राजनीति

हिमंता द्वारा पत्रकारों को दी गई विशेष सेवा पर प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रियो ने कहा भाजपावाले आप पत्रकारों को रात्रिसेवा दे सकते हैं, हम आपको रात्रिसेवा दे सकने में असमर्थ हैं, हम तो आपको दिन में ही सिर्फ बुलायेंगे

झामुमो ने एक बार फिर भाजपाइयों की नींद उड़ा दी हैं। एक लाइन में कहें, तो नशा फाड़ दिया है। कल रांची के होटल कावस में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा पत्रकारों के लिए दी गई विशेष पार्टी और उसमें बांटे गये गिफ्ट तथा पत्रकारों और हिमंता के बीच चले प्रेमालाप व पत्रकारों द्वारा सुध-बुध खोने की घटना की चर्चा आज झामुमो द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता में भी गूंजी।

झामुमो के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने तो आज के प्रेस कांफ्रेस में पहुंचे पत्रकारों को साफ-साफ कह दिया कि हम आपलोगों को दिन में ही सिर्फ बुलायेंगे, रात में बुलाने की सामर्थ्य नहीं। उनका इशारा साफ कल होटल कावस में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा पत्रकारों को रिझाने के लिए दी गई विशेष पार्टी और उसमें बांटे गये गिफ्ट को लेकर था।

जैसे ही सुप्रियो ने कहा कि हम आपको दिन में बुलायेंगे, रात में नहीं तो एक पत्रकार ने बड़े ही प्रेम से कह डाला कि आप भी कभी-कभी रात में बुला लिया कीजिये। सुप्रियो ने तड़ाक से जवाब दिया कि उसके लिए उनका घर सदैव आपके लिए खुला है। सुप्रियो ने आज प्रेस कांफ्रेस में साफ कहा कि चूंकि भाजपा के पॉलिटिकल लीडर्स के फेल्योर होने के बाद भाजपा ने लास्ट इफोर्ट के तौर पर जांच एजेंसियों को यहां लगा दिया है।

उन्होंने कहा कि उन्होंने पांच दिन पहले ही कहा था कि रोज इन एजेंसियों के कारनामें की खबर अखबारों की सुर्खियों बने। इस पर काम करने को केन्द्र द्वारा इन्हें कहा गया है। तथ्य रहे या न रहे, इससे कोई मतलब नहीं, केवल सूत्रों के हवाले से खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर जनता के सामने पेश किये जाये, ताकि जनता दिग्भ्रमित होकर उनकी झोली में चली आये।

सुप्रियो ने कहा कि वे जांच एजेंसियों से जानना चाहते है कि वे समय का चुनाव कैसे करते हैं, पात्र कहां से ढुंढते हैं और यदि यही करना है तो इसका प्रतिफल क्या है? आप छापा मार रहे हैं, जांच कर रहे हैं, इसमें कोई बुराई भी नहीं, लेकिन उसका नतीजा भी तो जनता के सामने आनी चाहिए। उसे सार्वजनिक क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा कि इन्हीं सभी घटनाओं को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि ईडी की कार्रवाई पॉलिटिकल मोटिवेशन के तहत होता है और उसकी पुष्टि उस वक्त हो गई, जब उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के मामले में साफ कहा कि प्रथम दृष्टया तो कोई साक्ष्य ही नहीं हैं और ये एक मनगढंत कहानी लग रही है।

आश्चर्य है कि इनके पास कोई मुद्दा ही नहीं, सेलेक्टिव टीम अब लगाये जा रहे हैं। अब परिवारवाद पर बोल नहीं पायेंगे। घुसपैठिये पर भी नहीं बोल पायेंगे, क्योंकि अब उन्हीं की पार्टी में घुसपैठिये भरे पड़े हैं। एक भी सार्थक बातें नहीं कर पा रहे हैं। कल ही जब हमलोगों ने गढ़वा के रिटर्निंग ऑफिसर को लेकर मूल सवाल उठाया तो उपर से आदेश कहकर भाजपा प्रत्याशी सत्येन्द्र नाथ तिवारी का नोमिनेशन एक्सेप्ट कर लिया गया और आज हमारे कैंडिडेट को उसी आशय को लेकर उन पर ऑब्जेक्शन लगा दिया गया। यानी अब भाजपा के लिए चुनाव आयोग भी, यानी ईसी, ईडी, ईबी सब खुलकर चुनावी समर में कूद पड़े हैं।

सुप्रियो ने कहा कि यहां के ब्यूरोक्रेट्स को एक मैसेज दिया जा रहा है। इस चुनाव में भाजपा का एकतरफा जीत सुनिश्चित करनी है। अन्यथा आप पर कार्रवाई होगी। अब इस कार्रवाई पर क्या किया जाये। भाजपावाले तो कह रहे है कि हम तो पहले ही बोल दिये थे कि ऐसा होगा, तो भाई पहले ही क्यों नहीं कर लिया, ये चुनाव का समय करने का क्या मतलब? इसीलिये न ताकि भ्रम की स्थिति पैदा होती रहे और उसके बाद न तो कोई तथ्य आयेगा और नहीं आपके पास कोई तथ्य हैं।

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