अपनी बात

भाजपा संगठनात्मक चुनावों को लेकर कितना भी कार्यशाला आयोजित कर लें, झामुमो की नेता द्वय हेमन्त और कल्पना सोरेन ने इनकी वो राजनीतिक पिटाई कर दी हैं कि आनेवाले 25 सालों में भी ये ठीक से खड़े नहीं हो सकते

आज भारतीय जनता पार्टी अपने रांची स्थित प्रदेश मुख्यालय में संगठनात्मक चुनावों को लेकर प्रदेश एवं जिला चुनाव टोली की एक विशेष कार्यशाला आयोजित की थी। जिसकी अध्यक्षता राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने की। इस विशेष कार्यशाला में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. संबित पात्रा भी पहुंचे थे। जबकि प्रदेश स्तर पर क्षेत्रीय संगठन मंत्री नागेन्द्र नाथ त्रिपाठी और रांची विधायक सीपी सिंह प्रमुख रुप से मौजूद थे।

हालांकि इसमें उपस्थिति ऐसे लोगों की भी थी, जो भाजपा के लिए नासुर बने हुए हैं और अपनी गतिविधियों से भाजपा को रसातल (भोजपुरी में कहे तो तेलहंडा) में सदा के लिए पहुंचा ही दिया है। जिनकी हरकतों पर भाजपा के ही समर्पित व पुराने कार्यकर्ता ढोल पीट-पीटकर इन सभी के छद्म नाम रखकर गोले दिये जा रहे हैं, जिससे ये लोग स्वयं को अब भाजपा के समर्पित व पुराने कार्यकर्ताओं के बीच असहज महसूस करने लगे हैं।

लेकिन दिल्ली स्थित बड़े नेता जो इनकी सेवा लेकर स्वयं को परमानन्द में समा लेते हैं। उन सबके लिए ये सभी आज ही उतने ही प्रिय है। जितने कल थे। इन सभी के लिए पार्टी क्रमानुसार दूसरे स्थान पर और स्वहित तथा उनका परमानन्द प्रथम स्थान पर है। राजनीतिक पंडितों की मानें, इन सभी लोगों को पार्टी के प्रमुख स्थानों पर रहना झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के लिए बहुत ही जरुरी है, क्योंकि इनके बिना रहे भाजपा रसातल (तेलहंडा) में नहीं जा सकती तथा आम जनता के बीच अलोकप्रियता का स्वाद नहीं चख सकती।

कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने तो भाजपा के इस संगठनात्मक चुनावों को लेकर हुई बैठक पर विद्रोही24 से बातचीत में कहा कि भाजपा नेताओं को जब भी कभी केसरिया पट्टा पहनने तथा राजनीतिक गप्पे करने का मन करता है तो ये इस प्रकार का आयोजन कर लेते हैं, तथा नाम अपने सुविधानुसार कुछ भी रख लेते हैं। लेकिन सच्चाई यही है कि वर्तमान में झामुमो के नेता हेमन्त सोरेन और कल्पना सोरेन ने इनकी वो राजनीतिक पिटाई कर दी हैं कि आनेवाले पच्चीस सालों में भी ये ठीक से खड़े नहीं हो सकते।

राजनीतिक पंडितों का तो साफ कहना है कि भाजपा ने कभी अपने विपक्षी दलों से अच्छी बातें सीखने की कोशिश नहीं की और न ही अपने पार्टी के पुराने व समर्पित कार्यकर्ताओं के दिलों को टटोलने की कोशिश की कि वे कहना क्या चाहते हैं? ये केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकनें में ही लगे रहे और भाजपा के ही अंदर बैठे पुराने व समर्पित कार्यककर्ताओं को चूना लगाया और दिल्ली में बैठे लोगों को परमानन्द देकर, स्वयं भी दिल्ली के संसद में जाकर बैठ गये और यहां बगुला भगत की तरह दो-चार उपनिषद् के चाशनी में डूबे शब्दों को लेकर लोगों को चटाने की कोशिश करते रहे।

लेकिन अब स्थिति ऐसी हो गई है कि झामुमो के लोगों ने इनकी ऐसी घेराबंदी कर दी है कि अब ये रांची के प्रदेश मुख्यालय से कभी बाहर निकल ही नहीं सकते। आदिवासियों व मूलवासियों ने तो इनको पहले से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया है और रही बात भाजपा को मजबूती देनेवाली संघ से जुड़ी अन्य संगठनों की तो उसके कई नेता पहले भी झामुमो का दामन पकड़ चुके हैं और कई पंक्तिबद्ध होकर अपनी बारी का इतंजार कर रहे हैं, ताकि इन सभी को वे सबक सिखा सकें।

ऐसे भी राज्य सरकार ने भाजपा के उन टॉप के नेताओं के समर्थकों पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया हैं, जो गलत कार्यों में लिप्त थे तथा बड़े-बड़े पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों को तबादला कराने की ठेका लिया करते थे। बताया जा रहा है कि ऐसे भाजपा के कई नेताओं व कार्यकर्ताओं को पुलिस अब अपने यहां बुलाकर विशेष खिदमत करने लगी है। जो भाजपा मे इस बार चर्चा का विषय बना हुआ हैं और उधर अखबारों ने भी इनके बारे में लिखकर, जमकर मजमम्मत कर दी हैं।

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