अपनी बात

रांची प्रेस क्लब से जुड़ी सदस्या संजू आरती सिंह ने सोशल साइट के माध्यम से सवाल पूछे – रांची प्रेस क्लब किसके बाप का है जी?

रांची प्रेस क्लब से जुड़ी एक सदस्या संजू आरती सिंह ने सोशल साइट फेसबुक पर एक सवाल पूछा है। सवाल सार्वजनिक है। सवाल है – रांची प्रेस क्लब किसके बाप का है जी? इनके इस सवाल को अब तक 58 लाइक्स मिले हैं, साथ ही 19 कमेन्ट्स भी है। संजू आरती सिंह एक अच्छी महिला पत्रकार है। संभवतः अभी भारतमित्र से जुड़ी है।

संजू आरती सिंह ने अपने पोस्ट के माध्यम से लिखा है कि जब उनके चैनल से जुड़े रिपोर्टस समाचार संकलन के उद्देश्य से कल रांची प्रेस क्लब पहुंचे थे। तब वहां रांची प्रेस क्लब के एक अधिकारी कुबेर सिंह ने उनके रिपोर्टस को यह कहकर प्रेस क्लब से बाहर निकाल दिया कि आप क्लब के मेम्बर नहीं हैं, इसलिये, यहां से जाइये। जबकि भारत मित्र के रिपोर्टर वहां प्रेस कांफ्रेस में शामिल होने के लिए गये थे, न कि प्रेस क्लब एटेंड करने।

इधर प्रेस क्लब के ही उक्त अधिकारी ने संजू आरती सिंह के एक अन्य पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया भी दी है, जब कमेन्ट्स में किसी ने कुबेर सिंह को अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा, जिसमें उसने कहा कि ये मेरा प्लेटफार्म नहीं है। एक्शन है तो रिएक्शन है। जल्द ही जवाब दिया जायेगा। इधर रांची प्रेस क्लब के कुछ सदस्यों का कहना है कि रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों ने अपने यहां एक विशेष कक्ष बनाया है, जिसमें जो प्रेस क्लब के सदस्य नहीं हैं, वे उसमें प्रवेश नहीं कर सकते।

इस विशेष कक्ष पर कई लोगों की आपत्ति भी है। जो आपत्ति दर्ज कराते हैं, उनका कहना है कि पत्रकारों में कब से ए टीम और बी टीम बन गई। रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों का चयन इसलिए थोड़े ही हुआ है कि वे स्वयं को विशेष बनाकर हम पर राज करें। उनका चयन सिर्फ इसलिए हुआ है कि वे हमारी बेहतर सेवा दे सकें। रांची प्रेस क्लब का सम्मान बरकरार रखें।

लेकिन यहां हो रहा कुछ और। जो अधिकारी बने हैं। वे स्वयं को सम्राट से कम नहीं समझ रहें। उसी में ये एक नया चीज हैं – विशेष कक्ष। वो भी तब, जबकि अभी तक राज्य सरकार या उनके किसी विभाग ने रांची प्रेस क्लब की बिल्डिंग को अभी तक प्रेस क्लब के अधिकारियों के हवाले सुपूर्द नहीं किया है। मतलब जब सुपूर्द नहीं किया, तो ये लोग अपने लिए उसमें विशेष कक्ष बना लिये, जिसमें कई लोगों को जाने पर प्रतिबंध लग गया, जब सही मायनों में इन्हें बिल्डिंग दे दी जायेगी तो ये तो इसे अपना घर ही समझ लेंगे और वो करेंगे, जिसको एक सभ्य समाज भी इजाजत नहीं देता। ये तो रही संजू आरती सिंह के पोस्ट की बातें।

उधर क्लब फॉर इन्फॉरमेशन में भी पिछले एक सप्ताह से कुबेर सिंह को लेकर धमाल मचा है। जिस पर कई लोगों ने अपनी बातें रखी हैं। कई लोगों ने कुबेर सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने रांची प्रेस क्लब के कमरे पर बिना भुगतान के ही कब्जा जमाये हुए थे। जबकि अन्य सदस्यों से एडवांस में पैसा मांगा और लिया जाता है। क्लब कमेटी के सभी अन्य 14 सदस्य मामले को जानते थे, फिर भी कोई कुछ नहीं किया, मतलब घोर अंधेर हैं।

एक ने क्लब फॉर इन्फॉरमेशन में लिखा है कि उसे जानकारी मिली थी कि कल (रविवार-सोमवार की दरमियानी) रात तीन बजे के लगभग आप 15 में से एक वरीय साथी क्लब पहुंचते हैं और गार्ड से कमरे की चाबी लेते हैं, बगैर किसी इंट्री और भुगतान के। जानकारी के अनुसार, अभी तक कमरे की चाबी वापस नहीं की गई है और न ही किसी तरह का भुगतान किया गया है। क्लब के नियमानुसार दो दिन का बकाया हो चुका है। क्लब के संसाधनों के रक्षक ही भक्षक बन जाए तो क्या कहा जाए। पूर्व में भी सचिव और कोषाध्यक्ष रक्षक के रूप में भक्षक बन चुके हैं। लेकिन मैनेंजिंग कमेटी ने ऐसी अकर्मण्यता दिखाई कि नतीजा आज सभी के सामने हैं।

इसी पर एक वरीय सदस्य ने लिखा कि वे साढ़े चार बजे तक करीब क्लब में रहेंगे। तब तक अगर संबंधित पदाधिकारी द्वारा भुगतान नहीं किया गया तो वे एक जिम्मेवार सदस्य होने के नाते बकाए भुगतान की रसीद स्वयं काट देंगे। बताया जाता है कि जैसे ही ये बातें क्लब फॉर इन्फॉरमेशन में चलने लगी। कुबेर सिंह ने दोपहर के एक बजकर 51 मिनट पर एक दिन का भुगतान कर दिया। जबकि नियमानुसार दो दिन का भुगतान करना था। बताया जाता है कि ये सारी घटनाएं एक सप्ताह पहले की है।

लेकिन इसी बतकही में रांची प्रेस क्लब के वर्तमान अधिकारी ने वरीय सदस्य के गृहिणी का नाम तक घसीट लिया जो ये बताने के लिए काफी है कि इस रांची प्रेस क्लब से जुड़े अधिकारियों के समूहों में कैसे-कैसे लोग आ पहुंचे हैं? अरे आपलोग आपस में किसी विषय-वस्तु पर लड़ोगे और घर की सम्मानित महिलाओं को यहां लाकर खड़ा करोगे, तुम्हारी ये मानसिकता बताती है कि तुम पत्रकार क्या, तुमलोग आदमी कहलाने योग्य नहीं हो। तुम्हारे यहां मननेवाली अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक दिखावा है। नहीं तो, तुम महिला का सम्मान करना सीखते और फालतू के विवादों तथा अपनी गलतियों के लिए महिला का नाम घसीट कर किसी को अपमानित करने की जुर्रत नहीं करते।

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