जामताड़ा का BJP जिलाध्यक्ष सुमित शरण, कांग्रेस MLA इरफान की बहन से विधानसभा चुनाव के समय आर्थिक लाभ लिया, जबकि सुरेश, बालमुकुंद, कमल, सुनील व वीरेन्द्र मंडल पार्टी विरोधी कार्यों में लगे रहेः सीता सोरेन
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेत्री सीता सोरेन ने भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री को पत्र लिखकर, पार्टी के अंदर रह रहे उन भाजपा नेताओं की पोल खोलकर रख दी है, जो पार्टी में रहकर अन्य राष्ट्रीय दलों के लिए काम कर रहे हैं और उनसे धन भी इकट्ठे कर रहे हैं। इस पत्र में सीता सोरेन ने इस बात को भी स्वीकारा है कि जमीनी स्तर पर रहनेवाले कार्यकर्ता अपनी पार्टी के प्रति अन्य की अपेक्षा ज्यादा निष्ठावान और पार्टी के प्रति निस्वार्थ भाव से समर्पित हैं।
हालांकि यह पत्र 30 नवम्बर 2024 को लिखी गई है। फिर भी इस पत्र पर चर्चा तो किया ही जा सकता है कि पार्टी आखिर झारखण्ड विधानसभा चुनाव में भारी हार का स्वाद क्यों और कैसे चखी? यह पूरा प्रकरण जामताड़ा विधानसभा से संबंधित हैं। लेकिन कहा जाता है कि एक चावल को मिंज कर पता लगाया जा सकता है कि हांडी में पक रही चावल पकी या नहीं पकी?
राजनीतिक पंडितों की मानें तो सीता सोरेन का यह पत्र बताने के लिए काफी है कि यही हाल हर विधानसभा की रही है, जिसके कारण पार्टी की यह दुर्दशा हो गई और जो भाजपा सीटें जीतीं तो उसका कारण जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं की निष्ठा रही, न कि वैसे नेता जो दूसरे दलों से प्राप्त धन के आधार पर भाजपा को ही गर्त में ले जाने के लिए सारे कार्य करते रहे और उनकी निष्ठा भाजपा से बदलकर अन्य दलों के साथ चली गई।
सीता सोरेन ने पत्र में लिखा है कि जामताड़ा का भाजपा जिलाध्यक्ष कांग्रेस प्रत्याशी इरफान अंसारी की बहन से आर्थिक लाभ लिया और पार्टी को कमजोर किया। इसी प्रकार मिहिजाम के पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेश राय, पूर्व परिषद अध्यक्ष बाल मुकंद रविदास, निवर्तमान नगर परिषद् अध्यक्ष कमल गुप्ता और आदिवासी समाज के नेता सुनील हांसदा ने भी कांग्रेस से मिलीभगत कर पार्टी के खिलाफ काम करने में ज्यादा दिमाग लगाया।
सीता सोरेन ने पत्र में लिखा है कि पूर्व प्रत्याशी वीरेन्द्र मंडल ने उनके प्रयासों के बावजूद कोई सहयोग नहीं किया तथा जनता के बीच भ्रम फैलाने का काम किया कि जनता भाजपा को वोट न करें। जिले के एसटी मोर्चा अध्यक्ष और अन्य आदिवासी नेताओं ने आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित करने का भी काम किया।
सीता सोरेन ने जोर देकर कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान सुमित शरण और अन्य नेताओं के असहयोग की शिकायतें थी। ऐसे लोगों का पार्टी अंदर दायित्वपूर्ण पदों पर होना न केवल पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि समर्पित कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी गिराता है। सीता सोरेन ने भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री से इस पूरे प्रकरण की गहन जांच कराने और दोषी पदाधिकारियों को संगठन से हटाने की मांग की है।
सीता सोरेन ने कहा है कि पार्टी को ऐसे नेताओं से मुक्त करना अत्यंत आवश्यक है, जो आर्थिक लाभ के लिए पार्टी को कमजोर कर रहे हैं। सीता सोरेन का यह पत्र वर्तमान में भाजपा के नेता ही बड़े जोर-शोर से वायरल कर रहे हैं। यह पत्र विद्रोही24 के पास भी मौजूद है। इस पत्र के वायरल होने से भाजपा के समर्पित व निष्ठावान कार्यकर्ता भौचक्के हैं।