अपनी बात

धनबाद में जिन भाजपा नेताओं के पॉकेट भारी थे, उन्होंने जमकर राजनाथ सिंह के कार्यक्रम के मजे लिये, अपनी वाह-वाही कराई और जिनके पास पैसे नहीं थे, उनको पूछनेवाला भी कोई नहीं था

उपर दिये गये होर्डिंग को ध्यान से देखिये। यह होर्डिंग बताने के लिए काफी है कि धनबाद में पैसा कैसे भाजपा के नेताओं पर सिर चढ़कर बोल रहा है और कैसे पैसे के बल पर लोग पार्टी के महत्वपूर्ण पदों को लेकर पार्टी के पद तक का तौहीन कर रहे हैं और पार्टी को भी शीर्षासन कराने पर लगे हैं। ये होर्डिंग कोई ज्यादा दिन का नहीं है। बस दो दिन पहले का है। जब राजनाथ सिंह परिवर्तन रैली को संबोधित करने के लिए धनबाद आनेवाले थे।

जरा देखिये, इस होर्डिंग में नित्यानन्द मंडल के नाम के नीचे क्या लिखा है? लिखा है – नित्यानन्द मंडल, भारतीय जनता युवा मोर्चा, जिलाध्यक्ष ग्रामीण, जबकि ये व्यक्ति महानगर का जिलाध्यक्ष है। इस होर्डिंग में अगर नाम व फोटो होना चाहिए था तो मनीष साव का, क्योंकि मनीष साव ही भारतीय जनता युवा मोर्चा ग्रामीण का अध्यक्ष है। लेकिन इस व्यक्ति ने पैसे के बलबूते पर मनीष साव का हक छीन लिया और ग्रामीण इलाके में भी स्वयं को अध्यक्ष बनाकर पेश  किया।

अब इसके ठीक में जो बगल में एक व्यक्ति का हाथ जोड़े फोटो दिख रहा है। ये नित्यानन्द मंडल का पिता है। ये व्यक्ति धनबाद महानगर भाजपा का कोषाध्यक्ष है। नाम है – प्रदीप मंडल। लेकिन इस व्यक्ति ने पार्टी द्वारा दिये गये पद का नाम न देकर, अपने को अपने हास्पिटल का चेयरमेन शो करने में ज्यादा ध्यान दिया, देखिये उसके नाम के नीचे क्या लिखा है।

लिखा है – जेपी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, ताकि लोग इसे धन्नासेठ समझते हुए आदर दें तथा ये स्वयं को भी धनबाद का अतिप्रतिष्ठित व्यक्ति शो कर सकें। भाजपा के ही कई नेता/कार्यकर्ता बताते हैं कि ये व्यक्ति प्रदीप मंडल विवादास्पद है। इस पर कोरोनाकाल में जो इसके अस्पताल में इलाज हुआ था, सरकारी अनुदान पर, वो जांच के जद में हैं।

यही नहीं, इन दोनों बाप-बेटे ने अपना-अपना फोटो तो इस होर्डिंग में देकर खुद को खुब चमकाया। लेकिन अपने ही इलाके के जिलाध्यक्ष श्रवण राय का फोटो होर्डिंग से गायब करवा दिया। शायद ये दोनों सोचे होंगे कि माल तो उनका खर्च हो रहा है। ऐसे में अपने माल से खर्च होनेवाले होर्डिंग पर जिलाध्यक्ष का फोटो क्यों डालें?

यहीं नहीं राजनाथ सिंह के आने के पहले रांची से पहुंचे दीपक प्रकाश ने सर्किट हाउस में बैठक ली थी। जिसमें उन्होने आदेश जारी किया था कि जो भाजपा धनबाद के निवर्तमान पदाधिकारी है, वे राजनाथ सिंह का एयरपोर्ट पर स्वागत करेंगे और जो वर्तमान पदाधिकारी है। वे मंच के पास राजनाथ सिंह का स्वागत करेंगे। लेकिन प्रदीप मंडल ने दीपक प्रकाश के आदेश को चूना लगाते हुए बड़े ही शान से एयरपोर्ट पर पहुंच कर राजनाथ सिंह का स्वागत करनेवालों में खुद को शामिल करवा लिया।

यही नहीं इस व्यक्ति ने अपने हास्पिटल के एक कर्मचारी सुमन कुमार मंडल के लिए भी भीभीआईपी पास की व्यवस्था कर डाली, जबकि सुमन कुमार मंडल न तो भाजपा का कार्यकर्ता है और न ही कोई भाजपा का पदधारी। यानी पैसे के बल पर वो हुआ, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। सूत्र बताते हैं कि प्रदीप मंडल ने एयरपोर्ट पर राजनाथ सिंह के स्वागत के लिए इसलिए पहुंचा था ताकि वो धनबाद के प्रशासनिक अधिकारियों को दिखा सकें कि उसका भाजपा में कितना बोलबाला है और वो कितना पावर रखता है कि भीभीआईपी क्लास तक में शामिल है।

सूत्र बताते हैं कि दीपक प्रकाश के उक्त आदेश की धज्जियां उड़ती रही, जिसमें उन्होंने कहा था कि निवर्तमान पदाधिकारी एयरपोर्ट पर राजनाथ सिंह का स्वागत करेंगे। लेकिन वहां निवर्तमान पदाधिकारियों की संख्या आधा से भी कम थी, क्योंकि जानबूझकर वर्तमान पदाधिकारियों जिनको ये आदेश दिया गया था कि वे निवर्तमान पदाधिकारियों को इस बात की जानकारी दे दें। उन्होंने निवर्तमान पदाधिकारियो को इस बात की जानकारी ही नहीं दी।

आश्चर्य यह भी था कि वीरु आनन्द सिंह जो भाजपा के गिरिडीह जिला प्रभारी बनाये गये हैं, जो पूर्व विश्वविद्यालय छात्र संघ हजारीबाग के अध्यक्ष तक रह चुके हैं। वे एक अदना सा पास के लिए तरस गये। लेकिन उन्हें पास नहीं मिला। तो पास किसे मिला, जो पैसों से मजबूत थे या जिनकी पैरवी थी। हालांकि भाजपा के कई कार्यकर्ता इस बात को लेकर सोशल साइट पर आज भी मुखर हैं और वे अपने जिलास्तरीय नेताओं व प्रदेश के नेताओं को जमकर कोस रहे हैं। लेकिन शर्म तो उन्हें होंगी, जो शर्म का मतलब भी समझते हो। जिन्हें शर्म है ही नहीं। भला उन्हें शर्म से क्या मतलब?

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