प्रदीप यादव को अडानी के वायदे याद हैं, लेकिन कांग्रेस द्वारा 450 रुपये में घुसपैठियों तक को गैस-सिलिण्डर देने के वायदे याद नहीं, अगर CM हेमन्त ने ऐसे बयानवीरों पर रोक नहीं लगाई तो स्पेन-स्वीडन की यात्रा बेकार सिद्ध होंगी
एक ओर झारखण्ड राज्य में औद्योगिक निवेश को आकर्षित/प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल स्पेन और स्वीडन की यात्रा पर जाने के लिए दिमाग लगा रहा है और दूसरी ओर गोड्डा में जहां गौतम अडानी जैसे उद्योगपति अपना पावर प्रोजेक्ट लगाये हुए हैं, उनके पावर प्रोजेक्ट में बाधाएं उपस्थित करने के लिए सत्ता में शामिल कांग्रेस पार्टी के विधायक दल का एक नेता प्रदीप यादव एड़ी चोटी लगाये हुए हैं।
तो ऐसे में क्या सही में झारखण्ड में निवेश हो पायेगा या पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की तरह ही निवेश के लिए वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का स्पेन-स्वीडन दौरा भी एक असफल दौरा सिद्ध होगा। सच्चाई यह है कि जब तक आप अपने राज्य में निवेश का माहौल नहीं बना पायेंगे, आपके यहां देशी क्या, विदेशी उद्योगपति भी आना नहीं चाहेंगे। आज के एआई के युग में किसी विदेशी निवेश को अपने यहां लगवा लेना, इतना आसान नहीं।
आश्चर्य की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी के विधायक दल के नेता प्रदीप यादव को अडानी पावर प्रोजेक्ट और उसके द्वारा किये गये वायदे तो एक-एक कर याद हैं। लेकिन झारखण्ड विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के द्वारा किये गये वायदे अब तक याद नहीं हैं। जब जनता इनसे पूछती है कि 450 रुपये में गैस सिलिण्डर देने के वायदे का क्या हुआ तो ये और उनके नेता बगलें झांकने लगते हैं।
आश्चर्य यह भी हैं इनके कट्टर समर्थक जातिवादी पत्रकार भी इनसे ये सवाल नहीं पूछते कि आपने भी तो जनता से वायदा किया था कि 450 रुपये में गैस सिलिण्डर थमायेंगे तो उस वायदे का क्या हुआ? अब तो आपकी सरकार भी बन गई। आपके लोग मंत्री पद का फायदा भी ले रहे हैं। तबियत खराब होती हैं तो एयर एंबुलेंस के मजे भी ले रहे हैं। जो मंत्री नहीं बने हैं, वे यानी आप विधायक दल के नेता के मजे ले रहे हैं और जनता जब कह रही है कि 450 रुपये में गैस सिलिण्डर दो तो आप कह रहे है कि हमने वायदा किया था, उसे निभायेंगे।
लेकिन कब, जब सातवां झारखण्ड विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जायेगी तब? अरे आपके नेता यानी तब के झारखण्ड प्रभारी गुलाम मोहम्मद मीर ने तो घुसपैठियों तक को 450 रुपये में गैस सिलिण्डर देने की बात कह दी थी। जब बाद में फंसे तो उनकी घिग्घी निकल गई। सच्चाई यह भी है कि आज कांग्रेस के लोग जो इतना उछल रहे हैं। वो चाहे प्रदीप यादव हो या संसदीय कार्य मंत्री वो इसलिये उछल रहे हैं, क्योंकि ये उछलने वाली पावर हेमन्त सोरेन और कल्पना सोरेन ने ही इन्हें उपलब्ध कराई है।
अगर झामुमो ने जोर नहीं लगाया होता। ये दोनों इनके क्षेत्रों मे जाकर चुनाव प्रचार नहीं करते, तो ये राजद से भी कम सीट लाकर विधानसभा की लॉबी में बैठकर कही रो रहे होते। लेकिन जैसे ही झामुमो ने गठबंधन कर और इनके लोगों को जीताने में एड़ी चोटी एक कर दी तो अब ये झामुमो जैसी बड़ी पार्टी और उनके नेताओं/मंत्रियों तक को सदन से लेकर सड़क तक जीना मुहाल कर रहे हैं।
राजनीतिक पंडित तो साफ कहते हैं कि अगर कांग्रेस अकेले झारखण्ड में लड़ती और इनके राहुल गांधी कितना भी दौरा कर लेते, ये 16 का आकड़ा छू नहीं पाते। आज जो 16 आकड़ा इन्होंने छूआ हैं तो उसमें झामुमो के नेताओं यानी हेमन्त सोरेन और कल्पना सोरेन का ही हाथ हैं। लेकिन सर्वाधिक कष्टकर ये हेमन्त सोरेन और उनकी पार्टी के लिए ही बने हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जिस प्रकार से प्रदीप यादव ने कांग्रेस में आकर जिस प्रकार की राजनीति शुरु की है, कहीं ऐसा नहीं कि कांग्रेस का हाल झाविमो के जैसा हो जाये, क्योंकि प्रदीप यादव जहां या जिस पार्टी में गये हैं। उसकी हाल श्रीरामचरितमानस की उस चौपाई की तरह हो गई हैं – जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।।