अपनी बात

भाजपा कार्यकर्ताओं व संघनिष्ठ स्वयंसेवकों ने ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू तथा भाजपा प्रत्याशी पूर्णिमा दास के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा परिवारवाद बर्दाश्त नहीं, भाजपा नेता शिव शंकर सिंह को मैदान में उतारा

झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री व ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू व जमशेदपुर पूर्व की भाजपा प्रत्याशी पूर्णिमा साहू दास के खिलाफ आज हजारों भाजपाइयों ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। जमशेदपुर के केबुल टाउन में हजारों भाजपा कार्यकर्ताओं व संघनिष्ठ स्वयंसेवकों का महाजुटान हुआ। जिसमें सभी ने एक स्वर से जमशेदपुर पूर्व के सुप्रसिद्ध समाजेसवी शिव शंकर सिंह को रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू दास के खिलाफ चुनाव लड़ने का आह्वान किया।

हजारों भाजपा कार्यकर्ताओं व संघनिष्ठ स्वयंसेवकों की उपस्थिति और उनके चुनाव लड़ने को आह्वान को स्वीकार करते हुए समाजसेवी शिवशंकर सिंह ने कहा कि वे चुनाव अवश्य लड़ेंगे। कल ही वे समाहरणालय जाकर नामांकन पर्चा लेंगे तथा जल्द ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में वे नामांकन दाखिल करेंगे। बड़ी संख्या में उपस्थित भाजपा कार्यकर्ताओं व संघनिष्ठ स्वयंसेवकों का गुस्सा इस बात को लेकर था कि भाजपा के प्रदेशस्तरीय नेताओं व केन्द्र के नेताओं ने पूर्णिमा साहू दास को टिकट देकर राजतंत्र व परिवारवाद को जन्म दे दिया।

सभी का यही कहना था कि क्या जमशेदपुर में योग्य व समर्पित भाजपा नेताओं/कार्यकर्ताओं की कमी थी कि रघुवर दास ने अपनी बहू को जमशेदपुर पूर्व से टिकट थमवा दिया। ज्यादातर वक्ताओं ने यह भी कहा कि रघुवर दास को बताना चाहिए कि जमशेदपुर पूर्व के लिए पूर्णिमा साहू दास ने क्या किया हैं? पूर्णिमा का क्या सामाजिक योगदान रहा हैं?

और अगर ऐसा नहीं हैं तो किस आधार पर भाजपा का टिकट प्रदेश व केन्द्र के नेताओं ने उसे थमा दिया? भाजपा कार्यकर्ता इस प्रकार के नीतियों को अब बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर भाजपा के नेता नहीं सुधरेंगे तो उन्हें सुधारने का कर्तव्य भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं के उपर आ जाता हैं। इसलिए वे विकल्प के रूप में शिव शंकर सिंह को जनता के समक्ष रख रहे हैं।

इसी बीच खबर यह भी है कि कल तक सवर्णों को दुत्कारनेवाले रघुवर दास अब राजपूत समुदाय की सुध लेने लगे हैं। वे स्वयं उनलोगों के यहां फोन कर रहे हैं तथा अपनी बहू को भेज रहे हैं, जिसकी कभी वे सुध भी नहीं लिया करते थे। इसी क्रम में पूर्णिमा साहू, भाजपा नेता अभय सिंह के घर पहुंच गई, जहां अभय सिंह की मां ने अच्छी खासी रकम व शॉल देकर पूर्णिमा साहू का स्वागत किया। जिसका फोटो स्वयं अभय सिंह ने फेसबुक पर अपलोड किया। जिस पर बड़ी संख्या में आक्रोशित भाजपा कार्यकर्ताओं के कमेन्ट्स भी दिखे जा सकते हैं। जो रघुवर दास के मन-मस्तिष्क को प्रभावित करने के लिए काफी है।

राजनीतिक पंडित तो साफ कहते हैं कि रघुवर दास अपने मुख्यमंत्रित्व काल में सवर्णो को दुत्कारने दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शुरुआत उन्होंने अपने साथी बस्ती विकास समिति के अध्यक्ष जयनारायण सिंह की अनदेखी से की। फिर साथी रहे चंद्रशेखर मिश्र को बेइज्जत किया। शास्त्री नगर दंगा मामले में अभय सिंह को जेल भेजने एवं चन्द्रगुप्त सिंह की बेइज्जती करने में  भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और जब अब बहू को टिकट दिलवा दिया तो वे राजपूत समुदाय के लोगों के यहां फोन कर उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं, अपनी बहू के लिए आशीर्वाद की कामना कर रहे हैं।

आखिर, राजपूत समुदाय उनके मुख्यमंत्रित्व काल के समय की वारदातों को इतना जल्दी कैसे भूल जायेगा। हाल ही में सजायाफ्ता धनबाद के सांसद ढुलू महतो किसके कहने पर जमशेदपुर आये थे और उन्होंने जमशेदपुर में किसको धमकी देने की कोशिश की थी। ये बातें भी रघुवर दास को नहीं भूलना चाहिए। इधर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि शिव शंकर सिंह द्वारा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पर्चा भर दिये जाने के बाद लगता है कि 2019 की फिर से यहां पुनरावृत्ति होने की संभावना बढ़ गई हैं। जब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सरयू राय ने यहां से जीत दर्ज की थी और रघुवर दास भारी मतों से यहां से चुनाव हार गये थे।

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