राजनीति

झामुमो का दावा राज्य के 58 विधानसभा सीटों पर भाजपा गठबंधन का खाता नहीं खुलेगा, जबकि 23 सीटों पर सीधा संघर्ष, जनता के आशीर्वाद से दो-तिहाई बहुमत के साथ फिर से राज्य में बनने जा रही हेमन्त सरकार

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनकी पार्टी इस बार दो तिहाई बहुमत लाकर सरकार बनाने जा रही है। उन्होंने आज एक सूची जारी करते हुए कहा कि राज्य में 11 जिले तो ऐसे हैं, जहां भाजपा का खाता तक नहीं खुलेगा, शेष 13 जिलों में उनकी पार्टी कड़े संघर्ष में हैं। उन्होंने कहा कि 58 विधानसभा सीटों पर तो भाजपा का खाता नहीं खुलेगा, वहां झामुमो गठबंधन मजबूत स्थिति में हैं और चुनाव जीतने जा रही हैं। उन्होंने जिन विधानसभा सीटों पर झामुमो गठबंधन को मजबूत बताया, उसके नाम इस प्रकार है –

राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, नाला, जामताड़ा, दुमका, जामा, मधुपुर, सारठ, देवघर, पोड़ैयाहाट, बरकट्टा, बरही, मांडू, सिमरिया, सरायकेला, ईचागढ़, जमशेदपुर पश्चिम, जुगसलाई, घाटशिला, पोटका, चाईबासा, मझगांव, मनोहरपुर, चक्रधरपुर, तमाड़, तोरपा, खिजरी, रांची, हटिया, मांडर, सिसई, गुमला, बिशुनपुर, सिमडेगा, टुंडी, बगोदर, गांडेय, गिरिडीह, डुमरी, गोमिया, बेरमो, चंदनकियारी, सिंदरी, निरसा, कोलेबिरा, मनिका, लातेहार, डालटनगंज, छतरपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा, भवनाथपुर और बोकारो (58)।

जबकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि राज्य के शेष 23 विधानसभा सीटों पर झामुमो गठबंधन का भाजपा गठबंधन के साथ कड़ा संघर्ष हैं। जिन-जिन सीटों पर उनके गठबंधन का सीधा संघर्ष हैं। उसके नाम उन्होंने इस प्रकार बताएं – जरमुंडी, गोड्डा, कोडरमा, बड़कागांव, रामगढ़, हजारीबाग, चतरा, धनवार, जमुआ, धनबाद, झरिया, बाघमारा, बहरागोरा, जमशेदपुर पूर्व, जगन्नाथपुर, खरसावां, खुंटी, सिल्ली, कांके, लोहरदगा, पांकी, विश्रामपुर और महागामा (23)।

सुप्रियो ने कहा कि जल्द ही राज्य में झारखण्डी अरमानों और उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप सरकार बनेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रकार राज्य की जनता ने इस लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लिया। वो बताता है कि हमारे यहां लोकतंत्र कितना मजबूत है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं का उत्साह दिखा, वैसा शहरी क्षेत्रों में नहीं दिखा। शहरी क्षेत्रों में मतदाताओ का वोट नहीं देना, हर राजनीतिक दलों के लिए चिन्ता का विषय है। जबकि सबसे ज्यादा सरकार से अपेक्षाएं शहरी लोगों की ही होती हैं। लेकिन लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने की बात होती हैं तो ये गायब हो जाते हैं।

सुप्रियो ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि सरकार की सर्वाधिक आलोचना यहीं शहर में रहनेवाले बुद्धिजीवियों का समूह व इलिट वर्ग करता है। लेकिन वोट देने का समय आता है तो यह खुद को मुख्यधारा से अलग कर लेता है। उन्होंने कहा कि कल चुनाव संपन्न होने के बाद कुछ प्रायोजित सर्वें व कुछ हकीकत के सर्वें दिखाई पड़े, जिनके अलग-अलग आकलन देखने को मिले। सुप्रियो ने कहा कि हमारी पार्टी ने भी मतदाताओं के मनोभाव का आकलन किया है। जिसके आधार पर हम कह सकते हैं कि हम दो-तिहाई मतों से सरकार बनाने जा रहे हैं।

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