राजनीति

सुप्रियो ने PM मोदी के भाषण का किया पोस्टमार्टम, कहा भाषण स्तरहीन, हजारीबाग में क्रांतिकारियों को गये भूल, मोदी को मिले दो घड़े पर दी प्रतिक्रिया, घड़ों को भरने के लिए खोदे गये गड्ढे कर रहे इंतजार

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज हजारीबाग में आयोजित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिवर्तन रैली में दिये गये भाषण की पोस्टमार्टम कर दी। सुप्रियो ने कहा कि जमशेदपुर में पोटो हो को याद करनेवाले पीएम मोदी, आज हजारीबाग में 1855 में हुए संताल विद्रोह की महानायिका रूपू मांझी को भूल गये।

पीएम मोदी 1857 के सिपाही विद्रोह के नायक डोरंडा कैंटोमेंट के कमांडिग ऑफिसर जयमंगल पांडेय का नाम भूल गये। हजारीबाग की पहली स्वतंत्रता सेनानी जो 1921 में हजारीबाग के सेंट्रल जेल में बंद थी। उन्हें भी भूल गये। बाबू राम नारायण सिंह तक को भूल गये और ये आदिवासियों और महिलाओं की बात करते हैं।

सुप्रियो ने कहा कि दरअसल ये आदिवासियों और मूलवासियों से डरते हैं। ये हेमन्त सोरेन से डरते हैं। ये झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से डरते हैं और इन्हें डरना भी चाहिए। सुप्रियो ने कहा कि लेह, लद्दाख व कारगिल से चले आदिवासियों-मूलवासियों को ये दिल्ली के राजघाट पर आने से रोक देते हैं। उन्हें दिल्ली के बार्डर पर ही गिरफ्तार कर लिया जाता है। आखिर सोनम वागंचुक की मांग ही क्या है? यही न कि उनके इलाके को पांचवी अनुसूची में शामिल कर लिया जाय। लेकिन आप तो ऐसा करेंगे नहीं, क्योंकि आपको तो वहां की जमीन अडानी को देनी है, ताकि वहां से लीथियम निकाल सकें।

सुप्रियो ने कहा कि पीएम मोदी की हजारीबाग में दिये गये भाषण में बौखलाहट साफ दिख रहा था। वे डरे-सहमें व हताश हैं। प्रधानमंत्री स्तर का भाषण वे दे ही नहीं पा रहे हैं। ये अब बीडीओ और सीओ की बात करने लगे हैं। इतना अपना स्तर उन्होंने अपने भाषण का गिरा लिया है। पीएम मोदी पेपर लीक की बात करते हैं। लेकिन यूपी में 17 बार पेपर लीक हुआ। उसके बाद भी परीक्षा नहीं लिया गया। गुजरात में नीट के पेपर लीक हुए। पेपर लीक के सूत्रधार व्यापमं घोटाले के जनक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो उनके साथ मंच पर ही बैठे थे। लेकिन वे अपने उपर नहीं बोलते।

सुप्रियो ने कहा कि एसटी, एससी, ओबीसी की बात करनेवाले अपने ही नेता बाबूलाल मरांडी से नहीं पूछते कि 2001 में अपने शासन के दौरान ओबीसी का आरक्षण 27 प्रतिशत से 14 प्रतिशत क्यों किया? हेमन्त सोरेन ने तो अपने शासनकाल में ओबीसी को उनका हक दिया। माटी, बेटी व रोटी की बात करनेवाले ये नहीं बताते कि उन्होंने हर वर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की बात कही थी। सुप्रियो ने कहा कि जनधन की बात करनेवाले ये नहीं कहते कि आज बैंक में पैसे जमाकरने और अपने ही पैसे निकालने में लोगों को पैसे देने पड़ रहे हैं।

सुप्रियो ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान गृह मंत्री अमित शाह खुंटी गये थे। जहां आदिवासियों और क्रांतिकारियों की मिट्टी सौंपी गई थी। नतीजा क्या निकला। लोकसभा चुनाव में आदिवासियों और क्रांतिकारियों के इलाके से भाजपा साफ हो गई। इस बार तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हजारीबाग में दो घड़े मिट्टी के दिये गये हैं। इसका मतलब है कि उन घड़ों को भरने के लिए गड्ढों की खुदाई भी हुई होगी। तैयार रहिये वो गड्ढा आपका इंतजार कर रहा है। डेमोग्राफी चेंज की बात करनेवालों, आप अपनी पार्टी की डेमोग्राफी चेंज होने की बात क्यों नहीं करते। केन्द्र में आप और कहोगे कि घुसपैठ हो रहा है। इसे रोकने का काम किसका है?

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