अपनी बात

जमशेदपुर स्थित एग्रीको आवास पर भाजपा के बड़े नेताओं की अनुपस्थिति ने रघुवर दास के दिल की धड़कनों को बढ़ाया, कांग्रेस ने कहा राज्यपाल पद से इस्तीफा दे रघुवर, फिर अपनी बहू को जीताने का करें प्रयास

झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री व ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास के जमशेदपुर स्थित एग्रीको आवास पर जमशेदपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से जुड़े सभी मंच व मोर्चा के अध्यक्षों व महामंत्रियों की आज आनन-फानन में बैठक बुलाई गई थी। बताया जा रहा है कि यह बैठक कहने को तो जमशेदपुर पूर्व की भाजपा उम्मीदवार पूर्णिमा साहू दास द्वारा बुलाई गई थी। लेकिन जमशेदपुर के राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस बैठक को बुलाने में ज्यादा दिलचस्पी ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने दिखाई। जिस पर पूरे जमशेदपुर में तरह-तरह की टिप्पणियां की जा रही हैं।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि ऐसी बैठक को अपने आवास पर बुलवाकर ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने एक नई बहस छेड़ दी हैं कि क्या अब संवैधानिक पदों पर बैठनेवाले व्यक्ति भी राजनीतिक हस्तक्षेप कर अपने लोगों को जीताने के लिए इस प्रकार की बैठकें करेंगे और अगर ऐसा करेंगे तो फिर लोकतंत्र की बाते ही बेमानी हो जायेगी। इधर रघुवर दास के इस सीट पर दिलचस्पी लेने व अपनी बहू को जीताने के लिए किये जा रहे अथक प्रयास पर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता व जमशेदपुर पूर्व के उम्मीदवार डा. अजय कुमार ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर उन्हें अपनी बहू को चुनाव में मदद करने के लिए छुट्टी ले रखी हैं तो उनसे अनुरोध है कि वे पहले राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दें और उसके बाद जो करना चाहें वे करें, क्योंकि हम उन्हें संविधान के साथ समझौता करने नहीं देंगे।

बताया जा रहा है कि जिन लोगों ने उक्त बैठक में भाग लिया। उनका कहना था कि उनमें से खास-खास लोगों को अलग से बुलाकर रघुवर दास ने बातचीत की तथा कहा कि उन्होंने अपनी बहू को टिकट नहीं दिलवाया। केन्द्र ने उनकी बहू को स्वतः टिकट दे दी हैं। इसलिए उनकी बहू को जीताना अब सभी का फर्ज बन जाता है। बताया यह भी जा रहा है कि उक्त बैठक में शामिल लोगों ने रघुवर दास के इस बात को मानने से इनकार कर दिया कि बिना उनके सहमति के उनकी बहू को टिकट दिया गया है।

कहा यह भी जा रहा है कि आज की बैठक में रघुवर दास के बुलाने के बावजूद भी जमशेदपुर पूर्व के कई महत्वपूर्ण नेता उनके आवास पर नहीं पहुंचे। आवास नहीं पहुंचनेवालों में रामबाबू तिवारी, रघुवर दास का भगीना दिनेश कुमार, उनके विधायक प्रतिनिधि रह चुके मिथिलेश  सिंह यादव भी शामिल हैं। कहा यह भी जा रहा है कि आज की बैठक में भाजपा के बड़े नेताओं की अनुपस्थिति ने रघुवर दास के दिल की धड़कनों को बढ़ा दिया हैं। वे बैचेन हैं कि कही ऐसा नहीं कि 2019 की विधानसभा चुनाव की पुनरावृत्ति न हो जाये। 2019 के समय तो रघुवर दास की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी और इस बार उनकी बहू पूर्णिमा साहू दास की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

ज्ञातव्य है कि रघुवर दास ने अपने राजनीतिक ताकत की धमक दिखाते हुए जमशेदपुर पूर्व से अपनी बहू को भाजपा के टिकट पर उतार दिया है। जबकि पिछले दिनों यहां भाजपा कार्यकर्ताओं की रायशुमारी करवाई गई थी, जिसमें पूछा गया था कि जमशेदपुर पूर्व का प्रत्याशी उनके हिसाब से कौन हो? तो उसमें पूर्णिमा साहू दास का नाम तक नहीं था। ऐसे में अचानक रघुवर दास की बहू को उम्मीदवार बनाकर प्रस्तुत कर दिये जाने से जमशेदपुर पूर्व के सारे भाजपा कार्यकर्ता व संघ के लोग नाराज हैं।

नाराजगी भी कोई ऐसी-वैसी नहीं। नाराजगी ऐसी है कि हजारों की संख्या में लोग जमशेदपुर में पिछले दिनों इकट्ठे हुए और शिव शंकर सिंह को भाजपा के खिलाफ चुनाव में उतारने का ऐलान भी कर दिया। शिव शंकर सिंह कल ही अपनी नामजदगी का पर्चा भी दाखिल करेंगे। इधर जैसे ही शिव शंकर सिंह के नामजदगी का पर्चा दाखिल करने का समाचार आया। ओडिशा के राज्यपाल बेचैन हो उठे और आनन-फानन में उन्होंने जमशेदपुर आने का फैसला किया।

सूत्र बताते हैं राज्यपाल रघुवर दास के इशारे पर उनके समर्थकों ने भाजपा के प्रमुख कार्यकर्ताओं/नेताओं को उनके आवास पर आज की बैठक में उपस्थित होने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन उक्त बैठक में कोई प्रमुख नेता व कार्यकर्ता उपस्थित नहीं हुआ। जिससे रघुवर दास की बेचैनी बढ़ गई। राजनीतिक पंडित बताते हैं कि इस बात की जानकारी प्रदेश कार्यालय व दिल्ली के शीर्षस्थ नेताओं को भी हो गई है। वे लोग अब समझ चुके है कि जमशेदपुर पूर्व सीट एक बार फिर हाथ से फिसलती नजर आ रही है।

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