अपनी बात

दैनिक भास्कर में छपी काम की तारीखें… को पढ़कर बिहार/झारखण्ड के पाठक अपना माथा नहीं पीटे, बल्कि उसके प्रधान संपादकों व पत्रकारों की मूर्खता पर तरस खाएं, क्या करियेगा ये जब तक रहेगा, आपकी भावनाओं से खेलता रहेगा

दैनिक भास्कर पढ़कर अपना माथा नहीं पीटे, बल्कि वहां कार्य कर रहे प्रधान संपादकों/संपादकों व पत्रकारों की मूर्खता पर तरस खाएं। इस अखबार ने बिहार-झारखण्ड के पाठकों के साथ वर्ष के पहले दिन ही उनकी भावनाओं के साथ खेलने का कुत्सित प्रयास किया है। क्या कीजियेगा, ये अखबार बिहार-झारखण्ड में आने से पहले ही बेशर्म रहा हैं, ऐसे में अपनी बेशर्मी कैसे छोड़े? ये इसी के लिए तो जाने जाते हैं। ये वर्ष के पहले ही दिन, अपने अखबार में वो भी प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित करते हैं कि “काम की तारीखें… बार-बार कैलेंडर देखने की जरुरत नहीं” और इस “काम की तारीखें’ में काम की ही बातें गायब रहती हैं, जो बिहार व झारखण्ड के लोगों के दिलों से जुड़ी रहती हैं।

जरा पूछिये कि हे काम की बात करनेवालों, दैनिक भास्कर के लोगों, तुमने जो “काम की तारीखें” के नाम से जो स्पेशल अखबार में कैंची का चित्र लगाकर खांचा खीचते हुए जो “काम की बातें” पोस्ट किये हैं, उसमें बिहार और झारखण्ड की काम की बातें कहां हैं? यह इसलिए भी पूछना जरुरी है, क्योंकि यह आपका अधिकार है, यह आपके इलाके में छपता है और आपके दिनचर्या को प्रभावित भी करता हैं, इसलिए पूछने का तो हक बनता है, इसलिए विद्रोही24 ने इनसे पूछा है। लेकिन सच्चाई यह है कि ये इन प्रश्नों का जवाब नहीं देंगे, क्योंकि इनमें नैतिकता ही नहीं हैं।

जरा देखिये ‘प्रमुख त्योहार/तिथि’ में इस अखबार ने लोहिड़ी, महाशिवरात्रि, होली, चैत्र नवरात्र, ईद उल फितर, महावीर जयंती, रक्षाबंधन, गणेश चतुर्थी, शारदीय नवरात्र, दशहरा, करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली और क्रिसमस की सूचना दी है। लेकिन झारखण्ड के दिल से जुड़ा पर्व सरहुल, करमा एकादशी गायब है। बिहार-झारखण्ड के चप्पे-चप्पे में होनेवाला महापर्व छठ तक का जिक्र नहीं हैं। यहीं नहीं, इस अखबार ने शिवाजी महाराज की जयंती की सूचना दी है। लेकिन झारखण्ड में होनेवाले भगवान बिरसा मुंडा की जयंती तक को भूला दिया है।

गांधी-शास्त्री जयन्ती तक को याद नहीं किया हैं, हो सकता है कि इस अखबार ने इसलिए नहीं याद किया हो कि उसी दिन दशहरे की भी छुट्टी हैं और यही बात कहकर वो निकल भी जाना चाहता हो। लेकिन दुर्गा पूजा की जो छुट्टी बिहार-झारखण्ड में वो भी तीन दिनों तक चलती हैं, उसका जिक्र क्यों नहीं? जब आप महाराष्ट्र के गणेश चतुर्थी की बात करते हैं। पंजाब के लोहड़ी की बात करते हैं तो बिहार व झारखण्ड में मननेवाली दुर्गा पूजा व महापर्व छठ कैसे भूल गये और जब ये सब भूल ही गये तो फिर ये “काम की तारीखें… बार-बार कैलेंडर देखने की जरुरत नहीं” कहने और लिखने या प्रकाशित करने का क्या मतलब?

इसका मतलब है कि आप हमें यानी बिहार-झारखण्ड के लोगों को आला दर्जे का मूर्ख समझते हैं। आप खुद बताइये कि बिहार और झारखण्ड में कितने प्रतिशत लोग गणेश चतुर्थी या लोहड़ी मनाते हैं और जो पर्व मनाते हैं, उसका यहां जिक्र तक क्यों  नहीं। हद तो आपने और भी किया है। आपके इस ‘काम की तारीखें’ में राष्ट्रीय पर्व का जिक्र ही नहीं और अगर हैं तो आप ही बताइये कि स्वाधीनता दिवस, गणतंत्र दिवस, गांधी जयंती, अम्बेकर जयंती का कहां आपने चर्चा किया है? क्या ये काम की तारीखें नहीं हैं।

अरे बोलो दैनिक भास्कर के महान प्रधान संपादकों, सांप सूंघ गया क्या? मतलब एक जगह से आपने बेत हांकी और अपने सारे संस्करणों को कह दिया कि इसे ही प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित करना हैं, चाहे तुम्हारे यहां यह पर्व मनाये जाते हो या नहीं मनाये जाते हो, तो भाई ये बातें तो हजम होनेवाली नहीं। भले ही कोई इस प्रकरण पर कोई अंगूली नहीं उठाएं, आपकी गुलामी सहे। लेकिन विद्रोही24 तो आपको छोड़ेंगा नहीं, सवाल आपके समक्ष जरुर उठायेगा। यह जानते हुए कि आप इसका जवाब नहीं देंगे, क्योंकि आपके पास इसका जवाब ही नहीं।

और अब “विवाह के शुभ मुहूर्त”

आपने लिखा है कि जनवरी में 16-24 और 26 तारीख को शुभ मुहूर्त हैं। पहली बात ये केवल लिख देने से नहीं न चलेगा कि इस दिन शुभ मुहूर्त हैं। ये मुहूर्त दिन में है या रात में हैं, यह कैसे पता चलेगा? बहुत सारे लोग हैं जो अपने बेटे-बेटियों का शादी रात में करते हैं, अब ये अलग बात है कि कुछ लोग अब दिन में भी शादी करने लगे हैं। ऐसे में केवल डेट दे देने से कैसे पता चलेगा कि इस दिन शादी करने का शुभ मुहूर्त दिन में हैं या रात में हैं।

16 जनवरी को तो शुभ मुहूर्त हैं। लेकिन यह भी सच है कि 17 जनवरी को दिन के एक बजकर छह मिनट पर यह शुभ मुहूर्त समाप्त हो जायेगा। 18 जनवरी को दिन में दो बजकर 57 मिनट से शुभ मुहूर्त है, जो 20 जनवरी को 7.38 सायं में समाप्त हो जायेगा। 21 जनवरी को फिर शुभ मुहूर्त रात्रि 10.17 से शुरु है, जो 22 जनवरी को रात्रि के 12.49 तक रहेगा।

23 जनवरी को शुभ मुहूर्त रात्रि के 3 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ है, जो 24 को रात्रि के पांच बजकर 14 मिनट तक रहेगा। उसमें भी एक दो जगहों पर मृत्यु बाण का भी प्रभाव है। ऐसे में केवल आपके अखबार को पढ़कर लोग दिमाग लगा लें और उसी दिन अपने बेटे-बेटियों का शादी करना सुनिश्चित कर लें, तो निश्चय ही उनके बेटे-बेटियों और बहूंओं का कभी भला नहीं होगा। ये ध्रुव सत्य है। मतलब आप हर चीजों में टांग अड़ाने की जो विधा निकाल लेते हैं। इससे आप स्वयं को कब मुक्त करेंगे।

हम उन सारे पाठकों को कहेंगे कि आप कभी किसी अखबार के चक्कर में पड़कर ये शुभ मुहूर्त के चक्कर में न पड़ें। इन अखबारों में काम करनेवाले पत्रकारों का समूह खासकर इन मामलों में आला दर्जें के मूर्ख होते हैं। जो आपकी धार्मिक भावनाओं के साथ जमकर खिलवाड़ करते हैं। इससे अच्छा रहेगा कि आप अपने आस-पास रहनेवाले पंडितों-पुरोहितों से सम्पर्क करें। क्योंकि उनके पास इन बेवकूफों से ज्यादा और अच्छा ज्ञान होता है और इनसे भी आपको ज्ञान अर्जन न हो तो विद्रोही24 का द्वार आपके लिए सदैव खुला है। आप जब चाहे संपर्क करें। आपको सही जानकारी मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *