धर्म

गुप्त नवरात्र कल से प्रारंभ, विभिन्न शक्ति मंदिरों-घरों में भक्त करेंगे प्रसन्न महाशक्ति को

नवरात्र चार प्रकार के होते हैं, पहला वासंती नवरात्र जो चैत्र शुक्लपक्ष में, दूसरा शारदीय नवरात्र जो आश्विन शुक्लपक्ष में तथा दो गुप्त नवरात्र भी होते है जो आषाढ़ शुक्लपक्ष तथा माघ शुक्लपक्ष में मनाये जाते हैं। जो शक्ति के उपासक हैं, जिन्हें महाशक्ति में आस्था है, वे गुप्त नवरात्रों को भी विशेष महत्व देते हैं, क्योंकि वे जानते है कि महाशक्ति को गुप्त नवरात्रों में ध्यान करने, आवाहन करने तथा उनकी साधना में लीन हो जाने से वो हर चीजें प्राप्त होती है, जो साधक चाहता हैं।इस बार माघ शुक्लपक्ष का गुप्त नवरात्र 18 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है, जो 26 जनवरी तक चलेगा।

18 जनवरी को कलशस्थापन के बाद से दुर्गापाठ किया जा सकता है, जो नौ दिनों तक जारी रहेगा। इन नौ दिनों तक मां के भक्त, मां के विभिन्न स्वरुपों की पूजा अर्चना कर अपने गुप्त नवरात्र को संपन्न करेंगे। ऐसे भी दुर्गासप्तशती कहता है, कि मां के नौ रुप हैं –

प्रथमं शैलपुत्री च, द्वितीयं ब्रह्मचारिणीम्।

तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।

पंचमं स्कन्दमातेति, षष्ठं कात्यायनीति च।

सप्तम् कालरात्रीति, महागौरीति चाष्टमम्।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः।।

विद्वानों का समूह बताता है कि गुप्त नवरात्रों का महत्व अन्य नवरात्रों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसमें महाशक्ति बहुत जल्द प्रसन्न हो जाती है, क्योंकि इसमें महाशक्ति अपने पूर्णरुप में विद्यमान रहती है, पर साधक को इसमें ध्यान रखना होता है कि वह पूर्ण संयम तथा शुद्धता व नियमों-उपनियमों का विशेष रुप से पालन करें।