राजनीति

सुप्रियो ने भाजपा पर कसा टोंटः भाजपा का एक व्यक्ति तो भाजपा का ही कमर तोड़कर चला गया काजीरंगा, 23 नवम्बर को जिस दिन चुनाव परिणाम आयेगा, हम उन्हें पुनः झारखण्ड बुलवाकर उनका नागरिक अभिनन्दन करेंगे

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक ओर तो भारत निर्वाचन आयोग का कैप्शन है कि एक भी वोटर छूटे नहीं। लेकिन उसका वर्क लाइन इसके ठीक उलटा है। वर्क लाइन है ग्रामीण वोटर छूट जाये, शहरी वोटर, शहरी पार्टी को वोट करें। सुप्रियो ने कहा कि जब मुख्य निर्वाचन आयुक्त रांची आये थे, तभी उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि उन्होंने सारे राजनीतिक दलों से राय-मशविरा कर लिया हैं।

सुप्रियो ने कहा कि उस दौरान उन्होंने कहा था कि वे सभी के लिए एक समान अवसर उपलब्ध हो। इस पर काम करेंगे। वे चाहेंगे कि राज्य में भयमुक्त, कदाचारमुक्त व शांतिप्रिय ढंग से मतदान संपन्न हो। वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग शांतिपूर्वक कर सकें। लेकिन आज क्या हुआ? जो अधिकारिक सूचना आई हैं। उसमें भी बंटवारा कर दिया गया है। चून-चूनकर वैसे एसेम्बली सीटों को रखा गया है, जहां बीजेपी के मुकाबले झामुमो ज्यादा मजबूत है। सुप्रियो ने कहा कि झारखण्ड में 88 प्रतिशत ग्रामीण पृष्ठभूमि है, जबकि 12 प्रतिशत शहरी क्षेत्र है।

चुनाव आयोग ने शहरी क्षेत्र में मतदान का समय पांच बजे तक रखा है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसका समय एक घंटे घटा कर सिर्फ चार बजे तक रखा हैं। वो भी तब जबकि खुद चुनाव आयोग का कहना है कि झारखण्ड में नक्सली घटनाएं अब खत्म हो चुकी हैं। उसने खुद इसी बात को देखते हुए दो चरणों में यहां चुनाव करा रही है। लेकिन उसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में एक घंटा की कमी करना क्या बताता हैं। दरअसल यही बंटी-बबली का खेल है।

सुप्रियो ने कहा कि पहले इन्होंने जिलों को बांटा और अब क्षेत्र को बांट रहे हैं और कहते है कि कोई पक्षपात नहीं होगा। अगर ये पक्षपात नहीं तो फिर ये कौन सा फार्मूला है। दरअसल बंटी-बबली के इस चाल को झामुमो शुरु से ही देख रहा है। ये ऐसा चादर बिछाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके अंदर में हरियाणा जैसी नीति का तरीका निकाल सकें। ये बंटी-बबली वो कबूतर का जादू दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

सुप्रियो ने कहा कि कल तक जो परिवारवाद की बात करते थे। जरा अब उनकी सूची देखिये। उनकी सूची से उनकी दरिद्रता साफ झलकती हैं। पहली बार इस पार्टी ने एक ही विधानसभा में बाप-बेटे दोनों को टिकट दे दिया। गजब है कोई अपनी पत्नी, तो कोई अपनी बहू, तो कोई अपना बेटा, तो कोई अपना भाई और हद तो तब हो गई कि इसी के गठबंधन में एक पार्टी का रिश्तेदार दूसरे दल से और दूसरा अपनी पार्टी से चुनाव लड़ रहा हैं।

सुप्रियो ने तो साफ कह दिया कि कोई किसी का गला काट रहा है तो कोई किसी को थोपिया रहा है और एक तो अब उड़ लिये। वो भी पूरा प्रदेश को बंटाधार करके। चले गये काजीरंगा। आने दीजिये 23 नवम्बर के चुनाव परिणाम को। जिसनें भाजपा की कमर तोड़ दी हैं, उसे उस दिन बुलवायेंगे और उसका नागरिक अभिनन्दन करेंगे।