संविधान में घमंड का कोई स्थान नहीं, प्रधानमंत्री द्वारा संसद में विपक्षी नेताओं को इंगित कर यह कहना कि ये जनता द्वारा नकारे गये लोग हैं, यह प्रधानमंत्री के घमंड को दर्शाता हैः सुप्रियो भट्टाचार्य
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संविधान में घमंड का स्थान नहीं होता। जैसे प्रधानमंत्री वाराणसी से चुनाव जीते हैं, ठीक उसी प्रकार से अन्य दलों के लोग भी अपने-अपने लोकसभा सीटों से चुनाव जीते हैं। वे नकारे गये लोग नहीं हैं। सुप्रियो ने कहा कि जब संसद में विपक्ष के लोगों ने अडानी का मुद्दा उठाया तो प्रधानमंत्री ने बहुमत के आधार पर उनकी आवाज दबवा दी और विपक्ष के सांसदों को जनता द्वारा नकारा गया बता दिया।
सुप्रियो ने कहा कि प्रधानमंत्री के द्वारा वे सारे लोग नकारे गये हैं। तो जो झारखण्ड में नई सरकार 28 नवम्बर को अस्तित्व में आयेगी, वो क्या, वो भी राज्य की जनता द्वारा नकारे गये लोगों की होगी या स्वीकारे गये लोगों की होगी? यह सवाल वे प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जिस संविधान की कसमें खाकर वे शपथ लेते हैं और संवैधानिक दायित्वों का निर्वहण कर रहे हैं। ठीक उसी प्रकार अन्य भी संवैधानिक दायित्वों का निर्वहण कर रहे हैं।
सुप्रियो ने कहा यही घमंड और गरुर का जवाब झारखण्ड की जनता ने उन्हें दे दिया है। उन्हें इससे सबक लेनी चाहिए। झारखण्ड के नतीजे आने के 48 घंटे बाद संसद प्रारंभ होती हैं और प्रधानमंत्री की ये भाषा सुनाई देती हैं। आखिर ये कौन सी भाषा है। किसानों की शहादत पर वे कहते है कि वे हमारे लिए मरे हैं क्या? तो प्रधानमंत्री यह भी बताएं कि पुलवामा के शहीदों का इस्तेमाल अपने चुनाव प्रचार में क्यों किया? भारत निर्वाचन आयोग इस पर चुप क्यों रहा?
सुप्रियो ने कहा कि आज संविधान को अक्षुण्ण बनाये रखने का दिन हैं और वे इसकी लड़ाई अनवरत् लड़ते रहेंगे, क्योंकि संविधान ही हमारा सब कुछ हैं। हम भाजपा के द्वारा चलाई जा रही अपनी बातों को यहां चलाने नहीं देंगे। यहां जब भी बातें होगी तो संविधान की होगी और देश संविधान से ही चलेगा। इसलिए हर को ये बात समझनी होगी कि संसद में बैठे सारे लोग नकारे नहीं हैं। उनका सवाल पूछने का अधिकार संविधान ने ही दिया है।