एकदम बेलूरा है क्या रे दैनिक भास्कर, इ तो रांची का बच्चा-बच्चा जानता है कि हिंदपीढ़ी इलाके में भाजपा को वोट नहीं मिलता, तुम इस बात को कैसे नहीं जाना, वो तो अच्छा हुआ कि सीपी सिंह ने तुम्हारी पोल खोल कर रख दी, नहीं तो …
एकदम बेलूरा है क्या रे लवण भास्कर अर्थात् दैनिक भास्कर। अरे समाचार बनाने या प्रकाशित करने के पहले थोड़ा सा भी तो ज्ञानार्जन कर लेता। इ तो रांची का बच्चा-बच्चा जानता है कि जहां की तू बात कर रहा है, वहां से कभी भी भाजपा को वोट नहीं मिला। जब जनसंघ था तब भी नहीं मिला, अब भाजपा है तब भी नहीं मिलता। इन्हीं सभी कारणों से तो भाजपा में ही रहनेवाला कई भाजपा नेता यह भी कहता है कि भले ही मुस्लिमों की फौज भाजपा ने रख ली हो। भले ही भाजपा ने मुस्लिमों के लिए कई काम किये हो। लेकिन मुस्लिम समुदाय भाजपा को वोट दे ही देगा, इसकी कोई गारंटी नहीं।
आश्चर्य तो तुम्हारी रिपोर्ट देखकर यह भी लग रहा है कि कल तक तो झामुमो को देखना पसन्द नहीं कर रहा था और आज झामुमो को लेकर कशीदे गढ़ने लगा। आखिर ये अचानक ज्ञानार्जन कहां से हो गया भाई? कही ऐसा तो नहीं कि तुमलोग झामुमो के लोगों को बेवकूफ समझने लगा है कि ऐसा रिपोर्ट छाप देंगे तो झामुमो वाले तुम्हारी इस भक्ति को देखकर तुम पर द्रवित हो जायेंगे। अगर तुम्हारी ये सोच हैं तो तुम सचमुच महान हो। अद्वितीय हो। लवण भास्कर हो।
हालांकि तुम्हारी इस रिपोर्ट को लेकर तुम्हारे लूर-लक्षण पर सीपी सिंह ने खुब लिखा है और उसे सोशल साइट पर जमकर प्रसारित किया है, क्योंकि सीपी सिंह जानते हैं कि तुम तो उनकी बातें जो तुम्हारे शान में लिखी हैं, वो तो छापोगे नहीं। लेकिन जनता को तो हकीकत मालूम होना ही चाहिए। इसलिए उन्होंने तुम्हारी अच्छी जूतम-पैजार की हैं। सीपी सिंह की एक-एक बात में सच्चाई हैं। ये तो अच्छा है कि आजकल सोशल साइट है। सबको सबकी गड़बड़ियां मालूम हो जाती है और गलत लिखनेवाले और कहनेवाले की पैंट तक उतर जाती हैं। जैसा कि सीपी सिंह ने तुम्हारा उतार दिया।
नहीं तो, तुम तो बहुत ही उछल रहे होते और झामुमो को चूना भी लगा दिये होते, वो भी यह कहकर कि देखिये, मैंने आपके पक्ष में कितना सुंदर रिपोर्टिंग करवाई है। इसलिए मेरे उपर ज्यादा ध्यान दीजियेगा। अगर कुछ चुनाव के पूर्व में गलती भी हो गई हो तो बस उन गलतियों पर ध्यान नहीं दीजियेगा।। गजब स्थिति हैं तुम्हारी। शर्म आनी चाहिए। लेकिन शर्म तो उसे आती हैं। जिसको शर्म हो, हया हो। तुम्हें शर्म और हया कहां? और अब आइये देखिये कि सीपी सिंह ने लवण भास्कर अर्थात दैनिक भास्कर को कैसे लपेटा हैं और उसकी पत्रकारिता की धज्जियां उड़ा दी हैं।
सीपी सिंह उवाच – 26/11/2024 को रांची के एक प्रतिष्ठित अखबार में छपा यह लेख बड़ा ही हास्यास्पद और पक्षपाती है। हिंदपीढ़ी के लगभग सभी बूथों पर भाजपा को 0-9 वोट मिलने का जिक्र किया गया है। यह तथ्य नया नहीं है; 1996 से लेकर अब तक जितने भी चुनाव मैंने लड़े हैं, हिंदपीढ़ी, कर्बला चौक, आजाद बस्ती, पत्थलकुदवा जैसे मुस्लिम और ईसाई बहुल क्षेत्रों में भाजपा को इनलोगों का वोट बिल्कुल नहीं मिलता है। यह ऐतिहासिक ट्रेंड है, लेकिन तथाकथित “डिज़ाइनर पत्रकार” महोदय ने इसे इस तरह पेश किया मानो यह मेरी या भाजपा की हार है।
रिपोर्टर महोदय ने यह भी अपने सुविधानुसार नजरंदाज कर दिया कि झामुमो की प्रत्याशी जिस बूथ (273) में निवास करती हैं, वहां की जनता ने उन्हें सिरे से नकार दिया। छोटानागपुर गर्ल्स स्कूल जेल रोड के बूथ संख्या (273) में 456 मतों में से भाजपा को 344 और झामुमो प्रत्याशी को मात्र 97 वोट मिले। क्या इसे वह “व्यापक लोकप्रियता” कहेंगे? लेकिन रिपोर्टर महोदय को अपने एजेंडा के तहत पार्टी विशेष और व्यक्ति विशेष के पक्ष में नैरेटिव गढ़ना था, इसलिए इन तथ्यों का जिक्र करना उन्होंने जरूरी नहीं समझा।
सच्चाई यह है कि रांची के बाकी क्षेत्रों में मिले व्यापक जनसमर्थन ने हमेशा भाजपा को निर्णायक जीत दिलाई है। यह लेख न केवल तथ्यहीन और पक्षपाती है, बल्कि संस्थान के लाखों पाठकों के साथ अन्याय करने वाला है, जो सटीक, निष्पक्ष और अच्छी तरह से शोधित, सत्यापित तथ्य आधारित जानकारी की उम्मीद करते हैं। क्या पत्रकार का काम सच्चाई दिखाना है या अपनी मर्जी से झूठा नैरेटिव तैयार करना? इस तरह की रिपोर्टिंग उनके पेशेवर रवैये और ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े करती है। रांची की जनता ने किसे चुना और किसे नकारा, इसका जवाब 23 नवंबर को परिणामों में साफ दिख गया है। ऐसे झूठे नैरेटिव फैलाने वाले पत्रकारों को समाज और अपने पाठकों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दे।