अपनी बात

भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं ने उठाए सवाल, परिवर्तन रैली के मंच पर संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह क्यों बैठ रहे, पूर्व में तो किसी संगठन मंत्री को ऐसा करते नहीं देखा गया, ये नई परिपाटी कब से?

पिछले दिनों झारखण्ड के बरही, तोरपा और नेतरहाट में आयोजित परिवर्तन रैली में भारतीय जनता पार्टी के संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह को मंच पर देखा गया। जिसको लेकर भाजपा के पुराने कार्यकर्ता दंग हैं और वे इस पर सवाल भी उठा रहे हैं। भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब उनके सिर के बाल सफेद होने को आये, लेकिन आज तक किसी भी चुनावी सभा या रैली में भाजपा के संगठन मंत्री को मंच पर बैठे नहीं देखा।

लेकिन वर्तमान भाजपा के संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह तो बड़े ही शान से परिवर्तन रैली में भाग ही नहीं ले रहे, बल्कि मंच पर भाजपा नेताओं के साथ बैठ भी रहे हैं। पुराने भाजपा कार्यकर्ता बताते है कि भाजपा का संगठन मंत्री सीधे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा होता है। वो पार्टी की केवल आंतरिक मीटिंग में भी भाग लेता हैं और पार्टी को मजबूत करने का प्रयास करता है। लेकिन ये कर्मवीर सिंह तो पूरी पार्टी का सिस्टम ही बदल चुके हैं।

स्थिति ऐसी है कि इन्होंने एक अपना सिस्टम बना रखा है। उन्हें ठकुरसोहाती भी खुब भा रहा है। एक दिन उन्होंने अपने फेसबुक पर कुछ पक्षियों को दाना-पानी खिलाते हुए एक फोटो खिंचवाया और उसे फेसबुक पर डाल दिया और कुछ पंक्तियां लिख दी। पंक्तियां थी – मासूम पक्षियों की प्यासी पुकार सुनिये, एक बर्तन पानी और दाना भरकर रखिये। फिर क्या था, भाजपा के वे नेता जो टिकट के लिए मारामारी कर रहे हैं। जो येन केन प्रकारेन कर्मवीर सिंह को खुश रखना चाहते हैं। उनके इस पोस्ट को अपने-अपने फेसबुक वॉल पर शेयर करना शुरु किया।

दरअसल जो शेयर कर रहे थे। उन्हें पता है कि भाजपा में एक संगठन मंत्री की क्या ताकत होती है। शायद यही ताकत का ऐहसास कर्मवीर सिंह को भी हो चुका है। इसलिए वे अब हर जगह पर मंच पर दिख रहे हैं और उन्हें कोई मना करने की साहस भी नहीं जुटा रहा कि मान्यवर कर्मवीर सिंह ये सीट आपके लिए नहीं हैं। बरही में हुई हाल ही में संपन्न भाजपा के कई नेताओं ने तो विद्रोही24 को बताया कि बरही में तो कई जगहों पर होर्डिंग में भी संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह दिख गये, जो चर्चा का विषय बना रहा।

राजनीतिक पंडित इस प्रकार की हरकतों पर कहते है कि भाजपा और संघ में भी काफी बदलाव हुए हैं और ये बदलाव उसी की एक कड़ी है। संघ ने कभी नहीं कहा होगा कि कर्मवीर सिंह किसी चुनावी सभा या रैली में जाकर मंच पर बैठे। ये सब इन्होंने अपने ढंग से करना शुरु किया है। नई परिपाटी शुरु की है। जिसका खामियाजा आज नहीं तो कल पार्टी को भुगतना ही होगा।

पुराने भाजपा कार्यकर्ता तो आज भी कहते हैं कि कर्मवीर सिंह कोई पहले संगठन मंत्री नहीं हुए। इसके पहले भी कई संगठन मंत्री आये और गये। लेकिन किसी ने भी उन्हें चुनावी सभा या मंच या रैली में बैठे नहीं देखा। वे अगर किसी चुनावी  सभा या मंच या रैली में गये भी, तो आम आदमी की तरह गये और आम आदमी की तरह अपने कार्यालय लौटे। लेकिन ये तो कर्मवीर है। इन्हें कौन मना कर सकता है या बोल सकता है। जो इन्हें बोलेगा, उसकी तो भाजपा से ही छुट्टी हो जायेगी, तो भला इन्हें गुस्साकर कौन भाजपा से अपनी छुट्टी कराना चाहेगा। फिलहाल इस समाचार में कई फोटो डाले गये हैं। अब कर्मवीर के कर्म की गति का आनन्द लीजिये।