रोककर उनसे बातें करना चाह रहे हैं। इनकी सभा में भी लोगों के चेहरे पर उमंग, उत्साह तथा झामुमो के प्रति आकर्षण साफ दिख रहा हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो यह उत्साह ऐसे ही नहीं आया है। हेमन्त सोरेन ने कुछ ऐसा किया है, जो अब दिखने लगा है। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा शुरु की गई सर्वजन पेंशन योजना, मंईयां सम्मान योजना, अबुआ आवास योजना, किशोरी समृद्धि योजना ऐसी अनेक योजनाएं हैं। जो लोगों को हेमन्त सोरेन के निकट ले आई है। हाल ही में 200 यूनिट बिजली मुफ्त कर देने के ऐलान ने तो भाजपा की ऐसी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जिससे भाजपा को त्राण मिलना मुश्किल दिख रहा है। साथ ही पूरे प्रदेश के सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम दे देने से भी हेमन्त सोरेन की राहें आसान हो चली है।
राजनीतिक पंडित तो साफ कहते हैं कि अब तो राज्य की जनता भी ये कहने लगी है कि अकेले हेमन्त सोरेन के खिलाफ पूरी भाजपा ब्रिगेड ने अपनी फौज उतार दी है। जिसमें पीएम मोदी तो हैं ही, उनके सारे कैबिनेट के मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री भी लगे हुए हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो जिस माहौल को लेकर भाजपा ने परिवर्तन यात्रा की शुरुआत कर माईलेज लेने की कोशिश की थी। अब यही उनके लिए काल भी बनती जा रही हैं। यहीं कारण है कि इन भाजपा नेताओं की सभा में भीड़ न के बराबर आ रही हैं और जो आ भी रही हैं, वो उनके द्वारा लाई जा रही हैं, जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं।
राजनीतिक पंडितों का यह भी कहना है कि भाजपा के कार्यकर्ता तो पहले से ही पार्टी के कार्यक्रमों से दूरियां बना चुके हैं। यहीं कारण हैं कि रांची, जमशेदपुर, धनबाद, दुमका, पलामू, गुमला, हजारीबाग आदि शहरों में समर्पित भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यक्रमों से स्वयं को दूर कर लिया है। अगर यही स्थिति चुनाव तक रही तो भाजपा पूरे झारखण्ड में दस से पन्द्रह सीटों पर सिमट जायेगी। राजनीतिक पंडित ये भी कहते हैं कि भाजपा ने परिवर्तन यात्रा के नाम पर पूरी फौज झारखण्ड में उतार दी है। लेकिन महागठबंधन के नेताओं में कोई सुगबुगाहट तक नहीं दिख रही। उसके बावजूद झारखण्ड में अकेले हेमन्त सोरेन ने मोर्चा संभाल रखा है।
मतलब साफ है कि हेमन्त रूपी अर्जुन इस बार झारखण्डी जनता रुपी कृष्ण को सारथि बनाकर भाजपा से लड़ने के लिए निकल पड़ा हैं। जीत अवश्मभावी है। कहा गया है, यतो धर्मः ततो जयः। भाजपा ने तो धर्म को उसी दिन निकाल कर फेक दिया था। जब उसके नेताओं ने नौ महीने तक जेल में रहे एक घटियास्तर के मीडिया के नाम पर सभी को धोखा देनेवाले के घर में जाकर भोज में शामिल हुआ, जबकि भाजपा के ही एक बड़े नेता ने उस व्यक्ति के खिलाफ केन्द्र सरकार को एक्शन लेने के लिए अनुरोध किया था।
अब तो देखा जा रहा है कि पूरी केन्द्र सरकार ही उस व्यक्ति की जय-जयकार कर रही है। उसके चरणों पर बलिहारी है। अब तो उसे स्कॉट भी दिया जा रहा है। इससे बड़ा कुकर्म और दूसरा हो भी नहीं सकता। भ्रष्टाचार के नाम पर मधु कोड़ा और हरिनारायण राय जैसे लोगों के खिलाफ हमेशा लड़ते रहनेवालों के पास अंत में जाकर उनके चरणोदक तक स्वीकार कर लिये गये और जो भ्रष्टाचार से हमेशा लड़ता रहा। जनहित याचिका दायर करता रहा। उसे दूध में पड़ी मक्खी की तरह बाहर निकाल दिया।
राजनीतिक पंडित कहते हैं कि सच पूछा जाय तो हेमन्त सोरेन को जनता ने पांच साल के लिए चुना था। लेकिन दो साल तो कोरोना के कारण उन्हें काम करने का मौका ही नहीं मिला। जब कोराना शांत हुआ तो इन्होंने काम करने की कोशिश की और जैसे ही काम करने की कोशिश की भाजपा और उनकी टीम ने उन्हें काम करने ही नहीं दिया। उलटे उन्हें कई आरोपों में फंसाने का षडयंत्र रचा। राज्यपाल तक हेमन्त सोरेन को चैन नहीं लेने दिये। कहनेवाले तो ये भी कहते हैं कि केन्द्रीय एजेंसियों को इनके खिलाफ लगा दिया गया। जेल तक भेज दिये गये। उसके बाद भी हेमन्त सोरेन की जनता के बीज स्वीकार्यता व लोकप्रियता बता देती है कि भाजपा के लिए झारखण्ड में फिर से सत्ता प्राप्त करना कितना कठिन है।
राजनीतिक पंडित कहते हैं कि भाजपा ने अपनी राह आसान बनाने के लिए हालांकि माहौल बनाने की जमकर कोशिश कर रही हैं। वो इसके लिए रांची से प्रकाशित अखबारों को मुंहमांगी विज्ञापन भी थमा रही हैं। अखबार वाले भी ईमानदारी के साथ भाजपा का जमकर प्रचार कर रहे हैं। उसका प्रमाण यही है कि अमित शाह की सभा साहेबगंज में होती है और एक पेज विज्ञापन के बदले, रांची से प्रकाशित अखबार प्रभात खबर अमित शाह को एक पेज अलग से रांची में समर्पित करता है। ये कोई भी देख सकता है।
आप इधर के प्रभात खबर को देख लीजिये तो आपको पता लग जायेगा कि झामुमो को कितना प्रतिशत जगह दी जा रही है और भाजपा को कितना प्रतिशत जगह दिया जा रहा है। यहां तो देखने में आ रहा है कि भाजपा का वो नेता जिसका कोई जनाधार नहीं हैं, जिसे गली-कूची के लोग भी नहीं जानते, उसके समाचार को भी खूब स्थान दिया जा रहा है, जबकि झामुमो के नेताओं के समाचारों पर खूब कैचियां चल रही है। अब चूंकि चुनाव आ गया है। तो ऐसे समय में अखबार वाले भी अपनी कसर निकालेंगे ही। उन्हें कसर निकालने का पूरा हक है। लेकिन जनता तो जनता है। वो तो 2019 में भी इन अखबारों की हरकत देखी थी और आज भी देख रही हैं। वो तो निर्णय वहीं देगी, जो मन बना चुकी है। जो दीख रहा है। मतलब आप समझ ही गये होंगे।