अपनी बात

पूरे प्रदेश में भाजपा की शर्मनाक हार से क्रुद्ध भाजपा कार्यकर्ता कल तक जिनकी स्तुति गाते नहीं थकते थे, आज उस महामंत्री प्रदीप वर्मा व संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह को जमकर गालियां और उनकी पिटाई की बातें कर रहे हैं

सच्चाई है। पूरे प्रदेश में भाजपा की शर्मनाक हार से क्रुद्ध भाजपा कार्यकर्ता कल तक जिनकी स्तुति गाते नहीं थकते थे। आज उस महामंत्री प्रदीप वर्मा व संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह को जमकर, वो भी भरपेट गालियां और उनकी पिटाई की बातें करने लगे हैं। ये कार्यकर्ता भरपेट गालियां और उनकी पिटाई करने की बात कोई गुप-चुप तरीके से नहीं कर रहे। बल्कि ये अपना गुस्सा खुलकर सोशल साइट पर यानी फेसबुक पर प्रकट भी कर रहे हैं, जिसका समर्थन अन्य भाजपा समर्थक भी कर रहे हैं। विद्रोही24 के पास इसके कई प्रमाण हैं। विद्रोही24 ने उसे संभाल कर रखा हैं। प्रमाण नंबर एक। आप हैं – अविनाश मिश्र।

जनाब कल तक प्रदीप वर्मा व कर्मवीर सिंह की स्तुति गाने में खुब मशगुल रहते थे। लेकिन आज इनका दिमाग का पारा गरम हैं। इतना गरम हैं कि वे प्रदीप वर्मा और कर्मवीर सिंह के खिलाफ पूरा फेसबुक रंगे हुए हैं। सबसे पहले चुनाव परिणाम आने के पूर्व ये इन भाजपा नेताओं के पक्ष में किस प्रकार स्तुति गाते थे। सबसे पहले वो देखिये। जनाब चार नवम्बर को राज्यसभा सांसद व प्रदेश भाजपा के महामंत्री प्रदीप वर्मा के बारे में क्या लिख रहे हैं …

मुझे महामंत्री सह राज्यसभा सांसद श्री प्रदीप वर्मा जी बहुत ज्यादा एक्टिव नजर नही आ रहे है इस चुनाव में जो कि मुझे थोड़ा खल रहा है, चुनावी मैनेजमेंट में बहुत माहिर व्यक्ति है साथ ही फंडिंग को लेके भी बहुत चीजों को वो मैनेज कर सकते हैं मतलब वो इस मामले में बहुत शानदार संगठनकर्ता है। पार्टी को उनके अनुभव का और स्किल का लाभ लेना चाहिए इस चुनाव में और ये बहुत फायदेमंद होगा पार्टी के लिए, पिछले चुनाव में वो प्रभारी थे कोल्हान के पार्टी भले ही आठ से चार  पर आ गई अलग बात है, लोकसभा चुनाव में दुमका के भी शायद प्रभारी थे वहां भी पार्टी भले ही हार गई लेकिन कार्यकर्ताओं को कैसे मैनेज करना है वो बखूबी जानते हैं।

मेरा पार्टी से अनुरोध है कि उनको इस चुनाव में पूरी ऊर्जा के साथ उतारना चाहिए ताकि पार्टी को जीतने में और आसानी हो, बाकी पार्टी का फैसला सर्वोपरि है मैं सिर्फ अनुरोध कर सकता हूं, चुनावी मैनेजमेंट के मामले में मैं उनका प्रशसंक रहा हूं। और चुनाव परिणाम आने के बाद इस व्यक्ति का सुर ही बदल गया। अब 24 नवम्बर को यही व्यक्ति क्या लिख रहा है…

पूरे भारत में खिजरी विधानसभा एक मात्र ऐसा विधानसभा होगा जहां से एक ही बार में एक साथ 2 राज्यसभा सांसद होंगे, साथ ही सांगठनिक तौर पर भी एक मात्र विधानसभा होगा जहां से प्रदेश के 2 महामंत्री होंगे और ये वाकई में रिसर्च करनी वाली बात है अगर ऐसा कही होता है तो मुझे बताइएगा मैं सुधार कर लूंगा। तो यहां से 2 वर्तमान राज्यसभा सांसद, 2 वर्तमान महामंत्री, 1 महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष, एक महिला मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, 1 प्रदेश के उपाध्यक्ष, एक रांची जिला ग्रामीण के पूर्व अध्यक्ष और भी होंगे सब कोई याद नही मुझे,  इतने पदाधिकारी एक विधानसभा से होना भी शायद इतिहास में किसी एक विधानसभा से नही होंगे ।

फिर भी हम खिजरी हार गए और ये सीट हम लोकसभा में भी हारे थे और अब विधानसभा में भी हार गए, ये विधानसभा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चुनाव के दौरान ही यहां देश के गृहमंत्री अमित शाह जो की भाजपा में कितना बड़ा कद रखते हैं ये सभी जानते है उन्होंने ने भी प्रदेश के महामंत्री सह राज्यसभा सासंद प्रदीप वर्मा जी के यहां प्रवास किया था उसके बावजूद हम सीट हार गए।

ये सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां मतदान होने से ठीक पहले इस क्षेत्र में उपस्थित बड़े संस्थान में से एक सरला बिरला कैंपस में भी राज्य के पुलिस द्वारा छापेमारी हुई थी। इनके रहते ये लगातार दूसरी हार है (लोकसभा में हुई हार को मिला के) ये इनकी नैतिक जिम्मेवारी लेनी भी बनती है क्योंकि इन्होंने कोई मेहनत नहीं किया और ना ही इनका अपने क्षेत्र में कोई प्रभाव है। इस से साफ पता चलता है और इन्हे ये जिम्मेवारी स्वीकार करनी ही होगी। अब यही व्यक्ति 25 नवम्बर को किस प्रकार अपना आक्रोश प्रकट कर रहा हैं। अब वो देखिये …

एक प्रत्याशी से पनौती ने चुनाव मैनेजमेंट के नाम पर 10 से 15 लाख लिए नतीजा वही पनौती के चक्कर में पड़ के प्रत्याशी हार गए जिसका जीत का दावा ये लोग कर रहे थे वही सीट हार गए, चूंकि लोकसभा में भी हम वो सीट हार चुके थे उसके बाद भी जीत का सब्जबाग दिखा के पैसा हड़प लिया गया और नतीजा वही ढाक के तीन पात।

प्रदीप वर्मा जी ने बहुत पहले ही उपचुनाव के समय ही कहा था की लुइस मरांडी को टिकट नही देना चाहिए, उनका टिकट काट दिया गया वो झामुमो से लड़ी जाके, दूसरे सीट जामा से लड़ी और जो कि झामुमो में सीता सोरेन की सीट थी और जीत दर्ज की। कुछ लोगो का पांच रुपए का औकात नही था वो सब आज 500 करोड़ का बन गया है? और बाकी सब झाल ही बजाते रहिएगा.. ऐसे व्यक्तियों को डंडा से पीट पीट के पैर हाथ तोड़ देना चाहिए ।

नहीं तो फिर कोई दूसरा ऐसा ही करेगा और बस यहां से माल ही बनाता रहेगा क्योंकि सबको लगता है की यहां का सब बुड़बक आदमी है और है ही। इतना इज्जत में चढ़ा दिया जाता है कि पैर नही लगेंगे तो आगे नही बढ़ने को मिलेगा,  जो पैर लगेगा बस वही आगे बढ़ेगा ऐसे आदमियों को पैर क्यों पड़ता है सब समझ नही आता है। ऐसे व्यक्तियों को तो घसीट के सड़क पर लाके ठोकना चाहिए और तब तक ठोकना चाहिए जब तक सब जगह लाल न हो जाए, और बड़ा बांस लेके उसी में गाड़ देना चाहिए।

ये तो अविनाश मिश्र हैं। ऐसे ही कई भाजपा कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने अपने फेसबुक पेज रंग दिये हैं। लेकिन इन प्रदेश के नेताओं को शर्म ही नहीं हैं और न ही राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के नेता ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने का मन बना रहे हैं। जिसके कारण भाजपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा भड़कता जा रहा है। खूंटी में रहनेवाले कट्टर भाजपा समर्थक निर्मल सिंह फेसबुक पर लिखते हैं –

कर्महीन भवसागर गये, जहां रतन के ढेर। हाथ लगावे तो घोघा मिले, यही कर्म का फेर। इधर इन्हीं के फेसबुक पोस्ट पर कमेन्ट्स करते हुए भाजपा के कट्टर समर्थक व झारखण्ड उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता अभय कुमार मिश्र लिखते है कि कर्महीन को हटाया नहीं जाये, उन पर जांच किया जाये. कितना धन झारखण्ड से लिए है। प्राथमिकी दर्ज की जाये। बड़ा आसान है पिछले बार तिरपाल को हटा दिया गया। क्या फायदा हुआ। जिम्मेदारी तय करो। कितना माल बटोरते हैं ये लोग। वह पता करके प्राथमिकी करो।

नामकुम स्वर्णरेखा नगर निवासी कट्टर भाजपा कार्यकर्ता सुधीर शर्मा फेसबुक पर लिखते हैं कि जो भी होता है घटनाक्रम रचता स्वयं विधाता है। आज लगे जो दंड वहीं कल पुरस्कार बन जाता है। निश्चित होगा प्रबल समर्थन। अपने सत्य विचारों का। कर्मवीर को फर्क (घंटा) न पड़ता, किसी जीत या हार का। आगे सुधीर लिखते है कि इस संगठन की दुर्दशा के लिए हर वो कार्यकर्ता भी जिम्मेवार है। जो मुंह में टेप लगाकर अब भी भाई साहब, भाई साहब कर रहे हैं। अब नहीं बोलोगे तो कल बोलने के लायक नहीं रहोगे। याद रखिये, जो तटस्थ है, समय लिखेगा। उनका भी अपराध।

सुधीर आगे लिखते हैं कि झारखण्ड में धार्मिक ध्रुवीकरण की अपार सफलता के बाद कुछ कमला पसन्द गुटखा छाप टाइप सोशल थिंकर फेसबुक में खूब (आपत्तिजनक शब्द) करने लगे हैं। पूरे हिन्दू समाज और कुर्मी को गद्दार साबित करने पर तुल गये हैं। बहन-बेटियों पर भी पैसे की लालच में वोट करने का दोष मढ़ने लगे हैं। अरे (आपत्तिजनक शब्द) रोना बंद करो, आज 21 हुए हो, कल 11 हो जाओगे। 28 के बाद वैसे भी भगदड़ मचनेवाली है। कल तक जो पानी पी-पीकर तुम्हें, तुम्हारे संगठन को कोस रहे थे, उनको दामाद के जैसा स्वागत करके बुलाने समय तो बकार नहीं फूटा था तुम्हारा।

अभी भी उसकी जी-हुजूरी करने और फेसबुक पर फोटो चेपने से उपर नहीं उठ पाये हो। संगठन को इंवेट मैनेजमेंट कंपनी बनानेवाले जमीन से दूर हो गये, ट्विटर पर क्रांति करनेवाले आरामदायक वातानुकूलित कमरे में बैठकर सोशल इंजीनियरिंग कर रहे हैं। हेलीकॉप्टर से नीचे झांकोगे तो सब हरियर ही दिखेगा। जमीन कितनी बंजर है। यह जानने के लिए जमीन पर उतरकर जमीन की धूल फांकनी पड़ेगी। बाकी जो है, सो हइये हैं। जय झारखण्ड, भारत माता की जय। सुधीर शर्मा आगे लिखते है कि यदि महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में महायुति की शानदार जीत हुई तो झारखण्ड में एनडीए की करारी हार किसके नेतृत्व में हुई? यह भी बताना चाहिए।

मतलब पूरा फेसबुक भाजपा के प्रदेश नेताओं व राष्ट्रीय नेताओं के खिलाफ रंगा हुआ हैं। लेकिन भाजपा के प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को लगता है कि सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा हैं। अगर इन क्रुद्ध भाजपा कार्यकर्ताओं के दिलों में बने जख्मों पर मलहम नहीं लगाया गया, तो भाजपा का आनेवाले समय में सर्वनाश तय है। (अंत में यहां जो भी लिखा गया है। उन सभी का प्रमाण/साक्ष्य विद्रोही24 के पास मौजूद हैं। कोई किन्तु-परन्तु में न रहें।)

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