अपराध

अच्छा प्रयासः राज्य में पहली बार कुल 88 केन्द्रों पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर आयोजित हुआ जन शिकायत समाधान कार्यक्रम, लोगों ने ली बड़े पैमाने पर ली रुचि

हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखण्ड सरकार के निर्देशानुसार अनुराग गुप्ता, पुलिस महानिदेशक, झारखंड के नेतृत्व में आज राज्य के सभी जिलों में “जन शिकायत समाधान कार्यक्रम” आयोजित किया गया। इस अवसर पर सभी जिलों में पुलिस एवं प्रशासन की संयुक्त टीमों द्वारा जनसंपर्क शिविर, बैनर, प्रचार वाहन, पोस्टर, पंपलेट, प्रिंट मीडिया एवं सोशल मीडिया के माध्यम से आम नागरिकों को पूर्व में ही इस कार्यक्रम की जानकारी दे दी गई थी।

“जन शिकायत समाधान कार्यक्रम” का मुख्य उद्देश्य था – आम जनता को अपनी शिकायतें जैसेः- जमीन/अपराध/महिलाओं/बच्चों/साईबर/धोखाधड़ी के विरुद्ध होने वाले अपराध के समाधान के लिए थानों के बार-बार चक्कर न लगाना पड़े बल्कि उनका समाधान तुरंत किया जा सके।

“जन शिकायत समाधान कार्यक्रम” की इस पहल से जनता और पुलिस के बीच विश्वास की मजबूत नींव को तैयार करना, साथ ही पीड़ित, महिलाओं, बच्चों, कमजोर वर्गों/बुजूर्गों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना साथ पुलिस की पहुँच को ग्रामीण और दूर दराज क्षेत्रों में सुलभ बनाना एवं आम जनता और पुलिस के बीच की दूरी को पूरी तरह से मिटाना था।

इस कार्यक्रम में शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों की समस्याओं को सुनने और उसका तत्काल रूप से समाधान करने के लिये एवं कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये जिला प्रशासन, स्थानीय पुलिस एवं अन्य अधिकारियों ने सक्रिय रूप से भूमिका निभाई। उक्त कार्यक्रम की मॉनिटरिंग हेतु पुलिस मुख्यालय स्तर से एक-एक पुलिस पदाधिकारी को नामित किया गया था।

इस दौरान राज्य के 24 जिलों में कुल 88 केन्द्र बनाये गये थे, जिसमें आज कुल 2109 शिकायतकर्ताओं ने भाग लेकर अपनी समस्याओं को स्थानीय पुलिस के समक्ष रखा। सबसे ज्यादा केन्द्र रांची जिले में बनाये गये थे और यहां शिकायतकर्ताओं की संख्या भी अन्य जिलों से अधिक थी। रांची में कुल 256 शिकायतकर्ताओं ने भाग लिया, जबकि यहां कुल 17 केन्द्र बनाये गये थे।

जन शिकायत समाधान कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य –

  1. शिकायत केन्द्रों में आने वाले नागरिकों की शिकायतों का त्वरित पंजीकरण करना एवं संभव हो तो ऑन द स्पॉट समाधान करना।
  2. ⁠पुलिस के अलावे अन्य विभाग से संबंधित मामलों को संबंधित विभाग के संज्ञान में देकर समाधान कराने का सार्थक प्रयास करना।
  3. ⁠शिकायतों पर पुलिस के द्वारा की गई कार्रवाई की सूचना शिकायतकर्ता को प्रेषित करना।
  4. ⁠निर्धारित समय-सीमा के भीतर कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में वरीय पदाधिकारियों के संज्ञान में विषय को प्रेषित करना।
  5. ⁠नागरिकों की समस्या को समझते हुए पुलिस व्यवस्था में आवश्यक नीतिगत सुधार करने का प्रयास करना।

इस कार्यक्रम में शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए प्रतिवेदन के आलोक में झारखण्ड पुलिस के द्वारा आयोजित किये गये “जन शिकायत समाधान कार्यक्रम” कीं मुख्य विशेषताएँ निम्न प्रकार है –

  1. आम नागरिकों से प्राप्त शिकायतों को पंजीकृत एवं ऑन द स्पॉट निष्पादित होने वाले शिकायतों का समाधान किया गया।
  2. ऑन-लाईन शिकायत हेतु मोबाईल/Whatsaap नम्बर तथा E-mail ID प्रत्येक जिलों में नागरिकों को उपलब्ध कराकर ऑन लाईन शिकायत दर्ज करने हेतु प्रेरित किया गया।
  3. प्राप्त लिखित एवं मौखिक शिकायतों को रजिस्टर में संधारित करते हुये शिकायतकर्ता को पावती संख्या के साथ सम्पर्क नम्बर भी उपलब्ध करायी गई, ताकि शिकायतकर्ता को अपने शिकायत की जानकारी प्राप्त हो सके।
  4. प्राप्त शिकायतों को निर्धारित समय सीमा के अन्दर कार्रवाई करने का आश्वासन शिकायतकर्ता को दिया गया।

जन शिकायत समाधान कार्यक्रम में निम्न विषय पर विशेष रूप से ध्यान देते हुए आम लोगों को जानकारी दी गई –

  1. महिलाओं एवं बच्चों के सुरक्षा के संबंध में जानकारी देते हुए Victim compensation Scheme के बारे में बताया गया।
  2. नये अपराधिक कानून के अन्तर्गत Zero FIR एवं Online FIR करने के प्रणाली, Dial-112 एव Dial-1930 (साईबर फ्रॉड) के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए आम नागरिकों को जागरूक किया गया।
  3. कमजोर वर्ग के नागरिकों के लिए एस०सी०/एस०टी० अत्याचार निवारक अधिनियम के तहत दर्ज काण्डों में यथाशीघ्र कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया।
  4. क्षेत्र में होने वाले सम्पति मूलक अपराध जैसे-साईबर अपराध तथा अवैध रूप से नागरिकों से ठगी करने वाली चिटफंड कम्पनियों आदि की रोक-थाम एवं उससे संबंधित दर्ज कांडों में त्वरित गति से अग्रतर कार्रवाई करने का भरोसा दिया गया।
  5. ऐसे क्षेत्र जहां मानव तस्करी की घटना को लेकर अपराध होते है, वहां पर विशेष रूप से अपराध के भुक्तभोगियों की सूचना प्राप्त कर संलिप्त अपराधियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर अग्रतर कार्रवाई करने का भरोसा दिया गया।
  6. अफीम की खेती तथा ब्राउन शुगर इत्यादि की खरीद-बिक्री की जानकारी प्राप्त करते हुए इसकी रोकथाम के लिए नागरिकों को जागरूक किया गया।
  7. स्कूल / कॉलेज के बच्चों द्वारा नशीले पदार्थों का सेवन करने की जानकारी प्राप्त होने पर उसके रोक-थाम हेतु आम लोगों को जागरूक किया गया। 

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