जब सदन में अपनों ने आखें तरेरी, तब जाकर ज्ञानचक्षु खुला CM रघुवर दास का
आखिर सीएम रघुवर दास का ज्ञानचक्षु खुल ही गया। उन्होंने आज गैर अधिसुचित जिले में स्थानीय निवासियों को जिलास्तर के तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की नियुक्ति में प्राथमिकता देने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन कर ही दिया। इस कमेटी के अध्यक्ष राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री अमर कुमार बाउरी, सदस्य सचिव, कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे, तथा अलग से चार सदस्यों को इसमें शामिल किया गया हैं। इन चार सदस्यों के नाम है – राधाकृष्ण किशोर, सत्येन्द्र नाथ तिवारी, राज सिन्हा तथा अमित मंडल। यह समिति अधिसूचना निर्गत होने की तिथि के पन्द्रह दिनों के अंदर अपना सुविचारित मंतव्य सरकार को उपलब्ध करायेगी।
ज्ञातव्य है नियोजन और स्थानीय नीति को लेकर पिछले दिनों बजट सत्र के दौरान राज्य सरकार को उस वक्त अपने ही विधायकों का कोपभाजन बनना पड़ा, जब उन्हीं के विधायकों ने राज्य सरकार को स्थानीय तथा नियोजन नीति के मुद्दे पर घेरा। राज्य सरकार को इसकी उम्मीद भी नहीं थी, कि उनके ही विधायक ऐसा करेंगे, पर सत्तापक्ष के विधायकों ने अपनी नाराजगी दिखा दी थी।
निधि खरे का कहना है कि झारखण्ड के राज्यपाल के आदेश से राज्य के गैर अधिसूचित जिलों में जिलास्तर के तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नियुक्ति में संबंधित जिले के स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता देने संबंधी प्रस्ताव की समीक्षा भारत के संविधान के संबंधित उपबंधों एवं अन्य राज्यों में एतदर्थ लागू प्रावधानों के संदर्भ में करने के लिए इस 6 सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है।
ज्ञातव्य है कि राज्य के गैर अधिसूचित जिलों जैसे पलामू, गढ़वा, हजारीबाग, रामगढ़, कोडरमा, चतरा, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, देवघर और गोड्डा के जिला संवर्ग के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति के लिए अनुसूचित जिलों हेतु प्रवृत्त उक्त प्रावधान को लागू करने की मांग विधानसभा के सदस्यों ने की थी।
विदित हो कि झारखण्ड राज्य के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्र के जिलों जैसे – साहेबगंज, पाकुड़, दुमका, जामताड़ा, लातेहार, रांची, खूंटी, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, और सरायकेला खरसावां में जिला संवर्ग के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों में उद्भृत रिक्तियों पर भर्ती के लिए, इस अधिसूचना के जारी होने की तिथि से दस वर्षों की अवधि तक के लिए मात्र संबंधित जिले के स्थानीय निवासियों के ही पात्र होने का प्रावधान किया गया है।