झारखण्ड विधानसभा चुनाव में अपनी संभावित हार को देख भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं से शुरु की सौदेबाजी, कल तक छः साल के लिए निलंबित अमरप्रीत सिंह काले को देखते ही देखते थमा दी प्रदेश प्रवक्ता की कुर्सी
भाजपा नेताओं/कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश व हर जगह से संभावित हार से घबराए प्रदेश/केन्द्र के नेताओं ने अब उन भाजपा नेताओं-कार्यकर्ताओं से सौदेबाजी करनी शुरु कर दी हैं। जो फिलहाल आक्रोशित हैं और प्रदेश/केन्द्र के नेताओं के लिए सरदर्द बन चुके हैं। आश्चर्य यह भी है कि इसका फायदा वे चिलगोजे टाइप्ड भाजपा नेता भी उठाने में लग गये हैं, जिनकी कोई औकात तक नहीं हैं। मतलब वे दस वोट भी अपनी झोली में स्वयं से नहीं डलवा सकते या जिनकी जिंदगी भाजपा को छोड़ने के बाद कहीं की नहीं रहनेवाली हैं।
राजनीतिक पंडित तो साफ कह रहे हैं कि भाजपा की ऐसी हालत कभी नहीं देखी गई। जहां मुख्यमंत्रियों, पूर्वमुख्यमंत्रियों, केन्द्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों की बाढ़ हो और ऊपर से प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री भी इन्वोल्व हो। आश्चर्य यह भी कि जहां ओडिशा के राज्यपाल की बहू, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी, पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन खुद और उनका बेटा, सजायाफ्ता सांसद ढुलू महतो का भाई डायरेक्ट चुनाव लड़ रहा हैं। उसके बाद भी ये लोग जीत ही जायेंगे। इसकी संभावना कही भी नहीं दिख रही।
आश्चर्य तो यह भी है कि ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास अपने सारे काम-काज छोड़कर पिछले तीन-चार दिनों से जमशेदपुर पूर्व में अपने एग्रीको आवास पर जमें हुए हैं तथा अपनी बहू को विजय दिलाने के लिए खुब पसीने बहा रहे हैं। कल तो उन्हीं के आदेश पर पिछले छह साल से निष्कासित भाजपा नेता अमरप्रीत सिंह काले के घर पर राज्यपाल की बहू पहुंच गई। उनसे आशीर्वाद मांगा और इधर देखते ही देखते अमरप्रीत सिंह काले को भाजपा का प्रदेश प्रवक्ता बना दिया गया। मतलब तुम हमारी मजबूरी को समझो। हमारे लिये काम करो। हम तुम्हें फिर से भाजपा में ही नहीं लायेंगे। सम्मानजनक पद भी दिलायेंगे, लो हम तुम्हें प्रवक्ता बना देते हैं। कल ही इन्हें प्रदेश प्रवक्ता भी बना दिया गया।
इसी प्रकार पोटका की मेनका सरदार जो पार्टी छोड़ चुकी थी। उन्हें फिर से पार्टी में लाया गया। इधर अपनी राजनीतिक हैसियत पूरी तरह से ध्वस्त कर चुके भाजपा के रवीन्द्र राय जो कही से भी चुनाव लड़े, कभी जीत नहीं पायेंगे, इन्होंने थोड़ी-बहुत गीदड़भभकी दिखाई कि वे नाराज हैं। यह गीदड़भभकी सुनते ही उनके घर पर शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा पहुंच गये। मनाने की नौटंकी हुई। भला रवीन्द्र राय कहां कही जानेवाले थे। तुरंत अपनी गीदड़भभकी वापस ली और इसे पार्टी के प्रति निष्ठा बता दिया। हालांकि जो रवीन्द्र राय को जानते है, वे ये भी जानते हैं कि वे कितने महान हैं।
इधर दूसरी ओर राज पालिवार ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जैसे ही बाबूलाल मरांडी को इस बात का पता चला। उन्होंने राज पालिवार को कल फोन लगाया। उस वक्त राज पालिवार अपने समर्थकों से घिरे थे। राज पालिवार को बाबूलाल मरांडी ने चुनाव नहीं लड़ने को कहा। लेकिन राज पालिवार कहा माननेवाले, उन्होंने मधुपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया, क्योंकि उनके पास जनसमर्थन है। मधुपुर से चुनाव लड़ने के उक्त फैसले मात्र से ही यहां भाजपा की खटिया खड़ी होनी तय हैं।
मतलब साफ है, कि ऐसे कई उदाहरण है। जो भाजपा की हार का खांचा खींच रहे हैं। इधर कोई बीएल संतोष नाम के बड़े भाजपा नेता प्रदेश कार्यालय में दो दिन पहले एक बैठक ली हैं। यही बैठक उन्होंने बोकारो के एक बड़े होटल में भी ली हैं। कारण स्पष्ट है कि इन बड़े नेताओं को छोटे-छोटे घरों में, अपने कार्यकर्ताओं के आवास पर नींद नहीं आती। उन्हें फाइव स्टार होटल हो तो फिर क्या कहने। ऐसे जगहों पर बैठक लेने तथा प्रवास करने में इन्हें बड़ा आनन्द आता है।
बीएल संतोष ने रांची और बोकारो में बैठक जब ली। तो उन बैठकों में बड़ी तेजी से राज्यसभा का सांसद बना हुआ एक बड़ी जीव भी उपस्थित था। इस जीव को भाजपावाले तथाकथित बड़े नेता बड़ी इज्जत देने लगे हैं। उसका मूल कारण उसकी पार्टी के प्रति निष्ठा नहीं, बल्कि कुछ और हैं। यहीं कारण है कि उक्त जीव को भाजपा के कार्यकर्ता कुछ दूसरे विचित्र नाम से पुकारते हैं, जिसे नीचे से लेकर उपर तक के भाजपा नेता जानते हैं। इस जीव की खुद उसके अपने इलाके या भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच कोई इज्जत नहीं और न आगे चलकर उसे इज्जत मिलनेवाली हैं।
राजनीतिक पंडित साफ कहते हैं कि भाजपा इस बार कुछ भी कर लें। कितना भी सौदेबाजी कर लें। इस बार हेमन्त सोरेन ने इनकी ऐसी नाकाबंदी कर दी हैं। इस नाकाबंदी से निकलने का कोई स्रोत इन्हें तब तक नजर नहीं आयेगा, जब तक चुनाव संपन्न नहीं हो जाता। इधर राजनीतिक पंडित यह भी कहते है कि भाजपा सोच रही हैं कि यह हरियाणा व जम्मू-कश्मीर का जम्मू इलाका हैं तो ये सोचना बंद कर दें, क्योंकि झामुमो इस बार कोई गलती दुहराने नहीं जा रहा, जो गलती भाजपा बार-बार दुहरा रही हैं।