राजनीति

कांग्रेसी नेता आलोक दुबे ने भाजपा से तीखे लहजे में किया सवाल, क्या रघुवर दास की यूएस यात्राएं ‘पर्यटन’ थीं या फिर ‘विकास’? और अगर वे यात्राएं निवेश के लिए थीं तो हेमंत सोरेन की यात्रा में क्या बुराई है?

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विदेश यात्रा पर सवाल उठाकर भाजपा ने एक बार फिर अपनी आदिवासी विरोधी सोच, विकास के प्रति उपेक्षा और राजनीतिक अवसरवादिता का चेहरा देश के सामने उजागर कर दिया है। भाजपा की टिप्पणी पर तीखा पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आलोक कुमार दूबे ने कहा है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब एक आदिवासी मुख्यमंत्री अपने राज्य के भविष्य के लिए, बेहतर निवेश अवसरों की तलाश में, तकनीकी और वैश्विक साझेदारी के उद्देश्य से विदेश जाता है, तो भाजपा उसे ‘पर्यटन’ कहने लगती है।

आलोक दुबे ने दो टूक शब्दों में कहा कि भाजपा के नेताओं को शायद आदिवासी नेतृत्व की ताकत, उसके विजन और झारखंड की तरक्की से डर लगता है, इसीलिए वे हर सकारात्मक पहल को नकारात्मक रंग देने में लगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि यह वही पार्टी है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर विदेशी यात्रा को “रणनीतिक” और “ऐतिहासिक” बताकर उसकी तारीफों के पुल बांधती है, लेकिन जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वैश्विक मंचों पर झारखंड की पहचान बनाने निकलते हैं तो वही भाजपा दोहरे मापदंड अपनाते हुए उसकी आलोचना करती है।

आलोक दुबे ने भाजपा से तीखे लहजे में सवाल किया कि क्या रघुवर दास की यूएस की यात्राएं ‘पर्यटन’ थीं या फिर ‘विकास’? और अगर वे यात्राएं निवेश के लिए थीं तो हेमंत सोरेन की यात्रा में क्या बुराई है? या भाजपा की नजर में केवल गैर-आदिवासी नेताओं को ही विदेश जाकर देश और राज्य की बात करने का हक है? उन्होंने साफ कहा कि हेमंत सोरेन की विदेश यात्रा झारखंड को सिर्फ ग्लोबल मंच पर पेश करने का ही नहीं, बल्कि राज्य में तकनीकी सहयोग, स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार सृजन और पर्यावरणीय नवाचार की संभावनाओं को मजबूती से आगे बढ़ाने का एक ठोस कदम है।

आलोक दूबे ने कहा स्वीडेन और स्पेन जैसे देश विज्ञान, तकनीक, क्लीन एनर्जी, स्मार्ट इनफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल इनोवेशन में विश्व के अग्रणी देश हैं। इन देशों से सीखना, वहां से निवेश लाना और झारखंड को ग्लोबल इन्वेस्टमेंट मैप पर लाना अगर मुख्यमंत्री कर रहे हैं, तो इसमें भाजपा को क्या तकलीफ है?

उन्होंने कहा कि स्वीडन और भारत के संबंध 1948 से ही मजबूत रहे हैं। भारतीय उद्योग जैसे टाटा, महिंद्रा, इंफोसिस, विप्रो आदि स्वीडन में मौजूद हैं। स्वीडन की दिग्गज कंपनियां जैसे एरिक्सन, वोल्वो, स्कानिया, टेट्रापैक – सभी भारत में काम कर रही हैं और हजारों रोजगार दे रही हैं। वहीं स्पेन, यूरोप का प्रमुख देश है जो स्मार्ट सिटी, लॉजिस्टिक्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश के लिए जाना जाता है। हेमंत सोरेन की यह यात्रा पर्यटन नहीं, बल्कि राज्य के विकास का रोडमैप है। यही वह सोच है जो झारखंड को सिर्फ खनिज राज्य से एक स्मार्ट, रोजगारयुक्त, समावेशी राज्य की ओर ले जाएगी।

आलोक दुबे ने भाजपा को ललकारते हुए कहा कि जो लोग मोदी जी की ग्रीस, इटली, अमेरिका, जापान, यूएई और 80 से अधिक देशों की यात्राओं में ‘विश्वगुरु’ खोजते हैं, वे हेमंत सोरेन के स्वीडन और स्पेन दौरे में ‘पर्यटन’ क्यों देख रहे हैं? क्या प्रधानमंत्री के हर दौरे से करोड़ों का निवेश आता है? क्या उनके विदेशी फोटोशूट और झूले पर बैठने से देश की अर्थव्यवस्था चमकती है? अगर नहीं, तो एक मुख्यमंत्री के वास्तविक प्रयासों को नीचा दिखाना सिर्फ भाजपा की संकीर्ण मानसिकता का प्रमाण है।

दुबे ने कहा कि हेमंत सोरेन झारखंड के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो न केवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में जुटे हैं, बल्कि वैश्विक निवेश और तकनीकी भागीदारी को भी जमीन पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा को यह रास नहीं आ रहा क्योंकि उसकी राजनीति आदिवासियों को हाशिये पर रखने की रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सिर्फ सत्ता की भूखी है – उसे न झारखंड के लोगों की चिंता है, न युवाओं के रोजगार की, और न ही राज्य के भविष्य की। उसकी पूरी राजनीति नकारात्मकता, झूठ और विभाजन पर टिकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *