अपनी बात

भाजपा सांसद दीपक प्रकाश द्वारा दैनिक भास्कर और उसके संवाददाता विनय चतुर्वेदी पर लगाये गये गंभीर आरोपों के बावजूद, इनदोनों ने नहीं मांगी माफी, आज फिर खबर दिया और कहा उनका समाचार सत्य पर आधारित

कल यानी 18 दिसम्बर को रांची से प्रकाशित दैनिक भास्कर में राजनीतिक संवाददाता विनय चतुर्वेदी की बाईलाइन खबर जैसे ही छपी कि ‘भाजपा का टिकट दिलाने के लिए सांसद दीपक के घर हुई थी 24 लाख की डील’। वैसे ही दीपक प्रकाश को जैसे लगा कि उनके तोते उड़ गये। वे और उनके प्रशंसक सोशल साइट पर दैनिक भास्कर और विनय चतुर्वेदी के खिलाफ आग उगलने लगे।

आग उगलने के दौरान इनलोगों ने यह भी नहीं देखा कि वे कर क्या रहे हैं? मतलब अपने सारे बुद्धि-विवेक को तिजोरी में बंद करके ऐसे-ऐसे आरोप लगाने लगे कि कोई भी उन आरोपो को देखेगा या पढ़ेगा तो अपना माथा पीट लेगा और उक्त व्यक्ति से भी सवाल दाग देगा कि वो जो सोशल साइट पर लिखा है, उसके क्या मायने हैं? सबसे पहले भाजपा सांसद दीपक प्रकाश ने क्या लिखा, उसे देखिये और पढ़िये –

‘आज एक दैनिक अखबार में हमारे बारे में एक भ्रामक खबर छापी गई है, जो सरासर आपत्तिजनक एवं झूठ है और एक षडयंत्र का हिस्सा है, क्योंकि ये उसी पत्रकार की खबर है, जिसने मुझसे पिछले वर्ष एक करोड़ रुपये के सांसद निधि की मांग की थी, जिसे मैंने मना कर दिया था। चूंकि मैं अपने सांसद निधि में पार्टी के कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देता हूं। हमारे दिल्ली और रांची आवास पर सैकड़ों लोग मुझसे मिलने आते-जाते रहते हैं। परन्तु इस प्रकार की एक्सटार्शन पत्रकारिता अपराध है और मैं इसके सभी पहलूओं पर कानूनी कार्रवाई भी करुंगा’।

अब सीधा सवाल दीपक प्रकाश से, भाई महान व्यक्तित्व के धनी भाजपा के महान सांसद दीपक प्रकाश जी, जैसा कि आपने लिखा, तो आपके लिखे हुए वक्तव्यों से ही सवाल है कि आपने लिखा है कि एक वर्ष पहले दैनिक भास्कर के इसी पत्रकार यानी विनय चतुर्वेदी ने आपसे एक करोड़ सांसद निधि की डिमांड की थी। तो ये तो बड़ा मामला था।

एक पत्रकार का सांसद से इतनी बड़ी राशि की डिमांड तो शर्मनाक और पत्रकारिता के मूल्यों के खिलाफ है। आपने उसी वक्त विनय चतुर्वेदी के खिलाफ भारत के किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं करवाई? या प्रेस कांफ्रेस कर इस बात की जानकारी क्यों नहीं दी? या आपने दैनिक भास्कर के महाप्रबंधक और उनके प्रधान सम्पादकों से शिकायत क्यों नहीं की?

कहीं ऐसा तो नहीं, कि आपने ये सब इसलिए नहीं किया कि आपको इस बात का पहले से अंदाजा था कि विनय चतुर्वेदी आपके खिलाफ एक न एक दिन न्यूज जरुर लिखेंगे और जब वे लिखेंगे तो आप सुद समेत उनसे बदला लेंगे। भाई दीपक प्रकाश जी, सचमुच आप महान है जी, आपकी महानता का लोहा शायद नरेन्द्र मोदी और अमित शाह जरुर ही मानते होंगे, तभी तो उन्होंने आपको राज्यसभा में बुला लिया। है न।

आपका विनय चतुर्वेदी पर लगाया गया आरोप अपने आप में आपकी बुद्धि की पोल खोलकर रख दे रहा है और बता रहा है कि आप और आपके मित्रों की सूची में कैसे-कैसे लोग हैं, साथ ही यह भी बता रहा है कि आप विनय चतुर्वेदी और दैनिक भास्कर के खिलाफ झूठा आरोप लगा रहे हैं। सच्चाई तो यह है कि अगर सही में विनय चतुर्वेदी और दैनिक भास्कर ने आप पर इस झूठे आरोप लगाने का प्राथमिकी दर्ज करवा दिया तो आप अपने को सही साबित नहीं कर पायेंगे।

दूसरा आपने अपने ही वक्तव्य में सोशल साइट के माध्यम से बता दिया कि भाजपा के कार्यकर्ता कैसे होते हैं? आपने लिखा है कि आप अपने सांसद निधि में पार्टी के कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देते हैं। क्या भाजपा के कार्यकर्ता इतने गये-गुजरे हो गये कि आप उन्हें सांसद निधि का प्रलोभन देंगे। अगर किसी भाजपा कार्यकर्ता ने आपसे कल ये कह दिया कि उसे आपकी दया पर मिलनेवाले सांसद निधि का एक पैसा भी नहीं चाहिए तो आप क्या करेंगे?

लेकिन ये काम बड़ी दिलेरी का है और ये काम वहीं भाजपा कार्यकर्ता कर सकता है, जिसके दिल में सही मायनों में पं. दीन दयाल उपाध्याय या डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी या अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महान द्रष्टाओं की आत्मा वास करती हो। अगर आप जैसे लोगों की आत्मा वास करेगी तो वो एक बार क्या, आपके यहां सौ बार दौड़ लगायेगा। ये सत्य भी है। एक बात और, जब विनय चतुर्वेदी ने आपसे एक करोड़ रुपये मांगे थे और आप सांसद निधि की राशि में भाजपा कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देते हैं तो आपने इन दोनों बातों को लीगल नोटिस में जिक्र क्यों नहीं करवाया?

इस पूरे प्रकरण पर मानना होगा, दैनिक भास्कर और विनय चतुर्वेदी को। जिन्होंने आज भी इस संबंध में खबर लगाई है। लेकिन आपके लीगल नोटिस के भय से नहीं। बल्कि आपके द्वारा लगाये गये आरोपों पर अपनी बात फिर से रखने के लिए। आपने उन्हें तीन दिन समय दिया था, माफी मांगने को। उन्होंने माफी नहीं मांगी और उलटे यह कह दिया कि उनकी खबरें अपनी जगह सही है। उन्होंने तो आपके द्वारा भेजे गये व्हाट्सअप संदेश को भी अखबार में जगह दे दी हैं और उस व्यक्ति के लीगल नोटिस के एक अंश को भी आज छाप दिया।

जिसमें साफ लिखा है कि आपके ही आवास पर डील हुई थी। अब आप क्या करियेगा? इधर कई भाजपा कार्यकर्ता और नेता बाहें चढ़ा रहे हैं। अभी तो खुलकर नहीं बोल रहे। लेकिन इशारों-इशारों में अपनी बात रख रहे हैं। आज ही एक अन्य अखबार संभवतः दैनिक जागरण ने तो रांची की एक घटना का हवाला देते हुए भाजपा नेताओं की थोड़ी पोल खोली है। अगर, इसी तरह सभी ने अपने-अपने पिटारे खोल दिये तो लगता है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जो बकाया राशि केन्द्र से मांग रहे हैं, कहीं वो ही छोटा न पड़ जाये।

इसलिए एक सलाह है, जिसके घर शीशे के हो, वो दूसरे पर पत्थर नहीं मारा करते। सच्चाई तो यह है कि अगर पीएम मोदी और अमित शाह अपने एंजेंसियों का मुंह आपलोगों की ओर मोड़ दें तो कितने लोग जेल के अंदर होंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन चूंकि मामला भाजपा का है। इसलिए सभी चुप्पी साधे हुए हैं और करेंगे क्या? इसके सिवा दूसरा कोई विकल्प भी हैं क्या?

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