‘इक्जाम पर चर्चा’ के बहाने 2019 साधने की तैयारी की नरेन्द्र मोदी ने
विपक्ष के नेताओं और सत्तापक्ष के नेताओं में सबसे बड़ा अन्तर यह हैं कि एक ओर जहां विपक्ष अभी भी आराम की मुद्रा में हैं। विलासिता संबंधी आवश्यकता की ओर ध्यान देने के लिए हर समय विदेश का दौर लगा रहा हैं, वहीं नरेन्द्र मोदी की चुनाव जीताओ टीम अभी से मिशन मोदी के बहाने 2019 को साधने में लग गई हैं। उसी की कड़ी है – ‘इक्जाम पर चर्चा’।
चूंकि विभिन्न राज्यों में मैट्रिक की परीक्षा सर पर हैं तथा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इन्हीं महीनों में दसवीं, एवं बारहवीं की परीक्षा लेता हैं और ये ऐसी परीक्षाएं हैं, जिससे उच्चवर्ग, मध्यमवर्ग और निम्नवर्ग सभी जुड़े होते हैं, इसलिए मोदी की चुनाव जीताओ टीम ने मोदी तक ‘इक्जाम पर चर्चा’ के बहाने, लोगों से सीधा संवाद करने तथा उनके दिलों तक जगह बनाने की योजना बना डाली और लीजिये मोदी कहां इन सब में चूकने वाले, उन्हें उनकी टीम की ये सोच अच्छी लगी और चाय पर चर्चा करनेवाला, ‘इक्जाम पर चर्चा’ करने के लिए बैठ गया।
इसके लिए दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में देश भर के छात्रों को बुलाया गया, विभिन्न राज्यों की राजधानियों के केन्द्रीय विद्यालयों और राजकीय स्कूलों में केन्द्र बनाये गये और बोला गया कि प्रधानमंत्री सीधे छात्रों से बात करेंगे, जबकि सच्चाई यह है कि जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं, वहां के सरकारी स्कूलों में ताले लटकाने का कार्यक्रम चल रहा हैं, जिसमें प्रमुख राज्य हैं, झारखण्ड। यहां 9000 स्कूलों में सदा के लिए ताले लटकाने के लिए एक कमेटी ही गठित कर दी गई।
जिन्हें मोदी की जय-जय करना हैं, वे जय-जय करेंगे, पर मोदी ने देश को किस हालत में लाकर खड़ा कर दिया, वह नीरव मोदी प्रकरण ने खुलकर बता दिया। पाकिस्तान तो रोज हमारी सैनिकों पर हमले कर रहा हैं, चीन आंखे तरेर रहा हैं सो अलग। मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ की हवा निकल चुकी हैं, कोई निवेशक भारत में निवेश को तैयार नहीं हैं, बेरोजगारों को पकौड़ा छानने की सलाह दी जा रही है, भारत का विकास दर अब तक के निचली पायदान पर है, यानी जो हर इक्जाम में फेल है, वे ‘इक्जाम पर चर्चा’ कर रहे हैं, वे भारत के बच्चों को आज प्रवचन दे रहे हैं, वे भविष्य निर्माण की बातें कर रहे हैं, पर जो जाननेवाले हैं, वे जानते है कि चूंकि चाय पर चर्चा से अब बात नहीं बननेवाली हैं, इसलिए अब ‘इक्जाम पर चर्चा’ की जा रही हैं।
आज अच्छा लगा कि एक बच्चे ने प्रधानमंत्री से पुछ ही दिया कि अगले साल हमदोनों की परीक्षा हैं, मेरी बारहवीं की और आपकी लोकसभा की परीक्षा हैं, क्या आपको डर लग रहा है?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जवाब दिया कि वे हर परीक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते है। उनके लिए परीक्षा का परिणाम मायने नहीं रखता। वे हमेशा सवा सौ करोड़ देशवासियों की सेवा करते रहना चाहते है। चुनाव तो आती जाती रहती है। इसके परिणाम से, वे नहीं घबराते। वे 365 दिन 24 घंटे परीक्षा देते रहते हैं। जब वे राजनीति में नहीं थे, तब जनसंघ नाम की पार्टी थी और दीपक उसका निशान हुआ करता था। उस समय उनकी पार्टी इतनी गरीब थी कि दीवार पर दीपक बनाने का भी पैसा नहीं था। चुनाव में हार के बाद जब चार प्रत्याशियों की जमानत राशि वापस आयी थी तब उससे पार्टी किया था। पीएम नरेन्द्र मोदी ने बच्चों को उनकी परीक्षा के लिए शुभकामनाएँ दी और अपनी परीक्षा के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद की चाहत रखी।
पीएम मोदी का ये जवाब किसी दार्शनिक का था, न कि प्रधानमंत्री या एक सामान्य नागरिक का था, चूंकि वे जानते है कि जहां इस उत्तर में जुबान फिसली, हाल पकौड़े जैसा हो जायेगा, मोदी ने खुद को पकौड़ेवाली हालात से बचने के लिए बातें इधर से उधर घुमाते हुए पटक दी, पर मोदी को नहीं पता कि अब जनता चर्चा नहीं करना चाहती, अब तो उसे परिणाम चाहिए, चर्चा तो जो होना था, चाय के नाम पर चार साल पहले हो चुका, अब क्या? अब तो जनता द्वारा परिणाम देने का समय आ रहा हैं, जनता तैयार है 2019 का रिजल्ट मोदी को थमाने के लिए, मोदी जी तैयार रहिये।