सुप्रियो ने कहा, सहारा का 5000 करोड़ रुपये डकारनेवाले भाजपा के अखबारी विज्ञापन के चक्कर में नहीं पड़े लोग, क्योंकि दिल्ली में बैठा है ‘एक मोदी और दूसरा अमित भाई, आपका सारा पाई-पाई, नोच लेगा ये दोनों भाई’
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज भाजपा द्वारा विभिन्न अखबारों को दिये गये सहारा के पैसों से संबंधित झूठे और बकवास प्रचार पर भृकुटी तानते हुए कहा यह प्रचार सामग्री नहीं, बल्कि विषाक्त सामग्री है। सच्चाई यही है कि भाजपा के नेताओं ने सहारा के पांच हजार करोड़ रुपयों को पूरी तरह डकार लिया है। इन भाजपाइयों का हाल चोर के दाढ़ी में तिनका वाली है। इनको जैसे ही समझ में आ गया कि इनकी चोरी पकड़ी गई हैं। तो इन्होंने ये नारा दे दिया कि – ‘सहारा के किसी भी जमाकर्ता की नहीं डूबेगी कमाई, भाजपा वापस दिलायेगी पाई-पाई।’
सुप्रियो ने कहा कि ये जो भाजपावाले सहारा के पैसे दिलाने की बात आज कह रहे हैं। उनसे पूछिये कि अब तो 2024 का भी वर्ष बीतने वाला है। आप पहले से कहां थे? लोकसभा चुनाव के समय कहां थे? इसके पहले आपने निवेशकों के डूबे पैसों क्यों नहीं दिये? सुप्रियो ने कहा कि मोदी की गारंटी का नाम जपनेवाले इनलोगों से पूछिये कि सुप्रीम कोर्ट ने तो 2023 में ही इस पर अपनी बात कह दी थी, आखिर आपने आज तक एक भी पैसा निवेशकों को क्यों नहीं लौटाए?
सहारा का पैसा खा जाना, यहीं मोदी की गारंटी है
सुप्रियो ने कहा, कहां गई मोदी की गारंटी, दो करोड़ नौकरी, पन्द्रह लाख, किसानो की कमाई दूगनी करने की, रुपये की मजबूती की? सच्चाई यही है कि सहारा का पैसा भी खा जाना यही मोदी की गारंटी है। उन्होंने कहा कि सारे निवेशकर्ता ये जान लें कि ये जो भाजपा का दिया गया नया नारा है, वो काला सच है। ‘किसी को भाजपावाले नहीं दिलायेंगे पाई-पाई, क्योंकि दिल्ली में बैठा है गुजरात का दो भाई’ ‘एक मोदी और दूसरा अमित भाई’ ‘सारा पाई-पाई, नोच लेगा ये दोनों भाई’।
सुप्रियो ने कहा कि आज जैसे ही उनकी नजर अखबारों में दी गई भाजपा के चुनाव प्रचार पर पड़ी तो उनका दिमाग ही उड़ गया। सहारा में निवेशकों के डूबे पैसों से संबंधित भाजपा का विज्ञापन था। ये भाजपावाले दावा कर रहे हैं कि जैसे ही उनकी सरकार राज्य में आयेगी तो ये पैसे राज्य की जनता को दिलवायेंगे। सच्चाई क्या है – यह पूरे देश से जुड़ा मामला है।
मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया। अब तो सहाराश्री भी नहीं रहे। सुब्रतो राय को लंबे समय तक जेल में भी रहना पड़ा। जब 29 मार्च 2023 को फैसला आया। चूंकि सहारा की लिस्टिंग सेबी में थी। जब सहारा पर केस चल रहे थे। तो सेबी के रिफन्ड पोर्टल पर सहारा द्वारा 5000 करोड़ रुपये जमा करवाये गये थे। सहारा और सेबी रिफंड पोर्टल को कहा गया कि आप इस पांच हजार करोड़ रुपये को सेन्ट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कॉपरेटिव सोसाइटीज को दे दें और 19 जुलाई 2023 को सीआरसीएस सहारा रिफंड पोर्टल के नाम पर भारत सरकार, सहकारिता मंत्रालय का वेब पोर्टल लांच हुआ।
उसमें कहा गया कि जो भी लेनदार है, वो पन्द्रह से पैतालिस दिनों के अंदर आवेदन कर दें, उनका भुगतान भी इतने दिनों के अंदर हो जायेगा। देश के करोड़ों लोग जिनके पैसे सहारा में डूबे हुए थे। उन्होंने आवेदन देना शुरु कर दिया। इसी बीच 2023 समाप्त हो गया। अब 2024 समाप्त होने को हैं पर किसी भी निवेशकों के खाते में पांच रुपये तक नहीं आये।
सुप्रियो ने कहा कि अब इधर देखिये। इसी बीच 2019 में जो अमित शाह गृह मंत्री बने थे। उन्हें 2021 में विशेष रुप से सहकारिता मंत्रालय भी दे दिया गया और यहीं से खेल शुरु हो गया। यानी 2021 में मंत्री बने और दो साल के भीतर ही इनके पास 5000 करोड़ रुपये आ गया और पैसा किसी को भी नहीं मिला। सहारा का सच यही है कि भाजपा, सहारा के सारे 5000 करोड़ रुपये खा गई।
सुप्रियो ने कहा कि ये दोनों गुजराती भाई, एक नरेन्द्र मोदी और दूसरा अमित शाह सारा पाई-पाई नोचते रहे हैं। गुजरात की एक लॉबी है। नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, ललित मोदी, किसने ऐसे लोगों को पैसे दिये? किस कालखंड में पैसे दिये? कौन इन्हें विदेश भेजा? और ये दोनों यहां आकर नौटंकी करते हैं। कहते है कि झारखण्ड को पैसा मिलेगा तो पैसा खा जायेगा। सुप्रियो ने कहा कि हम तो उसी वक्त अवाक रह गये थे, जब अमित शाह को सहकारिता मंत्रालय दिया गया था।
भाजपा के लोग गरीबों के खून के साथ-साथ उनके पसीने भी पी जानेवाले हैं
सुप्रियो ने कहा कि ये दोनों नरेन्द्र मोदी व अमित शाह जानते हैं कि ये गरीबों की कमाई थी। सहारा में ज्यादातर उनके पैसे थे, जो ठेला चलाते थे, पान दुकान किये हुए थे। बोझा ढोनेवाले लोग थे। जिनकी रोज की आमदनी पांच से पचास रुपये थी। उन गरीबों के पैसे भी ये लोग लूट लिये। ये गरीबों के खून के साथ-साथ उनका पसीना तक पी जानेवाले लोग हैं। हेमन्त सरकार बनने के बाद हमलोग भाजपा में घुसकर इन गरीबों का पैसा लायेंगे और गरीबों को दिलवायेंगे।