भाजपाइयों ने भाजपा के ही खिलाफ खोला मोर्चा, कहा हम नहीं तो तुम भी नहीं, उधर भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के छूटे पसीने इधर झामुमो के हौसले बुलंद, एक बार फिर सत्ता में पुनः वापसी की संभावना से झामुमो कार्यकर्ताओं में हर्ष की लहर
भाजपाइयों ने भाजपा के ही खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इनका कहना हैं कि हम नहीं तो तुम भी नहीं मतलब हम तो डूबेंगे सनम, तुमको भी बचने नहीं देंगे, तुम्हें भी डूबा कर छोड़ेंगे। इधर भाजपा में हो रही बगावत को देख, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा मजे ले रही हैं। झामुमो के कार्यकर्ताओं की इस बात की खुशी हैं कि जिस काम को करने के लिए उन्हें दिमाग लगाना पड़ता, अब उन्हें इस पर दिमाग की लगाने की जरुरत नहीं पड़ रही, ये काम भाजपा के आक्रोशित कार्यकर्ता और नेता ही कर दे रहे हैं।
राजनीतिक पंडित कहते हैं कि झारखण्ड के तीस से भी अधिक सीटों पर भाजपा मतदान के पूर्व ही संभावित हार की ओर बढ़ चुकी है और ये हार का माला कोई दूसरा नहीं पहना रहा, इसमें भाजपा के कार्यकर्ता व नेता ही मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। ये आक्रोशत कार्यकर्ता कही सोशल साइट पर मुखर है तो कही सीधे चुनाव के मैदान में खड़े होकर भाजपा प्रत्याशियों को चुनौती दे रहे हैं। जिससे पूरे झारखण्ड में झामुमो कार्यकर्ता के बीच हर्ष की लहर दौड़ गई हैं।
स्थिति ऐसी है कि ओडिशा का राज्यपाल ओडिशा छोड़कर जमशेदपुर में आकर बैठ गये हैं। वे वहीं से अपनी बहू को जीताने के लिए दिमाग लगा रहे हैं। वे जो आदेश वहां से भाजपा के प्रदेश व केन्द्र के नेताओं को निर्गत कर रहे हैं। भाजपा के प्रदेश में बैठे बड़े नेता व केन्द्र के नेता अच्छे बच्चे की तरह उनका कहा मान रहे हैं। इधर ओडिशा के राज्यपाल के इस हरकत से जमशेदपुर पूर्वी के भाजपा कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है और वे इसके विरोध में भाजपा नेता शिव शंकर सिंह के पक्ष में जाकर खड़े हो जा रहे हैं, जो जमशेदपुर पूर्व से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
राजनीतिक पंडित तो कहते है कि पहली बार संवैधानक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा इस प्रकार के कार्य से राज्यपाल जैसा पद कलंकित हो रहा है। लेकिन इस कलंक से भाजपा को क्या मतलब? दूसरी ओर पूरे प्रदेश में भाजपा के विक्षुब्ध कार्यकर्ता व समर्थक एक सूत्री कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं। इनका कहना है कि इस बार भाजपा के प्रदेश व केन्द्र के नेताओं को सबक सिखाना है। वो सबक है कि जो पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं की जगह अपने पार्टी के नेताओं के बेटे-बेटियों, बहूओं-पत्नियों की ओर ध्यान देता हैं। उसका आगे चलकर नामलेवा भी नहीं रहता।
भाजपा के कट्टर समर्थक व कार्यकर्ता संतोष सिंह जमशेदपुर में रहते हैं। वे कई लोगो को टैग करके लिखते हैं कि आज भाजपा पूर्वी के कार्यकर्ता घर से निकलने से पहले अपने बच्चों को जरूर बता कर निकले, आनेवाले 25 वर्ष या उससे आगे भी, तुमलोग एक परिवार की गुलामी कमल फूल के नाम पर करते रहना। तुमलोग केवल झंडा ढोना, कभी विधायक, सांसद बनने का सपना मत देखना। पार्टी के जब बड़े नेता जब परिवारवाद पर बयान दे, तुम उछल-उछलकर ताली बजाना। कभी अपने बड़े नेता पार्टी सिद्धांत को तोड़ मरोड़कर अपने फायदे के लिए काम करें तो तुम थेथरोलॉजी करना, लेकिन एक परिवार के पीछे गुलामी से पीछे मत हटना, क्योंकि गुलामी का खून बहुत वर्षों से हमारे राग में हैं। उसे कभी बेकार मत होने देना।
रांची के मुनचुन राय लिखते हैं कि भाजपा के नेता कहते है कि संगठन एवं विचारधारा सर्वोपरि है मगर जिस संगठन में जनाधार विहीन लोगों को, चाटुकारिता करने वाले लोगों को, दूसरों की बुराई करने वाले लोगों को और संगठन को नुक़सान पहुंचाने वाले अयोग्य लोगों को सम्मान दिया जाता है एवं समर्पित और मेहनती कार्यकर्ताओं को सिर्फ ठगा जाता है, तो क्या मैं भी आगे बढ़ने के लिए उन लोगों के जैसा बन जाऊँ?
जिस संगठन में प्रत्येक दिन आपके वजूद को ही समाप्त करने का प्रयास किया जाए तो क्या कोई भी आदमी उस संगठन से जुड़ कर रह सकेगा? पिछले 18-19 वर्षों से मैंने अपने धार्मिक,सामाजिक या राजनीतिक जीवन में एक रुपये का भी या किसी भी अन्य प्रकार का लाभ नहीं लिया है क्योंकि मेरे लिए लोगों का स्नेह और मेरा स्वाभिमान ही मेरी पूंजी और सबसे बड़ा पद है। राजनीति अब पैसे कमाने का साधन और समर्पित कार्यकर्ताओं, युवाओं का जीवन बर्बाद करने का जरिया मात्र बन कर रह गया है। अब संगठन में समर्पित कार्यकर्ता और जनाधार वाला व्यक्ति उनको माना जाता है जो भाजपा में किसी बड़े पद पर आसीन व्यक्ति के लिए समर्पित हो।
राजनीतिक पंडित कहते है कि अगर आप सोशल साइट उठाकर देख लीजिये, तो हर जगह भाजपा कार्यकर्ता व नेता अपने प्रदेश व केन्द्र के नेताओं के खिलाफ आग उगल रहे हैं। कुछ के यहां तो उनके आवाज को दबाने के लिए केन्द्र व प्रदेश के नेता पहुंच रहे हैं और जिसको जो चाहिए उसे वो पद देकर या उसे आश्वासन देकर चुप करा दे रहे हैं। लेकिन जब आक्रोश गली-कूचियों तक पहुंच गया हो। तो आप कितने आक्रोश को दबायेंगे। सवाल तो यहां यह हैं। सच्चाई यही है कि घटियासत्तर के प्रदेश नेताओं के कुकृत्यों से आज भाजपा एक-एक सीट के लिए संघर्ष करती नजर आ रही हैं और उसके समर्पित कार्यकर्ता ही उसकी जीत को ध्वस्त करने के लिए दीवार बनकर खड़े हो गये हैं। जो झामुमो की आसान जीत दिला रहे हैं।