अपनी बात

झारखण्ड में अपने समूल नाश की ओर बढ़ती भाजपा और इसे समूल नाश की ओर बढ़ाने में दिल से लगे नष्ट हो चुकी झाविमो तथा अन्य दलों से आये नेता

आप मानें या न मानें आपकी मर्जी। लेकिन यह ध्रुव सत्य है। झारखण्ड में भाजपा अपने समूल नाश की ओर बढ़ती दिख रही है। इसे समूल नाश की ओर बढ़ाने में कोई दूसरे लोग नहीं लगे हैं। बल्कि वही लोग हैं, जो अभी भाजपा में हैं। लेकिन पूर्व में झाविमो के कर्णधार थे। झाविमो के सर्वेसर्वा थे। भाजपा को समूल नष्ट करने में वे भी लगे हैं, जो कांग्रेस या झामुमो से आये हैं, ये भी अपनी ओर से भाजपा समूल नष्ट यज्ञ में अपनी ओर से बड़े प्रेम से प्रेमाहुति देते जा रहे हैं, तथा इस भाजपा समूल नष्ट यज्ञ को अपनी आंखों से देखने के बावजूद भी भाजपा के समर्पित नेता व कार्यकर्ता कुछ कर पाने की स्थिति में न होने के कारण अपने आप में सिमटते जा रहे हैं।

जरा देखिये। अभी कहने को तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी है। लेकिन सच्चाई यही है कि प्रदेश अध्यक्ष का काम दीपक प्रकाश ने संभाल रखी है। बाबूलाल मरांडी ने सारा काम दीपक प्रकाश को सौंप रखा है। इसलिए भाजपा में जो भी फेरबदल हो रहा है, मतलब किसे कहां रखना है और कहां उठाकर फेंकना है। ये सारा काम दीपक प्रकाश देख रहे हैं और इसमें सहयोग कर रहे हैं संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह और प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा। जिसका कोई जनाधार नहीं हैं। ऐसे तो जनाधार दीपक प्रकाश की भी नहीं हैं।

वो अगर किसी नुक्कड़ में सभा करने चले जाये तो उन्हें सुनने को दस लोग भी नहीं मिलेंगे। परन्तु बाबूलाल मरांडी के हमेशा से प्रिय रहे हैं। झाविमो में भी दोनों जमकर एक साथ काम किये हैं। इसलिए दीपक प्रकाश से अभी भाजपा में कौन टकरायेगा। अब नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी को देख लीजिये। कभी ये भी झाविमो में ही रहे हैं। मनीष जायसवाल जो लोकसभा का चुनाव हजारीबाग से लड़े। वे भी कभी झाविमो में थे।

मतलब जो कभी झाविमो में रहे हैं और अभी भाजपा में आ गये हैं। इन सभी का एक ही मकसद हैं कि जो पूर्व में झाविमो में रहे हैं और अभी भाजपा में आ गये हैं। उन्हें किसी न किसी प्रकार से भाजपा के माध्यम से ऐसी जगह स्थापित कर देना, जिससे भाजपा कभी जिंदगी में खड़ी न हो सकें, तथा उनके लोग भाजपा के ही कार्यकर्ताओं के माथे पर बैठकर सत्ता सुख का आनन्द ले सकें।

राजनीतिक पंडित कहते हैं कि बाबूलाल मरांडी को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहने को रबर स्टाम्प कहना भी रबर स्टाम्प का अपमान है। उन्हें इतनी बुद्धि जरुर है कि कैसे किस पार्टी को रसातल में ले जाना है और कैसे अपने लोगों को उस जगह पर प्रतिस्थापित कर देना है। जिससे उनके दिल में चल रही सारी भावनाएं मूर्त्तरुप ले लें और कह सके कि हमने जो सोचा था, उसे आज पूरा कर लिया।

राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि जिसे भाजपा, परिवर्तन यात्रा कह रही है। दरअसल वो सचमुच में परिवर्तन यात्रा ही तो हैं। भाजपा पूरी तरह से परिवर्तत हो गई है। भाजपा को अब आप झाविमो भी कहें तो कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि कोई ऐसा जिला या कोई ऐसा लोकसभा या विधानसभा क्षेत्र नहीं हैं, जहां भाजपा के नेताओं की जगह झाविमो के नेताओं ने स्थान नहीं ले लिया है और अगर कही स्थान नहीं लिया हैं।

इसका मतलब है कि उस इलाके में झाविमो के लोग पूर्व में नहीं थे। नहीं तो जो झाविमो से जुड़ा रहा, उसके लिए बाबूलाल स्वयं को भी दांव पर लगाने से नहीं चूक रहे। दीपक प्रकाश, अमर बाउरी, मनीष जायसवाल जैसे लोग उसके प्रमाण है। आनेवाले विधानसभा चुनाव में भी टिकट देने में उसे ही प्राथमिकता दी जायेगी, जो पूर्व में झाविमो से जुड़ा रहा है। इसके लिए अभी से ही झाविमो और थैलीशाह लगे हुए हैं। जबकि भाजपा के खांटी नेता व कार्यकर्ताओं के लिए दिल्ली दूर साबित हो रही है।

राजनीतिक पंडित कहते हैं कि भाजपा सोच रही है कि वो ईडी और सीबीआई का हौव्वा खड़ा कर आम लोगों की चेतना को बदल देंगी। ऐसा अब यहां संभव नहीं। लोगों को पता लग चुका है कि हेमन्त को जेल भेजना एक षडयंत्र के सिवा कुछ नहीं। हेमन्त सोरेन व झामुमो के लिए अच्छी बात यह है कि नित्य प्रतिदिन खोखली होती भाजपा को भाजपा में शामिल ही लोग खोखले करते जा रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ता तो कब के भाजपा से दूर हो गये। भाजपा के कार्यकर्ता जान चुके हैं कि अभी भाजपा में झाविमो और अन्य दलों से आये कार्यकर्ताओं और नेताओं की पुछ हैं। इसलिए वे लगातार इन सब से दूरियां बनाते चले जा रहे हैं। भाजपा की परिवर्तन यात्रा में आम जनता का दूरी बना लेना इसी का प्रमाण है।

राजनीतिक पंडित यह भी कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा क्या कर लेंगे? जब भाजपा को बर्बाद करने में भाजपा के ही लोग लगे हुए हैं। राजनीतिक पंडित कहते हैं कि वे समझ रहे थे कि 23 अगस्त को भाजयुमो की रांची में रैली और 15 सितम्बर को जमशेदपुर में पीएम मोदी की रैली में भीड़ नहीं जुटने से भाजपा के शीर्षस्थ नेता अपना दिमाग लगायेंगे। लेकिन भाजपा के लोग जब इतने पर ही संतुष्ट हैं तो क्या कहा जाये। उधर हेमन्त सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की मंईयां सम्मान यात्रा में उमड़-घुमड़ रही भीड़, विधानसभा में किस पार्टी की संख्या बढ़ने जा रही हैं। बताने के लिए काफी है।

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