अपनी बात

भाजपा नेता आदर्श चुनाव आचार संहिता की उड़ा रहे धज्जियां, चुनाव कार्य संपन्न कराने में लगे अधिकारियों का दल इनके खिलाफ नहीं ले रहे एक्शन और नहीं करा रहे प्राथमिकी दर्ज

पिछले दिनों 15 अक्टूबर को भारत निर्वाचन आयोग ने झारखण्ड विधानसभा चुनाव के तिथियों की घोषणा कर दी। इसका मतलब है कि पूरे झारखण्ड में आदर्श चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गया। लेकिन क्या सही मायनों में झारखण्ड में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है या यहां इसकी धज्जियां उड़ाई जा रही है। आज पूरे पांच दिन बीतने को आये। अब तो चुनाव के लिए नामांकन भी होने लगे हैं। लेकिन यहां हो क्या रहा हैं। आप खुद देखिये। ये आज के फोटो हैं।  जो विद्रोही24 द्वारा रांची के विभिन्न जगहों से लिए गये हैं।

भाजपा के नेता खुलकर आदर्श चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग इस मुद्दे पर मौन व्रत धारण किये हुए हैं। आश्चर्य यह हैं कि भाजपा द्वारा खुलकर चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लेकिन जिन अधिकारियों को इस पर एक्शन लेना हैं। उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करनी हैं। वे किस कारण चुप्पी साधे हुए हैं या क्यों इस पर एक्शन नहीं ले रहे हैं। भगवान जाने।

हालांकि आजकल हर रोज राज्य चुनाव आयोग के अधिकारी के रवि कुमार का प्रेस कांफ्रेस चल रहा हैं। लेकिन आज तक इन्होंने भी यह बताने की कोशिश नहीं की कि जो चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उनके खिलाफ उन्होंने क्या कारर्वाई की या अब तक ऐसे कितने प्राथमिकियां दर्ज हुई। चुनाव कार्यों में लगे अधिकारियों की इस हरकत पर तो लोग अब यह भी कहने लगे हैं कि जो गड़बड़ियां भाजपा के लोग कर रहे हैं, अगर वहीं गड़बड़ियां दूसरे दलों के लोग या कोई सामान्य व्यक्ति करता तो यही राज्य के बड़े-बड़े अधिकारी उसके खिलाफ कई एक्शन ले लिये होते उस पर मुकदमा दर्ज किया जा चुका होता।

यहां चूंकि मामला भाजपा से संबंधित हैं तो भला इन लोगों पर कौन एक्शन लें? अगर झामुमो इन्हीं सभी बातों को लेकर चुनाव आयोग पर हमले बोलती हैं तो कोई गलत नहीं करती। अब जरा इस समाचार में दिये गये विभिन्न फोटों को देखिये। ये भाजपा के एक बड़े तथाकथित नेता जो रांची से भाजपा के टिकट लेने की दौड़ में शामिल है। उसका बैनर है। नाम है – संदीप वर्मा। ये कभी मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का प्रेस सलाहकार भी रह चुका है। कभी आजसू में भी शामिल रहा है।

आज भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य भी है। इसके रिश्तेदार भी भाजपा में बड़े पद पर हैं। जिससे इसकी यहां अभी तूती बोल रही है। अच्छा खासा पैसा भी कमाया है। कभी आज के राज्यसभा के उपसभापति जब प्रभात खबर के प्रधान संपादक हुआ करते थे, तब इसकी हरकतों पर पेज भी रंग चुके हैं। जिसके कारण यह सूचना आयुक्त बनते-बनते रह गया। लेकिन आज बहुत बड़ा प्रतिष्ठित नेता बन चुका है। बनेगा भी क्यों नहीं। ऐसे लोग ही तो नेता बनते हैं।

इसका बैनर आज भी पूरे रांची में यत्र-तत्र दिखाई पड़ रहा हैं। ये बैनर दुर्गापूजा की शुभकामनाओं से संबंधित हैं। जबकि दुर्गापूजा भी बीते हुए एक सप्ताह से भी अधिक हो गये। लेकिन इस व्यक्ति ने रांची में लगे अपने बैनरों को अब तक नहीं उतारा है और न उतरवाया है। शायद उसे इस बात का घमंड हो कि भला उसे कौन चुनौती दे सकता है? हां भाई, आपको चुनौती कौन देगा? आप भाजपा में जो हैं।

ऐसे भी आपके रिश्तेदार की तो सीधे अमित शाह और नरेन्द्र मोदी से परिचय हैं। इसलिए आपको कौन अंगूली दिखायेगा या कौन आपके खिलाफ एक्शन लेगा? किसका काल आया है? तभी तो चुनाव आयोग के अधिकारी भी आपके इस घटियास्तर के कार्य को भी माथे पर लेकर आपके आगे नतमस्तक है, कोई कार्रवाई नहीं की है और न उनकी हिम्मत है कि आपके बैनर को उतरवा सकें या आपके खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज करवा सकें।

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