वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने रांची के पत्रकारों की लगाई क्लास, पत्रकार माफी मांगते रहे, लेकिन माफी नहीं दी, उलटे गुस्से में कहा – सीखिये थोड़ा, क्या कहेंगे आप, क्या अंदर डाल के निकाल लीजियेगा?
ये घटना 12 फरवरी की है। माघी पूर्णिमा का दिन था। रांची के गुरुनानक स्कूल में संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती हर साल की भांति इस साल भी मनाई जा रही थी। इस बार आयोजकों ने वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बुलाया था। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर उस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे भी थे। इसी बीच उक्त कार्यक्रम में वहां पहुंचे पत्रकारों ने मंच पर बैठे वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर को घेर लिया और प्रश्न पूछने लगे।
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर भी बड़े ही सरल व सहज ढंग से पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। तभी उन पत्रकारों में से एक पत्रकार का सवाल पूछने का ढंग, उन्हें इतना बुरा लगा कि वे गुस्से में आ गये और उसके बाद उन्होने उक्त पत्रकार की ऐसी क्लास ले ली कि वहां प्रश्न पूछ रहे कई पत्रकार हक्के-बक्के रह गये। उन पत्रकारों ने ऐसा कभी सोचा नहीं था कि उन्हें ऐसा देखने को मिलेगा। लेकिन ऐसा देखने को मिला।
उधर एक पत्रकार एक नहीं कई बार, वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर से बार-बार उक्त पत्रकार की ओर से माफी मांगने की कोशिश की। लेकिन वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ऐसे बिदके कि उन्होंने कोई माफी नहीं दी और मंच से सारे पत्रकारों को उनके बूम को हाथों से हटाते हुए इशारों में चले जाने को कहा। आश्चर्य यह भी है कि इतनी बड़ी घटना को रांची के सारे अखबारों व मीडिया चैनलों ने छुपा ली, किसी ने जगह नहीं दी।
जबकि यह 13 फरवरी को सारे अखबारों की सुर्खियां होनी चाहिए थी तथा 12 फरवरी के लिए हर चैनलों की यह ब्रेकिंग खबर थी। लेकिन विद्रोही24 को यह खबर आज ही मिली और विद्रोही24 ने कबीर की तरह ज्यों की त्यों धर देने की कोशिश की हैं। आप स्वयं पढ़े। जो विजुअल विद्रोही24 को मिले हैं, वो इस प्रकार है। जो आनेवाले समय में पत्रकारों और नेताओं के संबंधों में कैसे खटास जन्म ले रही हैं और उसका परिणाम क्या होगा? उसका चरित्र-चित्रण कर दे रही हैं। ऐसी घटना अब पत्रकारों और नेताओं के बीच झारखण्ड में सामान्य होती जा रही हैं।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो इसके लिए पत्रकार ही दोषी हैं। वर्तमान में जिस प्रकार चिलगोजों की तरह चैनल और अखबार उगते जा रहे हैं और उसमें मूर्खों की तादाद बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में इस प्रकार के दृश्य तो अब सामान्य रुप से देखने को मिलेंगे। लीजिए आप भी आनन्द लीजिये और सोचिये कि पत्रकारिता की दशा और दिशा क्या होती जा रही हैं। हमनें पूरा परिदृश्य लिख डाला है। समझदार हैं तो समझने की कोशिश करिये।
एक पत्रकार – आप क्या करेंगे?
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर – देखिये एक मंत्री के नाते…
मंत्री अपनी पूरी बात नहीं कह पाते, इसी बीच एक दूसरा पत्रकार उन्हें टोकते हुए कहता है – इसी समुदाय का अब तक का राजधानी रांची में एक भी सामुदायिक भवन नहीं हैं, जबकि अन्य समाज का जिलावार है, क्या करेंगे अगले पांच साल में?
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर – दूसरे पत्रकार से पूछते हुए, आप प्रेस से हैं कि आप …
वहां उपस्थित सभी पत्रकार – हां हां, प्रेस से हैं।
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर – तो एकदम गुस्सा में काहे बोल रहे हैं, सहजता से पूछिये।
पहला पत्रकार – बहुत सीनियर है।
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर – आप ऐसा बोल रहे हैं। हमलोग भी इसी तरह से भाषण देते हैं, चलिये (बूम को हाथों से धकेलते हुए), हो गया, प्लीज।
पहला पत्रकार – सर, सर। हम माफी मांगते हैं, उनकी ओर से।
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर – नेता है, हमलोगों की भी प्रतिष्ठा है, ऐसा नहीं हैं। सुनिये, सुनिये।
पहला पत्रकार – सर मैं उनकी ओर से माफी मांगता हूं।
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर – अभी राजनीति में मैं नहीं होता, तो मैं भी पत्रकार होता।
पहला पत्रकार – सर मैं उनकी ओर से फिर माफी मांगता हूं।
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर – (गुस्साते हुए दूसरे पत्रकार की ओर देखते हुए, जिसने सवाल पूछे थे।) सीखिये थोड़ा। क्या कहेंगे आप? क्या अंदर डाल के निकाल लीजियेगा?
पहला पत्रकार – सर मैं माफी मांगता हूं।
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर – हो गया चलिये।