राहुल गांधी की मूर्खतापूर्ण भरे भाषण व कांग्रेस द्वारा दंगाइयों के आरोपियों को दी गई टिकट ने हरियाणा में भाजपा की जीत की राह आसान कर दी, जबकि जम्मू-कश्मीर में भाजपा का प्रदर्शन पिछली बार की तरह ही रहा
राहुल गांधी की मूर्खतापूर्ण भरे भाषण व कांग्रेस द्वारा दंगाइयों के आरोपियों को दी गई टिकट ने हरियाणा में भाजपा की जीत की राह आसान कर दी, जबकि जम्मू-कश्मीर में भाजपा का प्रदर्शन पिछली बार की तरह ही रहा। इस बार आप हरियाणा विधानसभा में किसी भी राजनीतिक पंडित से पूछते तो यही कहता कि इस बार कांग्रेस वहां सरकार बनाने जा रही है। बहुत सारे राजनीतिक पंडितों व एग्जिट पोल करानेवालों ने भी यही कहा था कि इस बार हरियाणा से भाजपा का जाना तय है और कांग्रेस की इस बार सरकार बननी तय है।
शायद राजनीतिक पंडितों व एग्जिट पोल का ही विश्लेषण था जिसके आधार पर इस बार फिरोजपुर झिरका सीट पर कांग्रेस के टिकट पर लड़ा नूंह में दंगों के आरोपी मामन खान ने 98441 वोटों से जीत दर्ज की। इस दंगे के आरोपी मामन खान के मनोबल इतने बढ़े हुए थे कि चुनाव परिणाम आने के कुछ दिन पहले ही डंके की चोट पर नूंह हिंसा को लेकर कहा (इसके वीडियो भी खुब वायरल हुए) कि जिन लोगों ने नामों की सूची दी थी। उनमें वह एक-एक को जानते हैं। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ऐसे लोगों को मेवात छोड़नी पड़ेगी।
जरा सोचिये भाजपा का नेता अगर इस प्रकार के बयान बोले तो ये कांग्रेसी सिर पर आसमान उठा लेते हैं। लेकिन ये कांग्रेसी खूलेआम किसी व्यक्ति को मेवात छुड़वाने की बात कर रहा हैं और राहुल गांधी जैसे लोग उसका मनोबल बढ़ाते हैं। आखिर ये क्या है? दूसरे कोई गुंडागर्दी करें तो गुंडागर्दी और कांग्रेस के लोग गुंडागर्दी करें तो वो इंसानियत की बात कैसे हो गई? दरअसल शायद राहुल गांधी को लगता होगा कि गुंडागर्दी करने का लाइसेंस तो कांग्रेस को मिलना चाहिए, उस पर दूसरा कोई कब्जा कैसे जमा सकता है। तो लो, राहुल गांधी और कांग्रेसियों तुम्हारे नेता नूंह दंगे के आरोपी को तो जनता ने उसके विधानसभा सीट से जीता दिया, लेकिन पूरे हरियाणा से तुम्हारी विदाई कर दी, तो अब तुम्हें दिक्कत भी नहीं होना चाहिए।
सच्चाई ये है कि हरियाणा के तीन पहचान है – जवान, किसान और पहलवान। भाजपा की पिछली दस सालों से चली आ रही सरकार से ये तीनों खफा थे। समय-समय पर इनका आंदोलन भी हरियाणा में परवान चढ़ा था। ये तीनों भाजपा को सबक सिखाना चाहते थे। इस बार तैयारी भी कर ली। लेकिन कांग्रेसियों की मूर्खता और राहुल गांधी की मूर्खतापूर्ण भाषण तथा नूंह दंगा के आरोपियों की बढ़ती ताकत ने इन तीनों को फिर से विचार करने पर मजबूर कर दिया कि वोट किसे दिया जाये।
भाजपा के नेता तो जानते थे कि हरियाणा की जनता की मजबूरी एक न एक दिन फिर से भाजपा के पास ले आयेगी और ले भी आई। इसलिए भाजपा न तो ज्यादा मुखर थी और न ज्यादा विरोध कर रही थी। आज चुनाव परिणाम के दिन भी जब शुरूआती रुझान में कांग्रेस के लोग उछल रहे थे। उस वक्त भी भाजपा के लोग बहुत ही आराम से रुझानों को गले लगा रहे थे। खुश थे, क्योंकि जानते थे कि यहां भी छत्तीसगढ़ जैसा चुनाव परिणाम आयेगा, क्योंकि जनता के पास आखिर भाजपा जैसा विकल्प कहां हैं।
विद्रोही24 का तो साफ मानना है कि अगर कोई नेता ये कहता है कि विकास के नाम पर उसे वोट मिला हैं तो यह सीधी सी बात है कि वो ऐसा कहकर जनता को उल्लू बना रहा हैं और अगर कोई यह कहता है कि सरकार की गलत नीतियों के विरोध के चलते उनकी पार्टी सत्ता में आ रही हैं और सत्तारुढ़ पार्टी जा रही हैं तो वो भी झूठ बोल रहा है। देश की जनता न तो विकास पर वोट देती हैं और न ही किसी के प्रलोभन में आकर वोट देती हैं। अगर ऐसा होता तो प्रलोभन देने में कांग्रेस भाजपा से कही ज्यादा आगे हैं। इसके नेता तो प्रलोभन के साथ-साथ जलेबी भी खिलवाते हैं। जलेबी की फैक्ट्री भी लगवाते हैं। इसलिए अगर कोई कहता है कि जनता किसी के झांसे में आकर वोट दे देती हैं तो यह उसकी मूर्खता है।
जनता सिर्फ इसलिए वोट देती हैं कि वो किसको चूने, जिससे वो कम से कम दिन भर हार-थककर आये तो कम से कम आराम से घर पर सो सकें। उसके बहू-बेटियों की इज्जत सुरक्षित रहें। उनके बच्चों को भले ही नौकरी न मिलें पर वे भी जब घर में आयें तो कम से कम उनकी नींद में खलल नहीं पड़ें और इसीलिये जनता को लगता है कि कौन पार्टी इसमें ठीक हैं तो जनता उसी के पक्ष में वोट दे आया करती है।
हरियाणा की जनता ने जैसे ही देखा कि कांग्रेस ने दंगाइयों को अपना सिरमौर बनाना शुरु किया है। नाराज जवान, नाराज किसान और नाराज पहलवान यह देखना शुरु किया कि दोनों पार्टियों में सबसे कम दंगाई और सबसे कम बदमाश किस पार्टी में हैं। जनता ने जहां देखा कि कम बदमाश और कम दंगाई भाजपा में हैं तो जनता ने उसे फिर से हरियाणा की सत्ता सौंप दी। रही बात कांग्रेस के मूर्धन्य नेताओं की, तो ये अक्षरशः सत्य है कि राहुल गांधी को न तो संसद में और न ही जनता के बीच भाषण कभी देने आया। हमें लगता है कि भाजपावाले चाहते है कि राहुल गांधी दीर्घायु हो, क्योंकि भाजपा के लिए अगर कोई लकी है तो वे राहुल गांधी है। जहां वे पहुंचते हैं। वहां पर भाजपा की सत्ता व जीत सुनिश्चित हो जाती है। जैसे कि वर्तमान में हरियाणा। चले थे ये हरियाणा के खफा जवानों, किसानों और पहलवानों को जलेबी खिलवाने, वो भी फैक्ट्री की। जनता ने उन्हें ही बढ़िया से जलेबी खिलवा दिया।
अब रही बात जम्मू-कश्मीर की तो वहां भाजपा हारी कहां। वो तो अपनी पुरानी हैसियत में आज भी बरकरार है। हार तो वहां पीडीपी की हुई है। भाजपा ने तो धारा 370 हटवाकर और वहां शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न करवाकर पाकिस्तान और भारत में रहनेवाले उन तमाम देशद्रोहियों और संयुक्त राष्ट्र को बता दिया कि जम्मू-कश्मीर की जनता क्या चाहती है? रही बात अब जहां विधानसभा के चुनाव होने हैं। उस राज्य की सरकार को चाहिए कि राहुल गांधी की काबिलियत को अपने यहां नहीं आजमाएं, नहीं तो वहीं हाल होगा, जो हरियाणा में कांग्रेस का हुआ है। ये व्यक्ति खुद न शक्तिशाली बनेगा और न किसी को बनने देगा, क्योंकि इसे आज तक बोलने नहीं आया। ये जलेबी और सब्जी बनाने की अभी ट्रेनिंग ले रहा हैं। इन्हें यही काम करने दीजिये। ज्यादा ठीक रहेगा।
आप ke is लेख से मैं पूर्णता असहमत हूं आपको क्या लगता है जनता ने बीजेपी को वोट दिया है और थोड़ा यति नरसिंहानंद पर भी लिखा कीजिए
बीजेपी के सीएम चुनाव के पहले बोलते हैं की सारी व्यवस्था हमने किया हुआ है जीतेंगे हमे और आपको लगता है कि जनता ने उनको वोट दिया है