राजनीति

रघुवर सरकार के एक कैबिनेट फैसले से बांगलादेशी घुसपैठियों में हर्ष की लहर

गत मंगलवार को रघुवर सरकार के कैबिनेट के फैसले कि शहरी क्षेत्र में 1985 से पहले सरकारी जमीन पर कब्जा करनेवालों को घर के लिए मिलेगी 10 डिसमिल जमीन, से केवल जमशेदपुर और रांची में रहनेवाले ही लोग प्रसन्न नहीं हैं, बल्कि वे भी प्रसन्न हैं जो बांगलादेश से आकर विभिन्न शहरों में बस गये हैं, सर्वाधिक हर्ष की लहर साहेबगंज और पाकुड़ में पिछले कई वर्षों से रह रहे बांगलादेशी घुसपैठियों में हैं, उन्होंने रघुवर सरकार के फैसलें को क्रांतिकारी कदम बताया हैं, उनका कहना है कि अब उनका अपना घर होगा और अपना आशियाना होगा, वे आराम से भारत में रहकर अपनी जिंदगी सुख-चैन से बितायेंगे।

इधर रघुवर सरकार के इस फैसले से सर्वाधिक दुखी संघ के वे स्वयंसेवक हैं, जो इन इलाकों में कार्य कर रहे हैं, वे अपना नाम न प्रकाशित करने के शर्त पर बताते हैं कि रघुवर दास के इस फैसले नें झारखण्ड को बर्बाद कर दिया हैं, वोट के लालचियों ने भारत माता के हृदय में खंजर भोके हैं, उन्हें क्या पता कि इसका कितना नुकसान भारत देश व झारखण्ड का होने जा रहा हैं, उन्हें तो अपनी कुर्सी की चिंता हैं, देश उनके लिए बहुत बाद में आता हैं, या आप यह भी कह सकते हैं कि आता ही नहीं हैं।

संघ के स्वयंसेवकों का कहना है कि पाकुड़ और साहेबगंज इलाके में बांगलादेशी घुसपैठियों की बाढ़ सी आ गई हैं, वे विभिन्न सरकारी जमीनों पर आकर अवैध रुप से बसे हैं, सरकार के इस कैबिनेट के फैसले से तो उनकी जमीन पक्की तो हुई ही, उस पर से दस डिसमिल जमीन देने की घोषणा यानी उन्हें और मजबूत करने की कोशिश हैं, और वह भी वह सरकार कर रही हैं, जो स्वयं को सर्वाधिक देशभक्त बताती हैं, पता नहीं इस सरकार को क्या हो गया?  कौन लोग बुद्धि दे रहे हैं? फिलहाल सरकार की इस घोषणा ने इन इलाकों में रहनेवाले संघ के स्वयंसेवकों को ही नहीं, कई भाजपाइयों को भी बेचैन कर दिया हैं, वहीं बांगलादेशी घुसपैठियों के लिए सरकार के इस फैसले ने उनके चेहरे पर मुस्कान ला दी हैं, वे खुलकर रघुवर सरकार की इन दिनों प्रशंसा करने में लगे हैं। कुछ भाजपाइयों का कहना है कि केन्द्र सरकार को इस संबंध में ध्यान देना चाहिए, नहीं तो झारखण्ड हाथ से निकल जायेगा, और निकालनेवाले कोई दूसरे नहीं बल्कि अपने ही लोग होंगे।