बजट पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए सदन में कहा कि उनके द्वारा प्रस्तुत बजट महात्मा गांधी व अम्बेडकर के विचारों का बजट
झारखण्ड विधानसभा में बजट पर चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब देते हुए राज्य के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि उनके द्वारा प्रस्तुत बजट गांधी व अम्बेडकर के विचारों का बजट है। राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि उनसे पूछा जाता है कि जो उन्होंने एक लाख 45 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया, वो पैसा कहां से आयेगा, तो मेरा सवाल इन्हीं प्रकार के प्रश्न पूछनेवालों से है कि छत्तीसगढ़ में इन्हीं के द्वारा कल एक करोड़ 65 लाख रुपये का बजट पेश किया गया, आखिर वे इतना पैसा कहां से लायेंगे।
राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि यह प्रश्न पूछनेवालों को वे बता देने चाहेंगे कि वे पैसे कैसे आयेंगे, उसकी तैयारी उन्होंने कर ली हैं। उसकी चर्चा भी उन्होंने सदन में की। राधाकृष्ण किशोर ने सरयू राय के बजट चर्चा में दिये गये विचारों को आत्मसात् करते हुए कहा कि यह सही है कि बजट पेश करते समय पिछले सालों की उपलब्धि की भी चर्चा करनी चाहिए ताकि पता चल सकें कि जो पिछले वर्ष बजट पेश की गई, उससे राज्य को कितना फायदा हुआ।
राधा कृष्ण किशोर ने भाजपा नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ये तो अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों के यहां भोजन तो कर लेते हैं, पर उनके उत्थान व विकास के लिए कोई काम नहीं करते। उन्होंने कहा कि जब वे 2005-09 में विधायक थे। तब उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से कहा था कि वे दलितों के विकास के लिए एक कौंसिल का गठन करें। ये कौंसिल आदिवासियों के लिए बने परामर्शदातृ समिति की तरह हो।
आश्चर्य यह भी है कि उन्होंने इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी। लेकिन वो क्रियान्वित नहीं हो सका। बाद में रघुवर दास के शासनकाल में भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया। लेकिन रघुवर दास के शासनकाल में ये जमीन पर नहीं आया। अंत में जब ये मुद्दा हमनें हेमन्त जी के समक्ष उठाया तो उन्होंने इसकी मंजूरी दी और ये कहा कि ये तो 2008 में ही इसका गठन हो चुका है तो इसे जमीन पर न उतारना तो दलितों को ठगने जैसा है।
आज फिर से इस सरकार ने इस परामर्शदातृ समिति के गठन करने का फैसला किया है। जो अब सही मायनों में जमीन पर उतरेगा। उन्होंने कहा कि सही मायनों में आज इस राज्य में दलितों की संख्या 14 प्रतिशत हैं, जिनके हालात आदिवासियों जैसे हैं, इसलिए इनका उत्थान बहुत ही जरुरी है और दलितों के लिए अलग परामर्शदातृ समिति के बिना यह संभव नहीं हैं।
उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष के नेता कहते हैं कि हमलोगों ने विभिन्न विभागों से पैसे काट कर उसे मंईयां सम्मान योजना में लगा दिया। जबकि सच्चाई यह है कि पूर्व में सभी इँफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा खर्च करते थे। हमने इस बार सामाजिक उत्थान पर ज्यादा ध्यान दिया है। हमारा वित्तीय प्रबंधन ऐसा है कि दूसरे विभागों के पैसे लेकर मंईयां सम्मान योजना में लगाने की कोई जरुरत ही नहीं। सच्चाई यह है कि वित्तीय प्रबंधन में पूरे देश में हम एचीवर स्टेट के रूप में चौथे स्थान पर हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र हमें पैसा भीख में नहीं देती, जो हमारा हक हैं वहीं केन्द्र देती हैं।
राधाकृष्ण किशोर ने कहा राज्य में जल जीवन मिशन चल रहा है। यह योजना केन्द्र और राज्य दोनों के सहयोग से चल रही है। जिसमें केन्द्र और राज्य अपने-अपने हिस्से के पचास-पचास प्रतिशत राशि देते हैं। राज्य में छोटे-बड़े किस्म की सभी योजनाओं को मिलाकर करीब 97 हजार की योजना हैं। जिसमें 12 हजार करोड़ खर्च होने हैं। राज्य ने तो अपने हिस्से का छः हजार करोड़ दे रखा हैं। पर पूछिये कि क्या केंद्र ने अपने हिस्से की राशि राज्य को दी हैं। सच्चाई यह कि कई योजनाओं की राशि में केन्द्र सरकार ने 2019 के बाद से जो कटौती करनी शुरु की हैं, वो आज भी जारी हैं।
उन्होंने कहा कि वृद्धों को मिलनेवाली पेंशन तक के पैसों को केन्द्र ने रोक कर रखा हैं, जो अरबों रुपये तक का हैं, जिसके कारण हमारे लोगों को अक्टूबर से वृद्धा पेंशन तक नहीं मिला। यही हाल मनरेगा की भी हैं। ये हाथी उड़ाने की बात करनेवाले लोग जो चींटीं तक नहीं उड़ा सकते, हाथी उड़ाने की बात कर रहे थे। वे हम पर सवाल उठा रहे हैं।