सदस्यता अभियान में चल रही भारी गड़बड़ी को देख भाजपा कार्यकर्ताओं ने कहा अगर ऐसा ही रहा तो प्रदेश मुख्यालय सिर्फ दूसरे राज्यों में भाजपा की जीत को देख पटाखा फोड़नेवाला प्रदेश मुख्यालय बन कर रह जायेगा
भाजपा का सदस्यता अभियान अपने हीं कार्यकर्ताओं को ठगने वाला बन चुका है। ये और कोई नहीं, बल्कि वे कार्यकर्ता कह रहे हैं, जो भाजपा से पिछले कई वर्षों से जुड़े रहे हैं और पार्टी के लिए एक बोली पर कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। ये भाजपा कार्यकर्ता राज्य में चलाये जा रहे सदस्यता अभियान की कारगुजारियों को देख व्यथित हैं। कई तो अब साफ कहने लगे हैं कि यही हाल रहा तो भाजपा का प्रदेश मुख्यालय सिर्फ दूसरे राज्यों में भाजपा की जीत को देख पटाखा फोड़नेवाला प्रदेश मुख्यालय बन कर रह जायेगा और झारखण्ड में कभी भी सत्ता में नहीं आ पायेगा।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि देश की सबसे बड़ी पार्टी कहाने वाली भारतीय जनता पार्टी झारखंड में सदस्यता अभियान चला रही है और वर्तमान में 60 लाख सदस्य बनाने का इसने लक्ष्य रखा है, परंतु 10 लाख सदस्य बनते बनते ही पूरी पार्टी झारखंड में हाफ जा रही है। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस पार्टी ने अभी तक तीन बार डेट बढ़ाये हैं।
पहले तो यह तय किया गया था कि जो सदस्य मोबाइल से 50 सदस्य बनायेंगे, उनको ही सक्रिय सदस्यता दी जाएगी और उनको ही किसी पद पर विराजमान किया जाएगा परंतु अपने ही कार्यकर्ताओं के द्वारा सदस्यता अभियान को लेकर निराशा ज्यादा देखा जा रहा है, जिसकी वजह से अब वर्तमान के सक्रिय सदस्यों को ऑफलाइन बनाने के लिए बुक दिया गया है साथ ही सभी जगह पर बैठक कर करके यह बताया जा रहा है कि अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष आपसी सहमति के हिसाब से ही बना दिए जाएंगे।
इससे एक बार फिर से यह संभावना कार्यकर्ताओं में जाग गई है कि जो जिस गुट से जिसकी जो पसंद रहेगी, उनको ही मंडल अध्यक्ष या जिला अध्यक्ष के पद पर विराजमान किया जाएगा क्योंकि अभी से ही प्रभारी भी जो गिने-चुने लोग हैं उनमें से ही बनाए जा रहे हैं और मनमाने ढंग से संगठन में सभी कार्य किया जा रहे हैं। जिसके कारण पुनः कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। कई जगहों पर ऑफलाइन कार्यकर्ताओं के लिए जो बुक दी गई है वहां मंडल अध्यक्ष वैसे ही लोगों को बुक देकर सक्रिय सदस्य बनना चाह रहे हैं, जो लोग उनके पसंद के हैं या उनके कहने पर मंडल अध्यक्ष को चुन सके।
वैसे ही मंडल अध्यक्ष का भी चुनाव किया जाएगा, जो जिला अध्यक्ष के चुनाव में समर्थन कर सके। झारखंड की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी अभी तक नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है और जिलों में भी कमोबेश यही हाल है कि किसी भी समस्या को लेकर ना बीजेपी पार्टी गंभीर है ना ही वो आंदोलन करती है।
अगर बात जन समस्याओं की करें तो भाजपा का आंदोलन सभी स्तर पर बिल्कुल सिफर है। ऐसे में सदस्यता अभियान को लेकर जो कार्य भाजपा के लोग कर रहे हैं, उसमें इन्हें सफलता मिल ही जायेगी। वो ना के बराबर है, जबकि दूसरी ओर झामुमो ने अपनी पकड़ हर जगह पर इस प्रकार से मजबूत कर ली है, कि झारखण्ड में युवाओं की पहली पसन्द झामुमो बनती जा रही है।