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सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना, भाजपा नेता अंकित आनंद ने डीजीपी और प्रधान सचिव को लिखा पत्र, जिलास्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकार गठन की उठाई मांग

भाजपा नेता और सूचना अधिकार कार्यकर्ता अंकित आनंद ने एक बार फिर झारखंड सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव, पुलिस महानिदेशक समेत कई उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर जिलास्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकार के गठन की मांग की है।

अंकित आनंद ने कहा कि वर्ष 2006 और 2007 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार मामले में पारित ऐतिहासिक आदेश के आलोक में सभी राज्यों को जिला एवं राज्यस्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकार गठित करना अनिवार्य ठहराया गया था। इसके अनुपालन में झारखंड सरकार ने 2016 में विभागीय संकल्प तथा पुलिस मुख्यालय ने दिशा-निर्देश भी जारी किए थे, किंतु आज तक जिलास्तर पर इसका गठन नहीं हो पाया है।

भाजपा नेता ने बताया कि इस विषय में वे पहले भी 10 जुलाई 2020 को तत्कालीन डीजीपी, कोल्हान डीआईजी और जमशेदपुर एसएसपी को ईमेल के माध्यम से पत्राचार कर चुके हैं। बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। अंकित आनंद ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना बताते हुए कहा कि सरकार की निष्क्रियता न केवल कानून की अवहेलना है बल्कि आम नागरिकों को न्याय से वंचित रखने की साजिश भी प्रतीत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्यस्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकार तो कागज़ों पर कार्यरत है, लेकिन उसके निर्देशों को जिलों में गंभीरता से नहीं लिया जाता। नतीजतन, पुलिस उत्पीड़न की शिकायतें लटक जाती हैं और शिकायतकर्ता प्रायः और अधिक उत्पीड़न के शिकार हो जाते हैं।

भाजपा नेता अंकित आनंद ने मांग की है कि झारखंड सरकार सभी जिलों में तत्काल प्रभाव से जिला स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकार का गठन सुनिश्चित करे और उसकी कार्यशीलता को प्रभावी बनाने के लिए सभी जिलों के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी करे। उन्होंने आग्रह किया कि इस संबंध में की गई कार्रवाई की प्रति उन्हें रजिस्टर्ड डाक से भेजी जाए।

जमशेदपुर निवासी भाजपा नेता अंकित आनन्द का कहना है कि यह मामला राज्य में पुलिस प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही से जुड़ा है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि झारखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करती है या अवमानना के इस आरोप को नजरअंदाज करती है।

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