अपनी बात

असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा ने रांची के पत्रकारों पर खुलकर लुटाया प्यार, खाने खिलाये, गिफ्ट दिये, पास बिठाया, खुब प्यार भरी बातें की, इधर हिमंता के आंखों से छलकते प्यार को देख कई पत्रकार अपनी सुध-बुध खो बैठे

कल की शाम असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और रांची के पत्रकारों के लिए खास था। खास इसलिए कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने रांची के बहुत ही खास होटल द कावस में एक रात्रि भोज का आयोजन किया था। जिसमें रांची के वे पत्रकार विशेष रुप से आमंत्रित थे, जो भाजपा के लिए काफी मायने रखते हैं। जो भाजपा का बहुत ही ख्याल रखते हैं। जिनका भाजपा नेताओं से समुद्र की गहराइयों से भी ज्यादा प्रेम रहा हैं। जो भाजपा नेताओं के बारे में सपने में भी बुराई न तो देख सकते हैं और न सुन सकते हैं।

कल की रात्रि भोज की खासियत यह भी थी कि इस पार्टी में वे भी पत्रकार/मालिक पहुंचे थे। जिनको हिमंता में अपना सपना सच होता दिख रहा था। ऐसे पत्रकार हिमंता से ऐसे चिपके हुए थे। जो नहीं चाहते थे कि उन्हें छोड़कर हिमंता किसी अन्य पत्रकार से बात भी करें। ऐसे पत्रकारों की आंखें, हिमंता के चेहरे और आंखों पर टिकी थी। हिमंता भी ऐसे पत्रकारों को पहचान चुके थे और वे भी उनकी आंखों में आंखे डालकर बातें इस प्रकार से कर रहे थे, जैसे कितने वर्षों का साथ हो।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ताओं की टीम और मीडिया प्रभारी तथा अपनी हरकतों के लिए जगतप्रसिद्ध तथा भाजपा के महान संत शिव पूजन पाठक भी शानदार पोशाक में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे तथा ऐसे महान पत्रकारों में अपनी छवि देख रहे थे। उनकी भी इच्छा थी कि जिस प्रकार से प्यार हिमंता इन पत्रकारों पर लूटा रहे हैं। थोड़ी दया उन पर भी कर दें, उन पर भी प्यार लूटा दें।

बताया जा रहा है कि कल की रात्रि भोज में करीब ऐसे 100 पत्रकारों ने भाग लिया था, जिन्हें इस प्रकार के प्यार भरे भोज में रूचि रहती हैं। इन पत्रकारों ने जमकर मुर्गे-मुर्गियों पर हाथ फेरे। अब ये मुर्गे-मुर्गियां हलाल तरीके से बनी थी या कुछ अलग तरीके से बनी थी, पता नहीं। लेकिन सभी ने एकता के स्वर में बद्ध कर हिमंता द्वारा दिये गये प्यार भरे इस भोज पर हाथ फेरा तथा अपने इस जन्म को कृतार्थ किया।

इस रात्रि भोज में वे पत्रकार/मालिक भी भाग लिये जो हाल ही में कारागार में रहकर आये और फिलहाल भाजपा की सेवा में लगकर अपने समस्त पापों को धोने में लगे हैं। उनकी भी नजर हिमंता पर थी और हिमंता की भी नजर उन पर थी। ठीक उसी प्रकार जैसे एक भक्त की भगवान पर और भगवान की भक्त पर रहती है। इनकी तड़प भी कोई कम नहीं थी। तड़प भी ऐसी थी, जैसी कि लैला की मजनू के लिए थी और मजनू की लैला के लिए था।

सुस्वादू भोजन प्राप्त कर लेने के बाद अब बारी थी। गिफ्ट देने-लेने की। जितने पत्रकार आये थे। सभी को उनके घर ले जाने के लिए मिठाइयों और मेवों से भरे दो-दो डब्बे थमाये जा रहे थे। पत्रकार भी बड़े प्रेम से इन गिफ्टों को लेकर भाजपा के नेताओं को दिल से दुआएं देकर अपने-अपने घर जा रहे थे। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई याचक किसी धन्नासेठ के घर भोजन ग्रहण करने के बाद, उस धन्ना सेठ के पास से मिले कुछ भी सामान को लेकर अपने-अपने निवास स्थान को जाता है।

इधर कई पत्रकार तो सुस्वादु भोजन प्राप्त कर, गिफ्ट लेने के बाद अपने-अपने घर चले गये। लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो हिमंता को छोड़ना ही नहीं चाह रहे थे। ऐसा लग रहा था कि हिमंता से उनका जन्म-जन्म का प्यार रहा हो। हिमंता भी उसी प्रकार ऐसे पत्रकारों से ट्रीट कर रहे थे, कि वे इन पत्रकारों को जन्म-जन्मातंर से जान रहे हो। दोनों के बीच प्यार भरी इधर-उधर की बातें चलती जा रही थी। पत्रकार इस प्यार भरी बातों में सुध-बुध खोते जा रहे थे। इसी बीच पत्रकार कब आनन्द से परमानन्द और परमानन्द से ब्रह्मानन्द में समा गये। उन्हें पता ही नहीं चला।

राजनीतिक पंडित कहते है कि धन्य है हिमंता और धन्य है भाजपा, साथ ही धन्य है रांची के पत्रकार, जो काव’स में आकर सुस्वादु भोजन का आनन्द लेते हैं। बाद में इनसे उपहार भी प्राप्त करते हैं। फिर राजनीतिज्ञों के आखों में झांककर प्यार भरी बातें करते हैं। ऐसा ही पत्रकार और राजनीतिज्ञों में संबंध होना चाहिए, तभी तो झारखण्ड प्रगति करेगा। शायद यही कारण रहा कि कभी 14 सितम्बर 2011 को एक भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी ने अर्जुन मुंडा के मुख्यमंत्रित्व काल में कहा था कि आप पत्रकार और माननीय मुख्यमंत्री के बीच में तो पति-पत्नी का संबंध होता हैं। जैसे ही उक्त आईएएस ने इस बात को कहा, एटीआई में उस वक्त बैठे पत्रकार यह सुनकर बहुत ही आनन्दित हो उठे थे। ऐसा आनन्द में डूबे थे, जैसे लगता हो कि उन्हें मन की मुराद मिल गई हो।

राजनीतिक पंडित तो ये भी कहते है कि अभी तो चुनाव प्रचार ठीक से शुरु नहीं हुआ हैं। पहली भोज भाजपा ने देकर इसकी शुरुआत कर दी है। गाना गाइये – अभी तो पार्टी शुरु हुई है। अभी तो कई राजनीतिक दल हैं, जो ऐसी पार्टियां देंगे और उसका पत्रकार मजे लेंगे। लेकिन जो पार्टी काव्स में भाजपा देगी, हिमंता देंगे और जो प्यार लूटायेंगे, वो मजा और दूसरी जगह कहां? इसलिए मजे लीजिये और मजे दीजिये और जमकर ऐसे लोगों के शरण में रहिये, क्योंकि कल्याण आपका तो यही करेंगे। हो सकें तो यह भी कहिये – भोजं शरणं गच्छामि। हिमंता शरणं गच्छामि। भाजपा शरणम् गच्छामि।

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