अपनी बात

न्यूज 11 के खिलाफ हुई कार्रवाई से, भाजपा छोड़ सारे राजनीतिक दल, सारे मीडिया हाउस व संपूर्ण पत्रकारिता जगत प्रसन्न, यहां तक कि रांची प्रेस क्लब तक ने दूरियां बनाई, लेकिन भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं के पेट में हुआ दर्द, शुरु किया विधवा प्रलाप

न्यूज 11 के मालिक अरुप चटर्जी के उस घमंड को स्थानीय पुलिस व प्रशासन ने कल शनिवार को चूर-चूर कर दिया है। जिस घमंड पर वो कूदा करता था और अपनी रंगदारी चलाया करता था। न्यूज 11 के मालिक अरुप चटर्जी के इस गुंडागर्दी को रामावतार राजगढ़िया ने एसडीओ कोर्ट में चुनौती दी थी और एसडीओ कोर्ट से न्याय मांगा था। एसडीओ कोर्ट ने न्याय दिया और अरुप चटर्जी को आदेश दिया कि वो रामावतार राजगढ़िया के कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स को जल्द से जल्द खाली कर उन्हें सौंप दें। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अब विकल्प क्या था? स्थानीय प्रशासन ने कल मजिस्ट्रेट की तैनाती कर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल भेजकर न्यूज 11 द्वारा अवैध रुप से किये गये कब्जे को खाली कराकर रामावतार राजगढ़िया को सुपुर्द कर दिया।

अब आश्चर्य देखिये। कल की इस घटना से सारा पत्रकार जगत खुश है। रांची से लेकर दिल्ली तक जितने भी पत्रकार या मीडिया हाउस है। सभी खुश है। कुछ ने तो इस संबंध में समाचार भी प्रकाशित किये हैं और इसके कुकृत्यों को जनता के सामने रखा है। अरुप चटर्जी खुद रांची प्रेस क्लब के मार्गदर्शक मंडल का सदस्य है। उस रांची प्रेस क्लब के महासचिव अमरकांत भी इस मामले में कुछ कहने से बचते नजर आये। उन्होंने विद्रोही 24 को साफ कहा कि अगर कोई गलत करेगा तो भाई कानून तो अपना काम करेगा ही। उसमें हम और आप क्या कर सकते हैं।

अमरकांत कोई सामान्य पत्रकार नहीं। ये रांची प्रेस क्लब के महासचिव के साथ-साथ पत्रकारों का यूनियन भी चलाते हैं। यानी एक यूनियन नेता के नाते भी वे अरुप चटर्जी के पक्ष में नहीं दिखे और न ही रांची के किसी पत्रकार यूनियन या किसी मीडिया हाउस ने अरुप चटर्जी के कुकृत्यों के पक्ष में बयान जारी किया और न ही किसी ने राज्य सरकार या पुलिस प्रशासन की आलोचना की। उसका मूल कारण यही है कि यहां के सारे मीडिया हाउस, व्यापारी वर्ग, प्रशासनिक अधिकारी, पुलिसकर्मी, जनता जानती है कि अरुप चटर्जी का चाल-चरित्र कितना गंदा रहा है।

पत्रकारों की सम्मानित संस्था एआईएसएमजेडब्लयूए के राष्ट्रीय महासचिव प्रीतम सिंह भाटिया कहते हैं कि पत्रकारिता का आधार ही ईमानदारी और विश्वास होता है। लेकिन अगर कोई इसके आड़ में गलत काम करें या कानून का उल्लंघन करे, तो वैसे व्यक्ति पर विधिसम्मत कार्रवाई होनी ही चाहिए। ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम जर्नलिस्ट वैलफेयर एसोसिएशन ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों का हमेशा पक्षधर रहा है जो गैर कानूनी काम करने वाले पत्रकार पर कार्रवाई करते हैं। न्यूज 11 हो या कोई मीडिया हाउस आपको किसी की संपत्ति पर कब्जा जमाने का कोई अधिकार नहीं है। न्यूज 11 की संपत्ति की जांच होनी चाहिए आखिर कैसे एक सामान्य पत्रकार इतना बड़ा हाऊस का मालिक हो गया?

अब दूसरा आश्चर्य देखिये, सारी झारखण्ड की जनता अरुप चटर्जी के चाल चरित्र को जानती है। वो यह भी जानती है कि अरुप चटर्जी रामावतार राजगढ़िया का सालों से किराया रखे हुए था, जो बढ़कर 99 लाख 85 हजार हो गया था, नहीं दे रहा था और न ही उनका कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स खाली कर रहा था। हद तो तब हो गई कि वो लंठई कर उस पर अपना कब्जा जमा लिया था। जिसको लेकर कल स्थानीय प्रशासन ने उसकी लंठई को खत्म कर, उचित व्यक्ति को न्याय दिलाया। लेकिन यही सही बात भाजपा के बड़े नेताओं को पची नहीं। ये भाजपा के बड़े-बड़े नेता जिनमें दो-दो पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल है। न्यूज 11 के मालिक के पक्ष में आ खड़े हुए और सरकार तथा पुलिस प्रशासन के खिलाफ ट्विट करना शुरु किया और इस टिव्ट को अपने आकाओं के साथ टैग भी करने लगे।

आश्चर्य यह भी है कि किसी भी राजनीतिक दल या कोई भी पत्रकारों का यूनियन कल की घटना की आलोचना नहीं किया। लेकिन भाजपा के नेता एक भ्रष्ट व्यक्ति अरुप चटर्जी के पक्ष में आकर खड़े हो गये। न्यूज 11 को प्रतिष्ठित चैनल की संज्ञा तक दे दी। जबकि इनके नेताओं को मालूम है कि न्यूज 11 भारत की अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के अनुमति का नवीनीकरण तक इन्हीं के गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा मंजूरी से इनकार करने के कारण नहीं दिया है और यह मामला माननीय उच्च न्यायालय दिल्ली के समक्ष न्यायाधीन है।

काश इस पत्र को पढ़कर दीपक प्रकाश जैसे भाजपा नेता और चम्पाई सोरेन तथा बाबूलाल मरांडी जैसे लोग थोड़ा सा शर्म करते!

लेकिन देखने में आ रहा है कि देश के केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी अरुप चटर्जी पर खूब प्यार लूटाते है। प्यार तो असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी उससे खूब करते हैं। तभी तो दो महीने पहले जब झारखण्ड में विधानसभा का चुनाव हो रहा था तो जनाब पूरी भाजपा के प्रदेश के बड़े-बड़े नेताओं की टीम के साथ इसके घर जाकर भोजन किया करते, इससे राय लेते और यह राय लेने का प्रभाव यह पड़ा कि झारखण्ड भाजपा का यहां दीपक ही सदा के लिए बुझ गया। लेकिन इसके बावजूद भी इन भाजपा नेताओं को शर्म नहीं और न ये सुधरने का नाम ले रहे हैं।

विद्रोही24 तो सीधे इन भाजपा नेताओं से पूछता है कि आखिर इन भाजपा नेताओं के घरों/प्रतिष्ठानों पर कोई या अरुप चटर्जी ही कब्जा कर लें, किराया नहीं दे तो क्या ये अपना घर उस व्यक्ति को सौंप देंगे, जिसने उनके घर पर अवैध कब्जा किया है? आखिर ये इतनी बेशर्मी कहां से लाते हैं। ये यह बात सोचते क्यों नहीं कि जनता को जब यह बात पता चलेगा तो जनता इन्हें उठा-उठाकर पटकने से बाज नहीं आयेगी।

जरा देखिये, इन बेशर्म भाजपा नेताओं को जो पूर्व में मुख्यमंत्री तक रह चुके हैं। कैसे रामावतार राजगढ़िया को मिले न्याय के खिलाफ बयान दे रहे हैं। कैसे रंगदारी करने में माहिर, ब्लैकमेलर अरुप चटर्जी का साथ दे रहे हैं। कैसे सत्य को आंख दिखाकर, असत्य को स्थापित करने का जोर लगा रहे हैं। वो भी तब जब केन्द्रीय गृह मंत्रालय खुद अरुप चटर्जी के खिलाफ दिल्ली कोर्ट में केस लड़ रहा है।

मतलब साफ है कि ये नेता सोच लिये हैं कि वे राज्य की जनता को बर्बाद करके ही छोड़ेंगे। अब आप खुद देखिये, भाजपा नेताओं के वे बयान, जो एक रंगदारी में माहिर चैनल और उसके मालिक अरुप चटर्जी के पक्ष में आये हैं। क्रमानुसार आपके सामने हैं। इस बयान में उस नेता का भी नाम है, जो एक-डेढ़ साल पहले अपने ही केन्द्र के नेता को अरुप चटर्जी के खिलाफ, उसके कुकृत्यों का पोल खोलते हुए पत्र लिखा था। आज वो भी अरुप चटर्जी के पक्ष में झाल बजा रहा हैं। उस नेता का नाम बाबूलाल मरांडी है। आप खुद पढ़िये कि वे क्या बोल रहे हैं?

आज बाबूलाल मरांडी ने भी मुंह खोल दिया। बाबूलाल मरांडी उवाच – कल झारखण्ड के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल न्यूज 11 भारत के दफ्तर में पुलिस द्वारा की गई जबरन कार्रवाई और ब्रॉडकास्टिंग रोकने का प्रयास मीडिया की स्वायतता पर हमला है। स्वस्थ लोकतंत्र में ऐसी घटनाओं का कोई स्थान नहीं। सरकार और पुलिस प्रशासन को अपनी आलोचनाओं से घबराकर ऐसी निंदनीय हरकत करने से गुरेज करना चाहिए।

चम्पाई सोरेन उवाच – आज झारखण्ड के अग्रणी न्यूज चैनल न्यूज 11 भारत के दफ्तर पुलिस पहुंची। मामला कार्यालय के भीतर एक छोटे से एरिया से संबंधित था, लेकिन वहां कर्मचारियों को डराने तथा ब्रॉडकास्टिंग रोकने का प्रयास किया गया। क्या इस तरह से मीडिया की आवाज को दबाया जायेगा? क्या यह सच दिखाना गुनाह है? क्या सरकार की नाकामियों को जनता तक पहुंचाना कोई अपराध है? यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है।

अमर कुमार बाउरी उवाच – एक पत्रकार व मीडिया समूह पर इस प्रकार की दमनकारी नीति लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर एक सीधा हमला है। न्यूज 11 के मालिक अरुप चटर्जी के खिलाफ सरकार की यह कार्रवाई निंदनीय है। सरकार की नाकामियों की कवर को अपने चैनल के माध्यम से जनता तक पहुंचाने का यह खामियाजा न्यूज 11 के सैकड़ों कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा। इससे साफ हो गया है कि झामुमो-कांग्रेस-राजद अपने तानाशाही से बाहर नहीं निकल पायी है। यह अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है।

दीपक प्रकाश उवाच – हेमन्त सरकार में झारखण्ड में लोकतंत्र को खतरे में डालकर चौथे स्तंभ पर प्रहार किया जा रहा है। जो बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।

प्रतुल शाह देव उवाच – मीडिया की स्वतंत्रता की बात करनेवाले हेमन्त सरकार का एक रियलिटी चेक देखिये। राज्य के अग्रणी न्यूज चैनलों में एक न्यूज 11 भारत के दफ्तर में पुलिस का छापा पड़ रहा है। अपुष्ट जानकारी मिल रही है कि सभी कर्मचारियों के मोबाइल सीज कर लिए गये हैं। उन्हें बाहर निकलने नहीं दिया जा रहा है। प्रसारण बंद कर दिया जा रहा है। जनता को यह जानने का हक है कि आखिर इस तरीके की दुर्भाग्यपूर्ण और बदले से भारी कार्रवाई क्यों हो रही है? क्या यह कार्रवाई इसलिए हो रही है कि इस चैनल ने सरकार की असलियत को दिखाने की हिम्मत की थी? इस कठिन और चुनौतीपूर्ण घड़ी में हम सब चौथे स्तंभ के साथ खड़े हैं। मीडिया पर किसी तरीके का हमला बर्दाश्त नहीं होगा।