अपनी बात

सजायाफ्ता BJP सांसद ढुलू महतो तथा उनके कट्टर समर्थकों व ढुलू समर्थित तैलिक महासभा ने धनबाद के भाजपा प्रत्याशी राज सिन्हा को हराने के लिए कसी कमर, उधर ढुलू के इस हरकत से कांग्रेस जीत की ओर अग्रसर

धनबाद के सजायाफ्ता भाजपा सांसद ढुलू महतो तथा उनके कट्टर समर्थकों व ढुलू महतो समर्थित तैलिक महासभा ने धनबाद के निर्वतमान विधायक और भाजपा प्रत्याशी राज सिन्हा को हराने के लिए कमर कस ली है। इधर भाजपा के अंदर चल रही इस उठापटक ने कांग्रेस प्रत्याशी अजय कुमार दूबे की जीत की राह लगभग आसान कर दी है। अगर ये उठापटक इसी तरह जारी रहा तो धनबाद का ये बहुप्रतिष्ठित सीट भाजपा के हाथ से निकलता हुआ दिख रहा है।

बताया जा रहा है कि ढुलू महतो और उनके समर्थक अब तो राज सिन्हा के कार्यक्रमों में भी गड़बड़ियां फैला रहे हैं और उन गड़बड़ियों को खूलेआम सोशल साइट पर डालकर अपने ही प्रत्याशी के खिलाफ खुब अल-बल लिखकर कबाड़ा निकाल रहे हैं। जिसे देख धनबाद की जनता भी आश्चर्यचकित है। ज्यादातर बुद्धिजीवियों का कहना है कि भाजपा में इस तरह की प्रवृत्ति पहले कभी नहीं देखी गई। लेकिन चूंकि अब अटल-आडवाणी का युग हैं नहीं, अब तो विशुद्ध व्यापारियों का वर्ग इसे हैंडल कर रहा हैं तो ये सब जो कुछ अभी दिख रहा हैं, उससे किसी को आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए और न लोग आश्चर्यचकित हैं।

राजनीतिक पंडित तो साफ कहते हैं कि पहले तो राज सिन्हा को धनबाद विधानसभा से टिकट नहीं मिले। इसके लिए सजायाफ्ता ढुलू महतो ने धनबाद से लेकर रांची और फिर रांची से लेकर दिल्ली तक एड़ी चोटी कर दी थी। जिसकी चर्चा खुद ढुलू के समर्थक तेल-मसाला डालकर फेसबुक पर किया करते थे। कभी लिखते कि राज सिन्हा को टिकट नहीं मिल सकता और जब मिल गया तो यह लिखना शुरु किया कि राज सिन्हा ने ढुलू महतो के आगे रोना-धोना शुरु किया तब जाकर राज सिन्हा को धनबाद से टिकट मिला। जबकि राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राज सिन्हा सब कुछ कर सकते हैं, लेकिन स्वाभिमान बेचकर राजनीति नहीं कर सकते।

हाल ही में जब एक केन्द्रीय मंत्री धनबाद के दौरे पर आये थे, तो राज सिन्हा ने उनके स्वागत में अपने आवास पर एक भोज का आयोजन किया था। जिसमें उक्त केन्द्रीय मंत्री को खुद ढुलू महतो ने राज सिन्हा के आवास पर जाने से मना किया था। लेकिन फिर भी केन्द्रीय मंत्री, राज सिन्हा के आवास पर गये और वहां फिर ढुलू समर्थकों ने ऐसा हंगामा किया कि वहां केन्द्रीय मंत्री यह सब देखकर अवाक् रह गये। जिसे न्यूज बनाकर एक वहां के इन्फूलंएसर व यूट्यूबरों ने खुब धमाल मचाया था।

अभी भी फेसबुक पर कई ऐसे ढुलू समर्थक आपको मिल जायेंगे, जो राज सिन्हा के खिलाफ आग उगल रहे हैं। इसमें भाजपा की महिला नेत्री के साथ-साथ भाजपा नेता भी शामिल हैं। सभी राज सिन्हा द्वारा पूर्व में दिये गये संवाद को गड़े मुर्दे की तरह उखाड़कर अपने ही लोगों को याद दिला रहे हैं और कह रहे है कि इन्हें याद करों और राज सिन्हा को सबक सिखाओं।

और कल तो हद हो गई। ढुलू समर्थित तैलिक महासभा ने खुलकर राज सिन्हा का विरोध करना शुरु कर दिया और मीडिया से बातचीत में कहा कि  वे अपने समुदाय के लोगों से अपील करेंगे कि वे राज सिन्हा के खिलाफ मतदान करें, क्योंकि राज सिन्हा ने पूर्व में उनके जाति के व्यक्ति ढुलू महतो के खिलाफ बयान देकर, ढुलू को न वोट देने के लिए एक अभियान चलाया था। जबकि राज सिन्हा और उनके समर्थकों का कहना था कि ऐसा उन्होंने कुछ किया ही नहीं। लेकिन अगर कोई किसी संवाद पर मीन-मेख निकालता हैं तो उनके मीन-मेख को ठीक करने का फिलहाल उनके पास समय नहीं हैं।

उधर अन्य जातीय समुदायों की राजनीति करनेवाले लोगों का कहना है कि जो लोग जाति की राजनीति करते हैं और वे चुनाव के समय पर इस प्रकार का बयान जारी करेंगे तो समझ ले कि लोकसभा या विधानसभा का चुनाव कोई भी व्यक्ति एक जाति के वोट से न तो जीत सकता हैं और न ही हार सकता हैं। हां, इस प्रकार के बयान से मानसिक दिवालियापन की याद जरुर ताजा हो जाती हैं।

अब कल कोई कायस्थ कम्यूनिटी के लोग कहें कि ढुलू महतो के लोगों ने राज सिन्हा को हराने के लिए विधानसभा में अभियान चलाया था तो आनेवाले समय में लोकसभा चुनाव में ढुलू को हराना हैं तो इस प्रकार का बयान बचकाना के सिवा दूसरा कुछ नहीं। अगर किसी को जातीय राजनीति को ही देखना हैं तो नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और रघुवर दास से बड़ा कोई तेली या वैश्य है क्या? इसलिए इस प्रकार की राजनीति और बयान से ढुलू महतो और उनके कट्टर समर्थकों तथा जाति की राजनीति करनेवाले लोगों को बचना चाहिए। नहीं तो भविष्य किसने देखा है?

अगर, वे ऐसा करना नहीं छोड़ते हैं, तो इससे उनके ही समाज का बुरा होगा, क्योंकि हर समाज में अच्छे व बुरे लोग होते हैं। सच्चाई यह भी है कि ढुलू महतो सजायाफ्ता है। कानून ने उन्हें एक-दो मामलों में सजा भी सुनाई है। ये अलग बात है कि उनकी सजा दो साल के चक्कर में नहीं पड़ी, अगर पड़ती तो वे लोकसभा क्या, विधानसभा का मुंह भी नहीं देखते।

आज भी उनके कारण उन्हीं के जाति के कई लोग, उन्हीं के इलाके में कष्टकर जीवन जी रहे हैं। उन पर ध्यान कौन देगा? क्या जाति का राजनीति करनेवाली तैलिक महासभा के लोग ढुलू महतो को जाकर कहेंगे कि आखिर अशोक महतो और उनके परिवार ने उनका क्या बिगाड़ा था कि उसका जीवन उन्होंने दूभर कर दिया हैं। क्या तैलिक महासभा के लोग बतायेंगे कि दो वर्ष पहले रांची राजभवन जाकर, तो कभी धनबाद के ही रणधीर वर्मा चौक पर किस जाति के लोगों ने उनके जाति के ढुलू महतो के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया था?

आखिर झारखण्ड विधानसभा में ढुलू महतो के खिलाफ एक विधायक ने सदन में उनके करतूतों पर शून्य काल में प्रश्न क्यों उठाया, जिसको लेकर तत्काल स्पीकर ने प्रशासनिक अधिकारियों को इस पर ध्यान देने को कहा था। क्या वजह थी कि जब अशोक महतो के घर की महिला सदस्यों पर ढुलू के लोगों ने हाल ही में प्रहार किया तो राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इस मामले को ट्विट कर जिला प्रशासन से इस पर एक्शन लेने को कहा था और जिला प्रशासन ने इस पर एक्शन लेते हुए प्राथमिकी दर्ज कर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को इस बात की पूरी जानकारी भी दी।