माया को काटने का काम प्रेमावतार परमहंस योगानन्द जी द्वारा बताई गई तकनीक है, जिसका निरन्तर अभ्यास करने, उनके पाठों को पढ़ने व ग्रुप मेडिटेशन करने से बुरी आदतें स्वतः समाप्त हो जाती हैः ब्रह्मचारी अतुलानन्द
माया को काटने का काम प्रेमावतार परमहंस योगानन्द जी द्वारा बताई गई तकनीक हैं। इन तकनीकों का निरन्तर अभ्यास करने, उनके दिये गये लेशनों को पढ़ने व ग्रुप मेडिशन करने से आप स्वयं बुरी आदतों से मुक्त हो जायेंगे। आप इसके बाद स्वयं महसूस करेंगे, कि आप आध्यात्मिक पथ पर कहां पहुंचे हैं। उक्त बातें आज योगदा सत्संग आश्रम में रविवारीय सत्संग को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी अतुलानन्द ने योगदा भक्तों के बीच में कहीं।
उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में हमारी आदतों का विशेष हस्तक्षेप रहता है। इसलिए आंतरिक परिवर्तन के लिए हमारे अंदर जो आदतें घर कर डाली हैं, उनका विशेष महत्व है। वस्तुतः आदतें हैं क्या? दरअसल आदतें वैसा काम हैं, जो हम बार-बार करते हैं, यहीं बार-बार की काम हमारी आदतें बन जाती हैं। जो बुरी भी हो सकती हैं और अच्छी भी हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि अच्छी आदतें हमें आध्यात्मिक पथों को आलोकित करती हैं, बेहतर बनाती है, जबकि बुरी आदतें हमारी आध्यात्मिक पथों को बाधित करती हैं, जिससे हम ईश्वरीय मार्ग से भटक जाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर हमें बुरी आदतों को हटाना है, तो उसका सबसे सुंदर उपाय हैं – ध्यान।
ब्रह्मचारी अतुलानन्द ने कहा कि हम सब कई काम आदतों के ही कारण करते हैं। इन्हीं आदतों से हमारा जीवन चलता है। लेकिन ज्यादातर लोगों को इस पर ध्यान नहीं जाता। इन आदतों पर ध्यान नहीं देने के कारण ही बुरी आदतें हमें ऐसा प्रभावित करती हैं कि हमारी जीवन कब नष्ट होने लगा, कब हम ईश्वरीय मार्ग से भटक गये पता ही नहीं चलता। उन्होंने कहा कि अच्छी आदतें हमारी मित्र हैं और बुरी आदतें हमारी शत्रु हैं।
उन्होंने कहा कि हर किसी को आदतों को एनालाइसिस करना सीखना चाहिए। किन आदतों से हम पीछे जा रहे हैं और किन आदतों से हम आगे बढ़ रहे हैं। चूंकि ये आदतें आपकी हैं, इसलिए इसका एनालाइसिस कोई दूसरा तो करेगा नहीं, इसलिए इसकी विवेचना खुद करिये और बेहतर स्थिति में स्वयं को लाने का प्रयास करिये।
उन्होंने बताया कि हम बुरी आदतों से आसानी से बच सकते हैं। अगर हम गुरुजी के द्वारा बताये गये मार्गों पर चलें। उन्होंने कहा कि गुरुजी ने कहा है कि जब तक हम नये वातावरण में, अपनी अच्छी आदतों को पूरी तरह अपना नहीं लेते, तब तक पूर्व की बुरी आदतों के सम्पर्क में हमें स्वयं को नहीं आने देना हैं। जैसे ही हम अच्छी आदतों को अपना लेंगे, वो बुरी आदतें स्वतः हमसे दूर हो जायेंगी। फिर उसका कोई दुष्प्रभाव हम पर नहीं पड़ेगा। लेकिन अगर हम अच्छी आदतों को अपना लें और बुरी आदतों के प्रभाव में भी स्वयं को रखेंगे तो निश्चय ही कोई सफलता नहीं मिलेंगी। ब्रह्मचारी अतुलानन्द ने इस पर बड़ा सुंदर दृष्टांत सभी के समक्ष रखा, जो प्रशंसनीय था।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बुरी आदतों पर वहीं विजय पा सकता है। जिसका विल पावर स्ट्रांग हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पसंद व नापसंद को अपने जीवन में ज्यादा भाव मत दीजिये, क्योंकि यह भी बुरी आदतों को जन्म देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा देता हैं। बिना स्ट्रांग विल पावर के आप अपने माइन्ड को कंट्रोल नहीं कर सकते। स्ट्रांग विल पावर के द्वारा ही हम हर प्रकार की समस्याओं पर विजय पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई बुरी आदतों से निकलना चाहता है तो उसे क्रिया योग का अभ्यास करना चाहिए। क्रिया योग के अभ्यास के बाद उसे स्वयं को डिवाइन लव से ओत-प्रोत होना होगा। ऐसा करने से वो व्यक्ति स्वयं महसूस करेगा कि वो बुरी आदतों से स्वयं को मुक्त करने के मार्ग पर आगे बढ़ चुका हैं।
उन्होंने लोगों को कहा कि आप झूठ बोलने की आदत मत डालें। हमेशा याद रखें कि अगर आपका स्वास्थ्य खराब है तो जिनका स्वास्थ्य अच्छा हैं, ऐसे लोगों से सम्पर्क में रहिये। अगर आप नकारात्मक सोच से भरते जा रहे हैं, तो ऐसे लोगों से सम्पर्क करिये, जो सकारात्मक सोच से भरे हो। यहीं आपके लिए फायदेमंद हैं।
उन्होंने कहा कि ज्यादा खाना, शराब पीना, किसी से झगड़ना, झूठ बोलना, क्रोध करना, ये सभी आदतें बुरी आदतों में शुमार हैं। अगर आप बुरी आदतों को खाना नहीं दोगे, तो ये बुरी आदतें स्वतः समाप्त हो जायेंगी। इसे समाप्त करने का सबसे अच्छा तरीका एक और है कि आप प्रत्येक दिन चिन्तन करें कि आपने आज क्या गलत किया और जैसे ही उस गलत का पता चलें, उसे तुरंत अपने स्ट्रांग विल पावर से खत्म करना शुरु कर दीजिये। आप देंखेंगे कि वो गलत चीजें आपकी आदतों में शुमार नहीं होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि अच्छा रहेगा कि ऐसा करने में गुरू जी को भी शामिल करिये और उनसे प्रार्थना करिये कि वे आपकी इसमें मदद करें। वे जरुर आपकी मदद करेंगे। आपके पथ को आलोकित करेंगे।
उन्होंने कहा कि अच्छी आदतें क्या हैं? सत्संग करना, ध्यान करना, सत्य बोलना, किसी की सहायता करना, गुरुजी की बताई लेशन को याद करना व उस पर चलना, फालतू बातें नहीं करना, विनम्र बनना, ईश्वर व गुरु को सदैव अपने मन में लेकर चलना, हमेशा लेने में नहीं बल्कि देने में विश्वास करना, सकाम से ज्यादा निष्काम सेवा में स्वयं को लगाना, ये सारी आदतें अच्छी आदतें ही तो हैं। आप हमेशा याद करिये कि निष्काम सेवा का फल ऊपर से आता हैं। यह मिलना ही मिलना है। यह सर्वोच्च सेवा हैं। जो ईश्वर को बहुत ही पसंद हैं।