राजनीति

कार्मेल स्कूल डिगवाडीह में कल की घटना को लेकर पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक दूबे का बयान शिक्षा के मंदिर को राजनीति से बचाना जरूरी, सच्चाई सामने आने तक धैर्य व संयम बनाए रखना सबकी जिम्मेदारी

पासवा  के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कार्मेल स्कूल डिगवाडीह की कल की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि शिक्षण संस्थान जो बच्चों के भविष्य का निर्माण करते हैं, को कलंकित करना और राजनीति का अखाड़ा बनाना गम्भीर अपराध है। डिगवाडीह स्थित एक पब्लिक स्कूल की प्राचार्या पर लगे आरोपों ने पूरे शिक्षा जगत को हिला दिया है। हालांकि, प्रारंभिक जांच में आरोप निराधार लग रहे हैं, और इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

शिक्षकों की भूमिका केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों को अनुशासन में रखना भी उनका कर्तव्य है। अनुशासन के बिना शिक्षा का महत्व अधूरा है। आजकल, हर छोटी बात पर अभिभावकों की तीखी प्रतिक्रियाएं स्कूल संचालन में बाधा उत्पन्न करती हैं, जिससे बच्चों को अनुशासनहीनता का गलत संदेश मिलता है। लेकिन यह भी आवश्यक है कि शिक्षक और विद्यालय के निर्णय न्यायसंगत हों।

विद्यालय की प्राचार्य ने स्पष्ट रूप से कहा है उन्होंने हमेशा छात्राओं के सम्मान और गरिमा का ध्यान रखा है। उन पर लगाए गये आरोप पूरी तरह झूठे और दुर्भावनापूर्ण हैं। यह साजिश उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए लिए रची गई है। पब्लिक स्कूल्स एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और घोषणा की है कि संगठन जल्द ही एक जांच समिति का गठन करेगा।

यह समिति पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ मामले की जांच करेगी। आलोक कुमार दूबे ने कहा, “जब तक जांच पूरी नहीं होती, किसी को दोषी करार देना या उसके खिलाफ माहौल बनाना गलत है। निष्पक्ष जांच के बाद ही सच सामने आएगा।” मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन ने भी जांच शुरू कर दी है।

आलोक कुमार दूबे का कहना है कि विद्यालय में अनुशासन और पढ़ाई दोनों का संतुलन जरूरी है। अनुशासन बच्चों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाने में सहायक होता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि विद्यालय को अनुचित कार्य करने की छूट दी जाए।यह समाज की जिम्मेदारी है कि वह किसी भी मामले में अफवाहों पर भरोसा न करे। सच्चाई का निर्धारण प्रशासन और जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही होना चाहिए। शिक्षा के मंदिर की गरिमा को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।

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