चले थे हरियाणा के जीत का जश्न मनाने और लोग जुटे मात्र 15 से 20, उसमें भी सरकारी बॉडीगार्डों की संख्या चार, ज्यादा भाजपा कार्यकर्ताओं ने पवन सिंह के कार्यक्रम में रुचि ले ली, मतलब झारखण्ड में भाजपा के हार का बैंड बजना तय
चले थे हरियाणा के जीत का जश्न मनाने, लड्डू बांटने, पटाखा छोड़ने और लोग जुटे मात्र 15 से 20, उसमें भी सरकारी बॉडीगार्डों की संख्या चार, ज्यादा भाजपा कार्यकर्ताओं ने पवन सिंह के कार्यक्रम में रुचि ले ली, मतलब झारखण्ड में भाजपा के हार का बैंड बजना तय हैं। फिर भी केन्द्र के शीर्षस्थ नेताओं को लगता है कि वे झारखण्ड में मजबूत स्थिति में हैं। ऐसे में भाजपा को कौन समझाएं? राजनीतिक पंडितों की मानें तो शायद भाजपा भविष्य में झारखण्ड में मिलनेवाली पराजय का जश्न कैसे मनें, इसके लिए कल रिहर्सल कर रही हो!
कल जैसे ही हरियाणा का अप्रत्याशित चुनाव परिणाम आया। भाजपा हारी हुई बाजी हरियाणा में जीत ली अर्थात् कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के मूर्खतापूर्ण भाषण का उसने जमकर लाभ उठाया। पूरे देश के भाजपाइयों में हर्ष की लहर दौड़ गई। सभी आश्चर्यचकित थे, क्योंकि ये परिणाम आने की संभावना किसी को नहीं थी। चुनाव परिणाम अप्रत्याशित था। दैनिक भास्कर अखबार जो लोकसभा चुनाव परिणाम पर अपनी पीठ स्वयं से थपथपाकर उस वक्त गर्व महसूस कर रहा था, इस बार के हरियाणा चुनाव परिणाम आने के बाद अपना मुंह छिपाने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन झारखण्ड में भाजपा कार्यकर्ताओं में कोई खुशी नहीं दिखी। भाजपा प्रदेश कार्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं का टोटा नजर आया। मात्र पन्द्रह से बीस लोग ही झंडे व पटाखे लेकर भाजपा कार्यालय से बाहर निकले। जिसमें तीन-चार व्यक्ति तो बाबूलाल मरांडी के बॉडीगार्ड ही थे। ले-देकर भाजपा के प्रमुख नेताओं में तीन ही नजर आये। एक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, दूसरे संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह और तीसरे रांची के भाजपा सांसद व केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ।
मतलब भाजपा के सारे कार्यकर्ताओं ने भाजपा प्रदेश मुख्यालय में मन रही कल की जीत के जश्न से स्वयं को दूर रखा और ये सारे नेता/कार्यकर्ता भाजपा के ही कार्यसमिति सदस्य रमेश सिंह की पॉकेटी संस्था चंद्रशेखर आजाद दुर्गा पूजा समिति द्वारा आयोजित पवन सिंह के कार्यक्रम में नजर आये और खुब गर्मजोशी से इसमें भाग लेकर स्वयं को धन्य किया।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो कल की भाजपा कार्यालय में मनी हरियाणा की जीत के जश्न और भाजपा कार्यकर्ताओं की अनुपस्थिति ने स्पष्ट कर दिया कि भाजपा कार्यकर्ता झारखण्ड में क्या गुल खिलाने जा रहे हैं? राजनीतिक पंडित साफ कहते हैं कि इस बार किसी भी परिस्थिति में भाजपा झारखण्ड में अपने सहयोगियों के साथ दस से पन्द्रह सीट से अधिक लाने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि एक तो भाजपा कार्यकर्ता, प्रदेशस्तर के नेताओं और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा चली जा रही चाल से नाराज हैं।
दूसरी ओर कुर्मियों के नेता माने जानेवाले सुदेश महतो की सारी चाल नया- नया कुर्मियों का नेता बना जयराम महतो ने बढ़िया से निकाल दी है। स्थिति ऐसी है कि अगर सिल्ली से जयराम महतो, सुदेश के खिलाफ खड़ा हो जाये, तो सुदेश की स्थिति खराब हो जायेगी। लेकिन फिलहाल सिल्ली से झामुमो इस बार सुदेश का खेल खराब करने को पहले से तैयार है।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा को हराने के लिए किसी भी दल को ज्यादा लगने की अब कोई जरुरत ही नहीं। भाजपा कार्यकर्ताओं ने कमर कस लिया है कि इस बार भाजपा को सबक सिखानी है, क्योंकि भाजपा के प्रदेश नेताओं व बाहर से आये कुछ भाजपा नेता, दलबदलूओं तथा दागी नेताओं के बढ़ते वर्चस्व से नाराज भाजपा कार्यकर्ता इस बार भाजपा का कबाड़ा करने के लिए सब कुछ अपना दांव पर लगाने के लिए तैयार है।